झीलों की नगरी ने बुधवार की रात संगीत की सुरमई महफ़िल में खुद को डुबो दिया। भारतीय लोक कला मंडल के मंच पर आयोजित इस संगीत संध्या में जब स्वर सम्राट किशोर कुमार के सदाबहार गीत गूंजे, तो शहरवासियों ने भी सुरों के साथ अपनी आवाज़ मिलाई।
कार्यक्रम में किशोर कुमार के सुपुत्र अमित कुमार और पौत्री मुक्तिका कुमार ने एक से बढ़कर एक प्रस्तुतियाँ दीं। ‘रूप तेरा मस्ताना’, ‘चला जाता हूं किसी की धुन में’, ‘ओ मेरे दिल के चैन’ जैसे अमर गीतों पर दर्शक झूम उठे।
कार्यक्रम की शुरुआत किशोर दा को श्रद्धांजलि के साथ हुई। अमित कुमार ने कहा, “उदयपुर जैसी खूबसूरत नगरी में गाना अपने आप में एक भावनात्मक अनुभव है। मेरे पिता के गाने सिर्फ धुन नहीं, बल्कि लोगों की यादों का हिस्सा हैं।”
मंच पर जब मुक्तिका ने ‘खो गया हूं मैं कहीं’ और ‘पल पल दिल के पास’ जैसे गीत गाए, तो सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। उनकी मधुर आवाज़ में किशोर दा की झलक महसूस की जा सकती थी।
संगीत कार्यक्रम में शहर के संगीत प्रेमियों और कला जगत से जुड़े लोगों की बड़ी संख्या में मौजूदगी रही। हर उम्र के लोग इन अनमोल गीतों को सुनने के लिए देर रात तक रुके रहे।
भारतीय लोक कला मंडल के निदेशक ने बताया कि इस तरह के कार्यक्रमों का उद्देश्य संगीत के स्वर्ण युग को नई पीढ़ी तक पहुंचाना है। उन्होंने कहा कि किशोर कुमार जैसे कलाकारों की धरोहर को जीवित रखना भारतीय संगीत संस्कृति के लिए आवश्यक है।
कार्यक्रम के अंत में ‘ज़िंदगी एक सफर है सुहाना’ गीत पर पूरा सभागार थिरक उठा। दर्शकों ने खड़े होकर अमित कुमार और मुक्तिका का उत्साहवर्धन किया।
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