
जबलपुर। गंदगी एवं बीमारियों को लेकर लगी याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने सरकार और नगर निगम से चार हफ्तों में जवाब पेश करने को कहा है। इसके साथ ही रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख होना चाहिए कि बीमारियों को रोकने के लिए अब तक क्या कदम उठाए गए हैं और भविष्य में क्या उठाए जाएंगे। न्यायालय द्वारा उक्त बातें सोमवार को कहना सामने आया है।
याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आदित्य संघी ने कोर्ट को बताया कि 27 अक्टूबर 2021 को भी हाईकोर्ट ने नगर निगम को बीमारियों से निपटने के लिए उठाए गए कदमों पर हलफनामा दाखिल करने को कहा था। जवाब में सरकार की ओर से बताया गया कि जनवरी 2024 में दो रिपोर्टें दाखिल की गई थीं जो एक 600 पन्नों की थी, जिसमें दवाओं के छिड़काव और फॉगिंग के लिए ठेकेदारों को दिए गए कामों की जानकारी थी। इसके अलावा जबलपुर की सीवेज व्यवस्था पूरी तरह जाम पड़ी है।
उन्होंने कहा कि 17 साल पहले शहर में नई सीवेज लाइन बिछाने की योजना बनी थी, लेकिन आज तक उसे लागू नहीं किया गया। बारिश के दिनों में यह स्थिति और खतरनाक हो जाती है, क्योंकि पानी जमा होने से मच्छरों का प्रकोप तेजी से बढ़ता है। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि हर चौथा व्यक्ति स्वाइन फ्लू, चिकनगुनिया, मलेरिया, डेंगू और जीका वायरस जैसी बीमारियों से परेशान है। इन बीमारियों का मुख्य कारण बिगड़ी स्वच्छता और गंदे पानी की निकासी है।
एक्टिंग चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ ने निर्देश दिया कि चार हफ्तों में नगर निगम और राज्य सरकार को नई रिपोर्ट दाखिल करनी होगी। रिपोर्ट में अल्पकालिक और दीर्घकालिक समाधान स्पष्ट रूप से बताए जाएं। कोर्ट ने स्पष्ट कि मानसून में डेंगू जैसी बीमारियां तेजी से फैलती हैं। नगर निगम को तत्काल फॉगिंग और अन्य दवाओं का छिड़काव करना होगा। कोर्ट ने यह भी कहा, "नगर निगम को यह सुनिश्चित करना होगा कि डेंगू और अन्य बीमारियों की शुरुआत रोकी जाए। इसके लिए तुरंत जरूरी कदम उठाए जाएं।"
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