राजस्थान प्रदेश में इस बार मानसून ने किसानों और आम जनता दोनों पर अपनी मेहरबानी दिखाई है। प्रदेश की नदियां उफान पर हैं, ताल-तलैया लबालब भर गए हैं, और खेतों में हरियाली लौट आई है। खासतौर पर मेवाड़ की गंगा कही जाने वाली बनास नदी में इस बार भरपूर पानी आया है।
भीलवाड़ा जिले के आकोला क्षेत्र में स्थित बनास नदी में मातृकुंडिया बांध के गेट खोले जाने के बाद नदी में पानी की आवक बढ़ गई। इसी के चलते नदी के किनारे बनी पुलिया नौ साल बाद पूरी तरह डूब गई। यह दृश्य स्थानीय लोगों के लिए रोमांचक भी है और चिंता का विषय भी, क्योंकि डूबी हुई पुलिया आवागमन में बाधा उत्पन्न कर रही है।
स्थानीय प्रशासन ने इस स्थिति को लेकर सतर्कता बढ़ा दी है। विभागीय अधिकारियों ने बताया कि नदी में पानी की अधिकता और बांध से पानी छोड़े जाने के कारण पुलिया के आसपास का क्षेत्र बाढ़ प्रभावित हो सकता है। उन्होंने लोगों से नदी के किनारे न जाने और बचाव उपाय अपनाने की अपील की है।
मौसम विभाग के अनुसार, प्रदेश में मानसून सामान्य से अधिक सक्रिय है और अगले कुछ दिनों तक मौसम का यह क्रम जारी रह सकता है। बनास नदी के अलावा अन्य नदियां और तालाब भी लबालब भरे हुए हैं, जिससे खेती और जल स्तर में सुधार होने की उम्मीद जताई जा रही है।
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि इतने वर्षो बाद नदी में पानी का यह स्तर देखना उन्हें बेहद खुशी दे रहा है। हालांकि, पुलिया डूबने की घटना ने चेतावनी भी दी है कि जलाशयों और नदी किनारे के क्षेत्रों में सतर्कता बरतना आवश्यक है।
भीलवाड़ा प्रशासन ने नदी के आसपास सुरक्षा संकेत और सतर्कता पोस्ट लगाने का निर्णय लिया है। अधिकारियों का कहना है कि मानसून के दौरान लोग नदी के पास जाने से बचें और जल स्तर पर नजर बनाए रखें।
इस बार मानसून ने प्रदेश में सृजनात्मक और विनाशकारी दोनों पहलुओं को एक साथ दिखाया है। भरपूर पानी ने खेतों और जलाशयों को लाभ पहुंचाया है, वहीं डूबी पुलिया जैसी घटनाओं ने सुरक्षा और प्रशासनिक सावधानी की आवश्यकता को भी रेखांकित किया है।
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