राजस्थान न्यूज डेस्क !!! जहां प्रकृति ने राजस्थान को रेगिस्तान और पहाड़ों से नवाजा है, वहीँ प्रकृति ने राजस्थान को मरुधरा का कश्मीर कहलाये जाने वाले माउंट आबू जैसे ठंडे और हरियाली से भरपूर हिल स्टेशन का तौफा भी दिया है। यहां भारत की पहली मानव निर्मित निक्की झील स्थित है जिसकी गहराई लगभग 11000 फीट बताई जाती है।
यहाँ अरावली पर्वत माला का सबसे ऊँचा शिखर गुरुशिखर स्थित है, जिसकी ऊंचाई लगभग सत्रह सौ बहत्तर मीटर है। यहां के दिलवाड़ा में सदियों पुराने कई जैन मंदिर स्थित हैं, इसके साथ ही नीलगिरि की पहाड़ियों का ये क्षेत्र कई वन्य जीव अभ्यारण और राष्ट्रीय उद्यानों का भी घर है। यहां जैन मंदिरों के साथ हिन्दू धर्म में काफी मान्यता रखने वाले सैकड़ों मंदिर भी हैं , तो आईये आज के इस वीडियो में हमारे साथ चलिए राजस्थान के एकमात्र हिल स्टेशन माउंट आबू की अद्भुत यात्रा पर
समुद्र तल से बारह सौ बीस मीटर की ऊँचाई पर स्थित माउंट आबू को राजस्थान का स्वर्ग भी माना जाता है। नीलगिरि की पहाड़ियों पर बसे माउंट आबू की भौगोलिक स्थिति और वातावरण राजस्थान के अन्य शहरों से काफी ठंडा व मनोरम है। इसके साथ ही माउंट आबू हिन्दू और जैन धर्म दोनों का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। यहाँ के ऐतिहासिक मंदिर और प्राकृतिक ख़ूबसूरती पर्यटकों को अपनी ओर खींचती है।
माउन्ट आबू को एक हिल स्टेशन के रूप में पहचान ब्रिटिश काल में मिली। जिसके बाद ब्रिटिश शासन में माउंट आबू राजस्थान के मैदानी इलाकों की गर्मियों से बचने के लिए अंग्रेज़ों का पसंदीदा स्थान रहा। इसकी दूसरी तरफ माउंट आबू का पौराणिक महत्व होने के चलते ये शुरू से ही साधु संतों का निवास स्थान रहा है। अरावली रेंज में स्थित यह हिल स्टेशन अपने शांत और हरे -भरे माहौल के लिए जाना जाता है। प्रकृति की गोद में बसे इस हिल स्टेशन के पर्यटन स्थलों की बात करें तो यहां हिन्दू और जैन धर्म के कई प्रमुख तीर्थ स्थलों के साथ काफी सारे ऐतिहासिक स्थल भी हैं, इनमे मुख्य रूप से गुरु शिखर, सनसेट प्वाइंट, टोड रॉक, अचलगढ़ क़िला, नक्की झील और दिलवाड़ा के मंदिर शामिल है। तो आइए जानते हैं माउंट आबू हिल स्टेशन के मुख्य आकर्षणों के बारे में
नक्की झील
माउंट आबू में अरावली पर्वतमाला में स्थित एक नक्की लेक है जिसे स्थानीय रूप से नक्की झील के नाम से भी जाना जाता है। यह झील प्रकृति प्रेमियों के लिए स्वर्ग के समान मानी जाती है, क्योंकि अद्भुत प्राकृतिक द्रश्यों से भरी हुई यह झील वास्तव में माउंट आबू का सबसे प्रमुख आकर्षण है। नक्की लेक भारत की पहली मानव निर्मित झील है जिसकी गहराई लगभग 11,000 मीटर और चौड़ाई एक मील है। माउंट आबू के केंद्र में स्थित यह आकर्षक झील हरे भरे पहाड़ों, जंगलों और अजीब आकार की चट्टानों से घिरी हुई है। माउंट आबू की उड़ने वाली हवाएं और सुखदायक तापमान में बोटिंग करना आपके दिल को खुश कर देगी। बताया जाता है कि नक्की झील में, महात्मा गांधी की राख 12 फरवरी 1948 को विसर्जित की गयी थी और इसके बाद यहां गांधी घाट का निर्माण किया गया था। यह झील प्रकृति प्रेमियों और फोटोग्राफी के शौकीनों के लिए एक बेहद लोकप्रिय जगह है।
गुरु शिखर
गुरु शिखर अरावली रेंज की सबसे ऊँची चोटी है जो माउंट आबू से करीब 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस शिखर की समुद्र तल से ऊँचाई सतरा सौ बाइस मीटर है जिसकी वजह से यहाँ से अरावली रेंज और माउंट आबू के हिल स्टेशन का बहुत ही आकर्षक दृश्य देखने को मिलता है। इस जगह पर आबूवेधशाला और गुरु दत्तात्रेय का गुफा मंदिर जो भगवान विष्णु को समर्पित है। ऑब्जर्वेटरी में 112 मीटर का इंफ्रारेड टेलीस्कोप है। 15 किलोमीटर की ड्राइव के बाद आपको गुरु शिखर पर जाने के लिए कुछ सीढ़ियां चढ़नी होंगी। अगर आप अक्टूबर और नवंबर के समय इस जगह पर जाते हैं तो यहाँ पर बहुत अधिक बादल और धुंध हो जाती है। यहां आने वाले पर्यटकों को इस समय ऐसा महसूस होता है जैसे वो बादलों की मदद से गुरु शिखर पर जा रहे हैं क्योंकि चारों ओर धुंध दिखाई देती है। यह जगह यहां आने वाले पर्यटकों के मन को आनंदित कर देती है।
अचलगढ़ किला
माउंट आबू से 11 किमी की दूरी पर स्थित अचलगढ़ किला राजस्थान के प्रसिद्ध किलों में से एक है। अचलगढ़ गाँव माउंट आबू में एक सुरम्य गाँव है जो अचलगढ़ किले, अचलेश्वर मंदिर और ऐतिहासिक जैन मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। किले के परिसर में प्रसिद्ध शिव मंदिर, अचलेश्वर महादेव मंदिर और मंदाकिनी झील है। अचलेश्वर महादेव के केंद्र में नंदी जी की एक मूर्ति भी स्थापित है जो 5 धातु जैसे कांस्य, सोना, जस्ता, तांबा और पीतल से मिलकर बनी हुई है। अचलगढ़ क़िला घूमने के लिए इतिहास प्रेमियों के साथ-साथ तीर्थ यात्रियों के लिए भी एक प्रसिद्ध स्थल बना हुआ है। जहा के कई ऐतिहासिक अवशेष और महान धार्मिक महत्व के पुराने मंदिर पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बने हुए है। अचलगढ़ किला का निर्माण मूल रूप से परमारा वंश के शासनकाल में करवाया गया था, और कुछ समय बाद महाराणा कुंभा ने अचलगढ़ किले को सन 1452 में दुश्मनो की हर कतों पर नजर रखने के उद्देश्य से इसका पुनिर्निर्माण करबाया गया था। जो उनके उनके शासनकाल के दौरान बनाए गए 32 किलों में से एक था। और कुछ समय बाद किले के अन्दर पहन्द्रः सौ तेहरा एक जैन मंदिर का निर्माण भी किया गया था ।
टॉड रॉक व्यू पॉइंट
टॉड रॉक व्यू पॉइंट नक्की झील के पास स्थित है जो आपको संपूर्ण झील और आसपास के क्षेत्र का मनोरम दृश्य दिखाती है। इस जगह का नाम प्राकृतिक रूप से बने पत्थर की वजह से दिया गया है जो किनारे से एक कछुआ जैसा दिखता है। यह चट्टान स्पष्ट रूप से एक टॉड जैसा दिखता है और इसलिए इसे “टॉड रॉक” नाम दिया गया है। कुछ लोग मानते हैं कि इसका नाम वास्तव में ब्रिटिश सेना के एक अधिकारी कर्नल टॉड के नाम पर रखा गया है, जिन्हें माउंट आबू की खोज करने का श्रेय दिया जाता है। टॉड रॉक का रास्ता नक्की झील के पास से शुरू होता है और इसमें शीर्ष पर पहुचने के लिए 250 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती है।
दिलवाड़ा जैन मंदिर
दिलवाड़ा जैन मंदिर राजस्थान की अरावली पहाड़ियों के बीच स्थित जैनियों का सबसे लोकप्रिय और सुंदर तीर्थ स्थल है। इस मंदिर का निर्माण 11 वीं और 13 वीं शताब्दी के बीच वास्तुपाल और तेजपाल ने किया था। दिलवाड़ा मंदिर अपनी जटिल नक्काशी और संगमरमर की संरचना होने की वजह से प्रसिद्ध है। यह मंदिर बाहर से बहुत ही साधारण दिखाई देता है लेकिन जब आप इस मंदिर को अंदर से देखेंगे तो इसकी छत, दीवारों, मेहराबों और स्तंभों पर बनी डिजाइनों को देखते ही आकर्षित हो जायेंगे। जैनियों का तीर्थ स्थल होने के साथ ही यह मंदिर संगमरमर से बनी एक ऐसी जादुई संरचना है, जो हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करती है।
पीस पार्क
अरावली पर्वतमाला की दो प्रसिद्ध चोटियों गुरू शिखर और अचलगढ़ के बीच में बसा है पीस पार्क, जो कि ब्रह्म कुमारियों के प्रतिष्ठान का एक भाग है. यह पार्क शांतिपूर्ण परिवेश और प्रशांत और निस्तब्ध वातावरण के साथ ही सुन्दर पृष्ठभूमि में सुकून भरा जीवन प्रदान करता है. इस पार्क का एक निर्देशित टूर ब्रह्म कुमारियों द्वारा भी कराया जाता है और आप यहां एक छोटी विडियों फिल्म भी देख सकते हैं, जिसमें योगा और ध्यान लगाने के मनोरंजक तरीके बताए गए हैं.
माउण्ट आबू अभ्यारण्य
राजस्थान में वन्यजीव अभ्यारण्यों की कमी नहीं है. इनमें से यह एक महत्वपूर्ण अभ्यारण्य है 'माउण्ट आबू अभ्यारण्य'. अरावली की सबसे प्राचीन पर्वतमाला के पार यह अभ्यारण्य काफी बड़े क्षेत्र में फैला हुआ है जिसमे काफी बड़ी संख्या में वन्यजीव है. माउंट आबू में आने वाले दर्शकों के लिए इस अभ्यारण्य में विभिन्न प्रजाति के पेड़-पौधे, फूलों के वृक्ष तथा विविध पक्षियों की प्रजातियां भी देखी जा सकती हैं. यह लुप्तप्राय पशुओं का घर है. इसमें गीदड़, भालू, जंगली सुअर, लंगूर, साल (बड़ी छिपकली), खरगोश, नेवला, कांटेदार जंगली चूहा आदि भी पाए जाते हैं. लगभग 250 प्रकार के पक्षी भी इस अभ्यारण्य को पक्षी प्रेमियों के लिए स्वर्ग बनाते हैं.
लाल मंदिर
देलवाड़ा जैन मंदिर के समीप स्थित यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है. यह मंदिर बहुत ही शांतिपूर्ण परिवेश प्रदान करता है और माउंट आबू में स्थित सभी पवित्र स्थलों में से सबसे ज्यादा पुराना माना जाता है. इस 'लाल मंदिर' के नाम के पीछे यह तथ्य है कि इसकी सभी दीवारें लाल रंग में पेन्ट की हुई हैं. भक्तों तथा धार्मिक आस्था रखने वाले पर्यटकों के लिए माउण्ट आबू में यह स्थल अवश्य देखने लायक है. यह मंदिर ‘स्वयंम्भू शिव मंदिर' होने के कारण काफी अधिक प्रचलित है. इसका यह नाम इसलिए पड़ा क्योंकि इस मंदिर में प्रतिष्ठित शिव भगवान की मूर्ति को जनेऊ धारण किए हुए देखा जा सकता हैं.
राजस्थान के सिरोही जिले में अरावली की पहाड़ियो में स्थित माउंट आबू बारह सौ बीस मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, यहां पहुंचने के लिए आप सड़क, रेल या हवाई किसी भी मार्ग का इस्तेमाल कर सकते हैं।
रेल के माध्यम से: माउंट आबू रेलवे स्टेशन देश के अन्य राज्यों, जैसे कि दिल्ली, जयपुर, मुंबई और अहमदाबाद से कनेक्टेड है। यहां के लिए आप पोरबंदर एक्सप्रेस, जोधपुर एक्सप्रेस, अजमेर एक्सप्रेस और अला हजरत एक्सप्रेस ले सकते हैं। माउंट आबू रेलवे स्टेशन पहुंचने के बाद या तो आप प्राइवेट टैक्सी या कैब किराए पर ले सकते हैं या फिर राज्य ट्रांसपोर्ट भी ले सकते हैं।
फ्लाइट के माध्यम से: माउंट आबू का सबसे नजदीकी एयरपोर्ट दबोक एयरपोर्ट है जोकि उदयपुर में स्थित है। यह एयरपोर्ट माउंट आबू शहर से करीब 185 किलोमीटर दूर है। इसके अलावा माउंट आबू का दूसरा सबसे नजदीकी एयरपोर्ट अहमदाबाद एयरपोर्ट है। आप चाहे तो यहां भी उतर सकते हैं। यह एयरपोर्ट माउंट आबू शहर से करीब 221 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
बस के माध्यम से: अगर बस से जाना चाहते हैं तो राजस्थान स्टेट ट्रांसपॉर्ट कॉर्पोरेशन की कई बसें अलग-अलग राज्यों से माउंट आबू तक चलती हैं।
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