राजस्थान को अपना पांचवां टाइगर रिजर्व मिलने जा रहा है, लेकिन इसके साथ ही हजारों ग्रामीणों के जीवन में एक बड़ा बदलाव भी आया है। हाल ही में राज्य सरकार ने धौलपुर-करौली टाइगर रिजर्व के बफर जोन की अधिसूचना जारी की है, जिससे धौलपुर और करौली जिलों के कुल 108 गांव विस्थापन के दायरे में आ गए हैं। इनमें धौलपुर जिले के 60 और करौली के 48 गांव शामिल हैं। इस फैसले से अनुमानत: 35 हजार से 40 हजार लोगों को अपने घरों से बाहर निकलना पड़ेगा, जिसके बाद ग्रामीणों का विरोध भी तेज हो गया है। इससे पहले कोर एरिया की अधिसूचना 6 अक्टूबर 2023 को जारी की गई थी, जबकि बफर जोन की अधिसूचना 6 जून 2025 को जारी की गई है। नया टाइगर रिजर्व 1075 वर्ग किलोमीटर में फैला होगा, जिसमें 599 वर्ग किलोमीटर कोर एरिया और 457 वर्ग किलोमीटर बफर जोन शामिल है। रणथंभौर, सरिस्का, मुकुंदरा हिल्स और रामगढ़ विषधारी के बाद यह अभ्यारण्य राजस्थान का पाँचवाँ बाघ अभ्यारण्य होगा। ग्रामीण विरोध कर रहे हैं।
सरकार की पुनर्वास नीति के तहत, प्रत्येक विस्थापित परिवार को पति-पत्नी को संयुक्त रूप से 15-15 लाख रुपये और 21 वर्ष से अधिक आयु के अन्य सदस्यों को अलग से 15-15 लाख रुपये मुआवजे के रूप में दिए जाएँगे। हालाँकि, विस्थापन के विरुद्ध गठित संघर्ष समिति और स्थानीय ग्रामीणों का विरोध तेज़ हो गया है।
क्या कहते हैं संघर्ष समिति अध्यक्ष?
संघर्ष समिति के अध्यक्ष रामेश्वर दयाल मीणा ने कहा कि अधिकांश ग्रामीणों के पास सरकारी पट्टे नहीं हैं, जबकि वे 50 वर्षों से अधिक समय से इन ज़मीनों पर बसे हुए हैं। ऐसे में उन्हें मुआवज़ा नहीं मिलेगा। मीणा ने सरकार से ज़मीन के बदले ज़मीन, सरकारी नौकरी और बढ़ा हुआ मुआवज़ा देने की माँग की है। बसेड़ी विधायक संजय कुमार ने भी ग्रामीणों की माँगों का समर्थन किया है और सरकार से स्पष्ट मुआवज़ा नीति और वैकल्पिक ज़मीन देने की माँग की है।
क्या कहता है प्रशासन?
करौली के उप वन संरक्षक सुमित वंशल ने बताया कि विस्थापित परिवारों से लगातार संवाद किया जा रहा है ताकि वे योजना को ठीक से समझ सकें और किसी तरह की भ्रांति न रहे। उन्होंने कहा कि सरकार विस्थापन, मुआवजा और पुनर्वास के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। प्रत्येक संयुक्त परिवार को 15 लाख रुपये की राशि भी दी जाएगी।
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