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ग़ज़ा सिटी पर 'क़ब्ज़े' की इसराइली योजना पर इन पांच मुस्लिम देशों की चेतावनी

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Dan Kitwood /Getty Images सऊदी अरब ने इसराइल के फ़ैसले की कड़ी आलोचना की है (फ़ाइल फ़ोटो)

इसराइल की सुरक्षा कैबिनेट ने ग़ज़ा सिटी पर 'क़ब्ज़ा' करने की योजना को मंज़ूरी दे दी है, जिसे ग़ज़ा में जारी युद्ध में एक बड़ा और विवादित क़दम माना जा रहा है.

ग़ज़ा पट्टी के उत्तरी हिस्से में स्थित यह शहर युद्ध से पहले सबसे अधिक आबादी वाला इलाक़ा था और यहां लाखों फ़लस्तीनी रहते थे.

संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि इसराइल के इस क़दम से "बड़े पैमाने पर जबरन विस्थापन" और "अधिक हत्याएं" हो सकती हैं, जबकि हमास ने "ज़ोरदार प्रतिरोध" की बात कही है.

इस फ़ैसले पर दुनिया भर से प्रतिक्रियाएं आ रही हैं, ख़ासतौर पर मुस्लिम देशों ने इसे मानवीय संकट को और गहरा करने वाला क़दम बताया है.

सऊदी अरब, पाकिस्तान, क़तर, कुवैत समेत कई देशों और इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) ने इसे अंतरराष्ट्रीय क़ानून का उल्लंघन, दो-राष्ट्र समाधान में रुकावट और फ़लस्तीनी जनता के अधिकारों पर सीधा हमला क़रार दिया है.

सऊदी अरब

सऊदी अरब ने इसराइल के फ़ैसले की कड़ी निंदा की है. उसने इसे ग़ज़ा में भुखमरी बढ़ाने वाला और फ़लस्तीनी नागरिकों के ख़िलाफ़ जातीय सफ़ाए की नीति का हिस्सा बताया.

सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय की तरफ़ से जारी बयान के मुताबिक़, "अगर अंतरराष्ट्रीय समुदाय और सुरक्षा परिषद इसराइली हमलों और उल्लंघनों को तुरंत नहीं रोकते, तो इससे अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था और वैधता की बुनियाद कमज़ोर होगी, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय शांति को ख़तरा होगा और हालात ऐसे बनेंगे जो नरसंहार और जबरन विस्थापन को बढ़ावा देंगे."

सऊदी अरब ने यह भी कहा, "इसराइली अपराधों को रोकने के लिए दुनिया को ठोस, मज़बूत और सख़्त क़दम उठाने होंगे, ताकि फ़लस्तीनी लोगों पर मंडरा रहे मानवीय संकट को ख़त्म किया जा सके."

image BBC
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क़तर

क़तर ने भी इसराइल की इस योजना की निंदा की है. क़तर के विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह फ़ैसला मानवीय संकट को और गंभीर करेगा और संघर्षविराम की कोशिशों को कमज़ोर करेगा.

बयान में कहा गया, "इसराइल लगातार अंतरराष्ट्रीय मानवीय क़ानूनों और प्रस्तावों का उल्लंघन कर रहा है, जिसमें युद्ध में हथियार की तरह भोजन का इस्तेमाल करना और आम लोगों को जानबूझकर भूखा रखना शामिल है."

पाकिस्तान image dia images via Getty Images पाकिस्तान और तुर्की ने इसराइल के फ़ैसले की आलोचना की है (फ़ाइल फ़ोटो)

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने कहा कि यह फ़ैसला फ़लस्तीनी जनता के ख़िलाफ़ चल रही जंग का हिस्सा है, जो मानवीय संकट को और गंभीर करेगा और शांति की संभावना को ख़त्म कर देगा.

उन्होंने कहा, "हमें इस त्रासदी के असली कारण को नहीं भूलना चाहिए, जो फ़लस्तीनी ज़मीन पर इसराइल के लंबे समय से जारी अवैध क़ब्ज़े की वजह से है. जब तक यह क़ब्ज़ा जारी रहेगा, शांति एक सपना ही बनी रहेगी."

शरीफ़ आगे कहते हैं, "हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील करते हैं कि वह तुरंत दख़ल देकर इसराइल की बेवजह की आक्रामकता को रोके, निर्दोष नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करे और ग़ज़ा के लोगों तक बेहद ज़रूरी मानवीय मदद की आपूर्ति सुनिश्चित करे."

कुवैत

कुवैत ने इसराइली योजना को अंतरराष्ट्रीय और मानवीय क़ानून का उल्लंघन बताया. उसने कहा कि यह दो-राष्ट्र समाधान की संभावना को कमज़ोर करता है.

कुवैत के विदेश मंत्रालय की तरफ़ से जारी बयान में कहा गया, "सुरक्षा परिषद और अंतरराष्ट्रीय समुदाय अपनी ज़िम्मेदारियां निभाते हुए इन अमानवीय कार्रवाइयों को रोकें, सीमा-मार्ग खोलकर ग़ज़ा पट्टी में पर्याप्त और तुरंत मदद पहुंचने दें और इसराइल की भुखमरी और जातीय सफ़ाए की नीति को ख़त्म करें."

इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) image https://new.oic-oci.org/ मुस्लिम देशों के संगठन ओआईसी ने भी इसराइली फ़ैसले के ख़िलाफ़ बयान जारी किया है

इस्लामिक सहयोग संगठन ने कहा कि ग़ज़ा पट्टी पर दोबारा क़ब्ज़ा करने और बड़ी संख्या में फ़लस्तीनियों को विस्थापित करने की योजना मौजूदा मानवीय स्थिति को और बिगाड़ सकती है.

बयान में मांग की गई, "संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद तुरंत और ठोस क़दम उठाकर स्थायी और व्यापक संघर्षविराम लागू करे, ग़ज़ा पट्टी के हर हिस्से में मानवीय मदद और ज़रूरी सामान की पर्याप्त मात्रा में बिना रुकावट आपूर्ति सुनिश्चित करे, फ़लस्तीनी लोगों के लिए प्रभावी अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा प्रदान करे."

ओआईसी ने कहा, "अंतरराष्ट्रीय समुदाय इसराइली क़ब्ज़ा ख़त्म करने के लिए ज़रूरी कदम उठाए ताकि फ़लस्तीनी लोग 1967 से क़ब्ज़ा किए गए क्षेत्रों पर अपनी स्वतंत्र राज्य की संप्रभुता हासिल कर सकें, जिसकी राजधानी यरूशलम हो."

तुर्की

तुर्की के विदेश मंत्रालय ने इसराइल के मक़सद पर सवाल उठाया और कहा कि यह फ़ैसला फ़लस्तीनियों के अधिकारों के ख़िलाफ़ है. बयान के अनुसार, "इसराइल का उद्देश्य फ़लस्तीनियों को उनकी अपनी ज़मीन से जबरन विस्थापित करना है."

संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार प्रमुख वोल्कर टर्क ने ग़ज़ा में तुरंत युद्ध रोकने की अपील की है और कहा है कि अगर हालात और बिगड़े तो इसके गंभीर नतीजे होंगे.

उन्होंने कहा है, "ऐसा होने पर बड़े पैमाने पर जबरन विस्थापन, हत्याएं और बेवजह की तबाही हो सकती है."

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इसराइल की योजना क्या है?

इसराइली प्रधानमंत्री कार्यालय से जारी बयान में कहा गया कि इसराइल डिफ़ेंस फ़ोर्सेज़ (आईडीएफ़) "ग़ज़ा सिटी पर नियंत्रण की तैयारी करेगी."

बयान में युद्ध को ख़त्म करने के लिए पांच "सिद्धांत" बताए गए हैं:

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कैबिनेट बैठक से पहले नेतन्याहू ने कहा था कि वह चाहते हैं कि इसराइल पूरे ग़ज़ा पर नियंत्रण करे, लेकिन नई योजना में सिर्फ़ ग़ज़ा सिटी का ज़िक्र है.

बीबीसी के मिडिल ईस्ट संवाददाता ह्यूगो बशेगा कहते हैं कि ग़ज़ा सिटी पर नियंत्रण ग़ज़ा पट्टी पर पूरे पैमाने पर क़ब्ज़ा करने का पहला चरण है.

हमास ने इस योजना को "एक नया युद्ध अपराध" क़रार देते हुए चेतावनी दी है कि "यह आपराधिक क़दम उसे भारी पड़ेगा और यह सफ़र आसान नहीं होगा."

इसराइल ने अंतरराष्ट्रीय आलोचना को ख़ारिज किया

इस बीच इसराइल ने अंतरराष्ट्रीय आलोचनाओं को ख़ारिज कर दिया है. रक्षा मंत्री इसराइल कात्ज़ ने कहा कि जो देश इसराइल की निंदा कर रहे हैं और प्रतिबंधों की धमकी दे रहे हैं, वे "हमारे हौसले को कमज़ोर नहीं कर पाएंगे."

उन्होंने कहा, "हमारे दुश्मन हमें और मज़बूत पाएंगे, जो उन्हें ज़ोरदार चोट पहुंचाएगी."

इस योजना की मुस्लिम देशों के साथ-साथ ब्रिटेन, फ्रांस और कनाडा ने भी निंदा की है, जबकि जर्मनी ने इसराइल को सैन्य निर्यात रोक दिया है.

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.

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