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ऑफलाइन होगी राजस्थान में बुजुर्गों के जन आधार की केवाईसी, देखे विडियो

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जयपुर: राजस्थान सरकार ने प्रदेश के बुजुर्ग नागरिकों को राहत देते हुए जन आधार कार्ड की केवाईसी प्रक्रिया को अब ऑनलाइन के साथ-साथ ऑफलाइन भी करवाने की अनुमति दे दी है। यह फैसला उन वरिष्ठ नागरिकों के हित में लिया गया है, जो तकनीकी कारणों या अंगूठे के निशान की समस्या के चलते ई-केवाईसी नहीं करवा पा रहे थे और इस वजह से कई महत्वपूर्ण सरकारी योजनाओं से वंचित हो रहे थे।

राज्य सरकार की ओर से जारी आदेश के अनुसार, अब शहरी क्षेत्रों में उपखंड अधिकारी (Sub-Divisional Officer) और ग्रामीण क्षेत्रों में विकास अधिकारी (Block Development Officer) को अधिकृत किया गया है कि वे ऑफलाइन केवाईसी की प्रक्रिया को पूरा करें। यह प्रक्रिया शीघ्र शुरू की जाएगी ताकि कोई भी पात्र बुजुर्ग नागरिक सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के लाभ से वंचित न रहे।

राज्य सरकार ने यह निर्णय इसलिए लिया है क्योंकि बड़ी संख्या में बुजुर्ग नागरिक अपनी बायोमेट्रिक पहचान दर्ज नहीं करवा पा रहे थे। उनकी उंगलियों के निशान स्पष्ट नहीं होने या तकनीकी दिक्कतों के कारण ई-केवाईसी प्रक्रिया अधूरी रह जा रही थी। इसका सीधा असर सामाजिक पेंशन योजना, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के तहत मिलने वाले गेहूं, और अन्य महत्वपूर्ण लाभकारी योजनाओं पर पड़ रहा था।

राजस्थान में जन आधार कार्ड को सरकारी सेवाओं और योजनाओं से जोड़ने की प्रक्रिया तेज़ी से चल रही है। लेकिन कई वरिष्ठ नागरिकों के सामने तकनीकी बाधाएं आ रही थीं, जिससे उनकी पेंशन अटक गई थी या राशन नहीं मिल पा रहा था। यह समस्या लगातार सरकार के संज्ञान में आ रही थी, जिसके बाद यह निर्णय लिया गया।

राज्य के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के अधिकारियों ने बताया कि ऑफलाइन केवाईसी के लिए बुजुर्गों को अपने जन आधार कार्ड, आधार कार्ड, पहचान प्रमाण, पते का प्रमाण और पासपोर्ट साइज फोटो के साथ अधिकृत अधिकारी के पास जाना होगा। अधिकारी दस्तावेज़ों की जांच कर ऑफलाइन केवाईसी की प्रक्रिया पूर्ण करेंगे और संबंधित सिस्टम में उसे अपडेट किया जाएगा।

इस निर्णय से राजस्थान के हजारों बुजुर्गों को सीधा लाभ मिलने की उम्मीद है। सरकार का दावा है कि यह कदम “सबका साथ, सबका विकास” की नीति को मजबूत करेगा और डिजिटल डिवाइड की समस्या को भी कुछ हद तक कम करेगा।

इस पहल की सराहना सामाजिक कार्यकर्ताओं और नागरिक संगठनों ने भी की है। उन्होंने कहा कि तकनीक के इस दौर में सभी के लिए डिजिटल सेवाएं उपयोग करना आसान नहीं होता, खासकर बुजुर्गों के लिए। ऐसे में ऑफलाइन विकल्प देना एक संवेदनशील और व्यावहारिक कदम है।

राज्य सरकार आने वाले समय में इस तरह की अन्य सुविधाओं को भी सरल और सुलभ बनाने की दिशा में काम कर रही है ताकि जरूरतमंदों तक सभी योजनाओं का लाभ प्रभावी ढंग से पहुंचे।

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