राजस्थान को जब भी पर्यटन के नजरिए से देखा जाता है, तो जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, जैसलमेर जैसे लोकप्रिय शहरों का नाम सबसे पहले जहन में आता है। लेकिन इसी ऐतिहासिक राज्य में एक ऐसा गहना छुपा है, जिसे "राजस्थान का चेरापूंजी" भी कहा जाता है — बाँसवाड़ा। दक्षिणी राजस्थान में स्थित यह छोटा लेकिन बेहद खूबसूरत जिला अपनी हरियाली, झीलों और जनजातीय संस्कृति के लिए जाना जाता है। यह जगह प्राकृतिक सुंदरता और संस्कृति का ऐसा संगम है, जो सुकून के साथ रोमांच भी देता है।
क्यों खास है बाँसवाड़ा?
बाँसवाड़ा की सबसे खास बात यह है कि यह राजस्थान के अन्य हिस्सों के मुकाबले कहीं ज्यादा हरियाली से भरपूर है। यहां की भौगोलिक बनावट पहाड़ियों, झरनों और झीलों से सजी हुई है। अरावली की पर्वत श्रृंखला से घिरा यह क्षेत्र मानसून में बेहद आकर्षक हो जाता है। बाँसवाड़ा का नाम यहाँ के प्रचुर बाँस के जंगलों से पड़ा है।यहाँ की जनजातीय संस्कृति, खासकर भील जनजाति, पर्यटकों के लिए एक अनूठा अनुभव प्रदान करती है। उनकी जीवनशैली, नृत्य, पारंपरिक पोशाकें और रीति-रिवाज किसी भी ट्रैवलर को भारत की विविधता का नया चेहरा दिखाते हैं।
बाँसवाड़ा में क्या देखें?
माही नदी और माही डैम
माही नदी पर बना बाँसवाड़ा का माही डैम पर्यटकों के लिए मुख्य आकर्षणों में से एक है। डैम के आसपास की प्राकृतिक सुंदरता, पहाड़ियों का नज़ारा और सूर्यास्त का दृश्य मंत्रमुग्ध कर देता है।
कागदी पिकनिक स्पॉट
माही डैम के नजदीक स्थित कागदी पिकनिक स्पॉट परिवार और दोस्तों के साथ कुछ शांत पल बिताने के लिए आदर्श स्थान है। यहां हरियाली, जलधाराएं और शांत वातावरण आत्मा को सुकून देता है।
अंधेश्वर महादेव मंदिर
यह एक प्राचीन गुफा मंदिर है जो भगवान शिव को समर्पित है। यहाँ की वास्तुकला और गुफाओं का रहस्यमय आकर्षण पर्यटकों को खींच लाता है।
तलवाड़ा
बाँसवाड़ा के पास बसा तलवाड़ा ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। यह स्थान प्राचीन जैन मंदिरों और भित्तिचित्रों के लिए प्रसिद्ध है।
चित्तौड़गढ़ जैसा राजमहल - बाँसवाड़ा पैलेस
बाँसवाड़ा राजघराने का यह महल स्थानीय राजपूताना स्थापत्य कला का सुंदर उदाहरण है। पहाड़ी पर स्थित यह महल झीलों और हरियाली के बीच शानदार दृश्य प्रस्तुत करता है।
बदली की बावड़ी और मंदारेश्वर महादेव
यह जगह बाँसवाड़ा की जलप्रबंधन कला और धार्मिक विश्वास का संगम है। बावड़ियों की यह परंपरा राजस्थान की पहचान रही है और यहाँ उसका सुंदर उदाहरण मिलता है।
बाँसवाड़ा कैसे पहुंचे?
सड़क मार्ग: बाँसवाड़ा राजस्थान और गुजरात की सीमा पर स्थित है और सड़क मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। उदयपुर से बाँसवाड़ा की दूरी करीब 165 किलोमीटर है। यहाँ तक पहुँचने के लिए आप उदयपुर से टैक्सी या बस ले सकते हैं।
रेल मार्ग: बाँसवाड़ा में फिलहाल कोई रेलवे स्टेशन नहीं है, लेकिन डूंगरपुर और रतलाम जैसे नजदीकी स्टेशन से यहाँ पहुंचा जा सकता है।
हवाई मार्ग: सबसे नजदीकी एयरपोर्ट उदयपुर का महाराणा प्रताप एयरपोर्ट है, जो बाँसवाड़ा से लगभग 160 किलोमीटर दूर है।
कब जाएं बाँसवाड़ा?
मानसून के मौसम (जुलाई से सितंबर) में बाँसवाड़ा की खूबसूरती अपने चरम पर होती है। इस दौरान झीलें और झरने भर जाते हैं, हरियाली चारों ओर फैल जाती है और मौसम सुहाना हो जाता है। सर्दियों में (नवंबर से फरवरी) भी यहाँ का मौसम अनुकूल रहता है और घूमने के लिए बढ़िया समय माना जाता है।
घूमने के साथ सांस्कृतिक अनुभव
बाँसवाड़ा में हर साल कई जनजातीय मेले और उत्सव आयोजित होते हैं। 'गवरी नृत्य', 'भगोरिया मेला' और भील आदिवासियों के पारंपरिक उत्सवों में भाग लेना आपके सफर को यादगार बना सकता है।
You may also like
आज का क्रिकेट टॉस रिजल्ट: किस टीम ने पहले गेंदबाज़ी चुनी? जानें सबसे पहले!
राजसमंद में जलप्रलय! कुंभलगढ़ के फूटे तालाब से मचा हड़कंप, तेज बहाव में फंसे स्कूली बच्चे और ग्रामीण महिला की तलाश जारी
फोनपे का पिनकोड रिटेलर्स को बना रहा सशक्त, 1000 से अधिक ऑफलाइन स्टोर्स को बनाया डिजिटल
साइयारा: एक रोमांटिक ड्रामा जो दिल को छू लेता है
BCCI बना मनी मशीन! IPL 2025 में कहां से आया इतना पैसा? आंकड़े उड़ाएंगे होश