
लखनऊ। अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने दो बंद मदरसों के संचालकों के खिलाफ छात्रवृत्ति में घोटाला करने का केस दर्ज कराया है। मदरसे बंद होने के बावजूद एनएसपी पोर्टल से छात्रवृत्ति हासिल की गई। जांच के बाद मदरसे ब्लॉक कर दिए गए। यू-डायस कोड निलंबन की भी प्रक्रिया शुरू हो गई है।
जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी सोनू कुमार ने दुबग्गा थाने में दो मदरसों के संचालक रिजवानुल हक के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है। संचालक ने छात्रवृत्ति के लिए लखनऊ में अल्पसंख्यक कल्याण विभाग में आवेदन किया गया था। जांच में मदरसा की योग्यता छात्रवृत्ति के लिए नहीं पाई गई। इस पर आवेदन निरस्त कर दिया गया। इसके बाद आरोपी ने फर्जीवाड़ा कर उन्नाव जिले से आवेदन कर छात्रवृत्ति ले ली। जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी के मुताबिक, अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय भारत सरकार की ओर से छात्रवृत्ति पाने वाले मदरसों की सूची जारी की गई थी। इसमें दुबग्गा स्थित मदरसा जामिया सादिया लिल बनात और मदरसा मौलाना अबुल कलाम आजाद इस्लाह अरेबिक स्कूल का नाम शामिल था। केंद्र सरकार की ओर से छात्रवृत्ति योजना के तहत संदिग्ध संस्थानों, विद्यालयों की सूची संलग्न कर उनका निरीक्षण कर कार्रवाई के निर्देश दिए गए थे। सत्यापन के लिए वक्फ निरीक्षक को नामित किया गया था। बीती पांच मई को वक्फ निरीक्षक ने दोनों मदरसों का निरीक्षण किया तो पता चला कि उक्त दोनों मदरसे वर्तमान में बंद हैं। फोन पर बात करने पर संचालक व प्रबंधक रिजवानुल हक ने बताया कि दोनों मदरसे बंद कर दिए हैं। हालांकि, आरोपी ने पिछला रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं कराया। छानबीन में दोनों मदरसे संदिग्ध मिले। इसके बाद मदरसों को एनएसपी पोर्टल पर ब्लाॅक कर दिया गया। शिक्षा विभाग को भी दोनों मदरसों का यू-डायस कोड निलंबित करने के लिए पत्र भेजा गया और मान्यता रद्द करने के लिए कहा गया। जांच में सामने आया कि भारत सरकार की ओर से उपलब्ध कराई गई सूची में दोनों मदरसे के आवेदकों ने अपना गृह जनपद उन्नाव दर्शाया था। इसकी वजह से आवेदन लखनऊ की आईडी पर प्रदर्शित नहीं हुई। आवेदकों ने मिलीभगत कर उन्नाव से सभी आवेदन स्वीकृत करा लिए। खास बात ये है कि मदरसे की मान्यता (कक्षा 01 से 05) स्तर की है, जबकि आवेदन कक्षा 11 व 12 के लिए किया गया था। इस कारण वित्तीय वर्ष 2022-23 में आवेदकों का बायोमीट्रिक भी लखनऊ में नहीं कराया गया। फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद निदेशक, अल्पसंख्यक कल्याण ने निर्देश जारी किए कि जो संस्थाएं जांच में अस्तित्व विहीन मिली हैं या उन्होंने छात्रवृत्ति वितरण में अनियमितता की है उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाए। इसके बाद यह रिपोर्ट दर्ज कराई गई है।