देहरादून। सावन माह की शुरूआत के साथ ही कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच शुक्रवार को कांवड़ यात्रा भी आरंभ हो गयी और पहले दिन ही हजारों की संख्या में कांवड़िए गंगा जल भरने के लिए धर्मनगरी हरिद्वार पहुंचे। करीब एक पखवाड़े तक चलने वाली इस यात्रा में हर साल देश के विभिन्न राज्यों से कांवड़िए हरिद्वार से गंगा जल भरकर ले जाते हैं और उससे शिवरात्रि के अवसर पर अपने गांवों और घरों के शिवालयों में भगवान शिव का अभिषेक करते हैं। हर की पैड़ी सहित हरिद्वार के विभिन्न घाटों पर सुबह से ही बड़ी संख्या में कांवड़िए स्नान करते और गंगा जल भरते दिखे जिससे वहां का नजारा केसरिया रंग में रंगा हुआ नजर आ रहा है।
उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक दीपम सेठ ने बताया कि कांवड़ मेले की सुरक्षा व्यवस्था के लिए पुलिस, अर्धसैनिक बल, जल पुलिस, अभिसूचना, विशेष कार्यबल, राज्य आपदा प्रतिवादन बल, पीएसी और आतंकवाद निरोधी दल के 7000 से अधिक कार्मिकों को तैनात किया गया है।
उन्होंने बताया कि ड्रोन, सीसीटीवी और सोशल मीडिया की निगराानी के जरिए हर संदिग्ध गतिविधि पर पैनी नजर रखी जा रही है। कांवड़ यात्रा के निर्विघ्न संचालन के लिए उत्तराखंड सरकार ने सनातन धर्म की आड़ में लोगों को ठगने और उनकी भावनाओं से खिलवाड़ करने वाले छद्म भेषधारियों के खिलाफ 'ऑपरेशन कालनेमि' शुरू कर दिया है।
यात्रा आरंभ होने से एक दिन पहले शुरू किए गए इस ऑपरेशन के बारे में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि प्रदेश में कई ऐसे मामले सामने आए हैं जहां असामाजिक तत्व साधु-संतों का भेष धारण कर लोगों, विशेषकर महिलाओं को ठग रहे हैं । उन्होंने कहा, इससे न सिर्फ लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत हो रही हैं बल्कि सामाजिक सौहार्द और सनातन परंपरा की छवि को भी नुकसान पहुंच रहा है। ऐसे में किसी भी धर्म का व्यक्ति यदि ऐसे कृत्य करता हुआ मिलता है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
You may also like
ना भौंकता है, ना काटता है… फिर भी हर इंसान इस कुत्ते को दांतों से चबाता है! जानिए आखिर ये 'कुत्ता' है कौन '
ऐसा कोई सगा नहीं, जिसको हमने ठगा नहीं. ये लाइन ब्रांड की टैगलाइन है! जानिए कानपुर के उस लड्डू वाले की कहानी जिसने ठगते-ठगते जीत लिए दिल '
ताश के पत्तों में 3 बादशाह की मूंछ होती है आखिर चौथे बादशाह की मूंछ क्यों होती है गायब ? पत्तों की अनकही कहानी जो शायद ही किसी ने सुनी हो '
ट्रेनें रुकती हैं, पर लोग नहीं उतरते… क्योंकि इन रेलवे स्टेशनों पर छुपे हैं वो किस्से जो आज भी रूह कंपा देते हैं '
अनुपम खेर ने पिता के निधन पर मनाया जश्न, जानिए क्यों