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यह कॉलेज है खनिजों का खजाना, जहां मौजूद हैं करोड़ों साल पुराने जीवाश्म और 10,000 से अधिक नमूने

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राजस्थान के बीकानेर जिले में एक ऐसा महाविद्यालय है, जहां पढ़ाई के साथ-साथ विद्यार्थी संग्रहण का काम भी करते हैं। विद्यार्थियों और शिक्षकों के प्रयासों से यहां एक संग्रहालय बनाया गया है, जिसमें लाखों वर्ष पुराने जीवाश्म, चट्टानें, पत्थर और शैल संरक्षित हैं। यह संग्रहालय बीकानेर संभाग के सबसे बड़े राजकीय डूंगर महाविद्यालय में बनाया गया है।महाविद्यालय के विद्यार्थियों और शिक्षकों ने अपने भ्रमण के दौरान राजस्थान और देश के विभिन्न भागों से पत्थर, जीवाश्म और शैल के नमूने एकत्रित किए। इन्हें भूविज्ञान विभाग में सुरक्षित रखकर संग्रहालय का रूप दिया गया। इस संग्रहालय को पत्थरों का संग्रहालय कहा जाता है, जिसमें कांच के बक्सों में रखे इन नमूनों का विशेष ध्यान रखा जाता है।

10 हजार से अधिक नमूने
भूविज्ञान विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. देवाराम ने बताया कि इस भूगर्भीय संग्रहालय में 10 हजार से अधिक चट्टानें, खनिज, शैल और जीवाश्म संग्रहित हैं। इनमें से अधिकांश नमूने राजस्थान से लाए गए हैं, लेकिन देश के अन्य भागों और विदेशों से भी एकत्रित किए गए हैं। विद्यार्थियों ने सभी नमूने भूगर्भीय भ्रमण के माध्यम से एकत्रित किए।

खनिजों का भण्डार है राजस्थान
राजस्थान को खनिजों का भण्डार माना जाता है। पृथ्वी की उत्पत्ति से लेकर आज तक के कई महत्वपूर्ण खनिज यहां पाए जाते हैं। खासकर पश्चिमी राजस्थान में खनिजों की उपलब्धता अधिक है। डॉ. देवाराम ने बताया कि इस विभाग में कोयला सहित कई खनिजों और जीवाश्मों पर शोध कार्य हो चुके हैं। आज भी कई विषयों पर शोध चल रहे हैं।

छात्रों को मिल रहा है प्रयोगात्मक अनुभव
यह संग्रहालय सिर्फ संग्रह का केन्द्र ही नहीं है, बल्कि विद्यार्थियों के लिए शोध और अध्ययन स्थल भी है। विद्यार्थी और शोधार्थी यहां रखे नमूनों का अध्ययन करते हैं। इस पहल ने डूंगर महाविद्यालय को शिक्षा और शोध का नया आयाम दिया है।

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