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पायलटों के बीच हुई बातचीत ने विमान हादसे की गुत्थी को क्या उलझा दिया है?

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Getty Images 40 सेकेंड से भी कम समय में विमान हादसे का शिकार हो गया था

एयर इंडिया विमान हादसे की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में एक चौंकाने वाली बात सामने आई है. 12 जून, 2025 में हुए इस हादसे में विमान में सवार और ज़मीन पर मौजूद कुल मिलाकर कम से कम 260 लोगों की मौत हुई थी.

टेकऑफ़ के कुछ ही सेकंड बाद, 12 साल पुराने बोइंग 787 ड्रीमलाइनर के फ़्यूल-कंट्रोल स्विच अचानक 'कट-ऑफ़' पोज़िशन में चले गए. इससे इंजनों को फ़्यूल मिलना बंद हो गया और इंजनों ने काम करना बंद कर दिया. 'कट-ऑफ़' स्विचिंग आमतौर पर लैंडिंग के बाद ही की जाती है.

कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डिंग में एक पायलट दूसरे से पूछता है कि उसने 'कट-ऑफ़ क्यों किया', दूसरे पायलट से जवाब मिलता है कि उसने ऐसा नहीं किया. रिकॉर्डिंग में यह स्पष्ट नहीं है कि कौन-सी आवाज़ किस पायलट की है. टेकऑफ़ के समय को-पायलट विमान उड़ा रहे थे और कैप्टन निगरानी कर रहे थे.

बाद में स्विच को दोबारा सामान्य इनफ़्लाइट पोज़िशन में कर दिया गया, जिससे ऑटोमैटिक इंजन के फिर से चालू होने की प्रक्रिया शुरू हो गई थी. हादसे के समय एक इंजन दोबारा पावर हासिल कर रहा था, जबकि दूसरा री-लाइट हो चुका था लेकिन उसमें अभी तक पूरी पावर नहीं आई थी.

एयर इंडिया फ़्लाइट 171 टेकऑफ़ के बाद लगभग 40 सेकेंड से भी कम समय तक हवा में रही, और फिर अहमदाबाद के एक घनी आबादी वाले इलाक़े पर गिर गई. यह भारत के सबसे रहस्यमय विमान हादसों में से एक बन गया है.

image BBC हादसे की संभावित वजह क्या हो सकती है?

जांचकर्ता यह समझने के लिए मलबे और कॉकपिट रिकॉर्डर की जांच कर रहे हैं कि टेकऑफ़ के तुरंत बाद क्या गड़बड़ी हुई.

एयर इंडिया की यह उड़ान साफ़ मौसम में 625 फ़ीट तक ऊपर गई थी, लेकिन 50 सेकेंड के भीतर इसकी लोकेशन से संबंधित डेटा ग़ायब हो गया.

शनिवार को जारी 15 पन्नों की रिपोर्ट में शुरुआती जानकारियां दी गई हैं.

यह जांच भारत की अगुवाई में हो रही है, जिसमें बोइंग, जनरल इलेक्ट्रिक (जीई), एयर इंडिया और भारतीय नियामकों के विशेषज्ञ शामिल हैं. साथ ही यूएस नेशनल ट्रांसपोर्टेशन सेफ़्टी बोर्ड और ब्रिटेन के विशेषज्ञों ने भी इसमें हिस्सा लिया है.

जांचकर्ताओं का कहना है कि लीवर-लॉक फ़्यूल स्विच इस तरह बनाए गए हैं कि वे ग़लती से चालू न हो सकें. इन्हें फ़्लिप करने से पहले ऊपर खींचकर अनलॉक करना पड़ता है.

यह सुरक्षा व्यवस्था 1950 के दशक से चली आ रही है. इन्हें बहुत उच्च मानकों पर बनाया गया है और ये बेहद भरोसेमंद माने जाते हैं. प्रोटेक्टिव गार्ड ब्रैकेट्स भी इन्हें ग़लती से किसी चीज़ से टकराने से बचाते हैं.

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कनाडा में मौजूद एक विमान दुर्घटना जांचकर्ता, जिन्होंने नाम ज़ाहिर न करने की शर्त पर बीबीसी से कहा, "एक ही हाथ से दोनों स्विच को एक साथ खींचना लगभग नामुमकिन है, इसलिए ग़लती से ऐसा होने की बहुत कम संभावना है."

इसी वजह से एयर इंडिया का यह मामला अलग नज़र आता है.

ओहायो स्टेट यूनिवर्सिटी के एविएशन एक्सपर्ट और पूर्व में एयरलाइन हादसों के जांचकर्ता रहे शॉन प्रुचनिक्की ने कहा, "यह सवाल ज़रूर उठता है कि क्या किसी भी पायलट ने स्विच को ऑफ़ पोज़िशन में किया."

उन्होंने बीबीसी से कहा, "यह आशंका कम लगती है, क्योंकि पायलटों ने किसी भी असामान्य चीज़ की रिपोर्ट नहीं की. इमरजेंसी में पायलट ग़लती से कोई और बटन दबा सकते हैं या ग़लत विकल्प चुन सकते हैं- लेकिन यहां ऐसी किसी स्थिति का कोई संकेत नहीं मिला था, न ही कोई बातचीत से ऐसा लग रहा है कि फ़्यूल स्विच से ग़लती से छेड़छाड़ हुई. इस तरह की ग़लती आमतौर पर तब नहीं होती जब तक कोई साफ़ वजह न हो."

पीटर गोएल्ज़ अमेरिका के नेशनल ट्रांसपोर्ट एंड सेफ्टी बोर्ड (एनटीएसबी) के मैनेजिंग डायरेक्टर रह चुके हैं.

उनका कहना है, "ऐसा संभव है कि कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर में इससे कहीं ज़्यादा जानकारी हो जो अब तक साझा नहीं की गई है. 'तुमने स्विच क्यों बंद किए' जैसी जानकारी पर्याप्त नहीं है."

कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर में पायलट माइक, रेडियो कॉल्स और कॉकपिट की आवाज़ें होती हैं. जानकारों का मानना है कि यह वॉयस रिकॉर्डर इस रहस्य में एक अहम कड़ी हो सकता है.

गोएल्ज़ ने कहा, "अब तक इन आवाज़ों की पहचान नहीं की गई है, जो बेहद ज़रूरी है. आमतौर पर जब वॉयस रिकॉर्डर की समीक्षा की जाती है, तो पायलटों को जानने वाले लोग मौजूद होते हैं ताकि आवाज़ों का मिलान किया जा सके."

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मौजूदा तकनीक कितनी कारगर?

विशेषज्ञों का कहना है कि आवाज़ की सही पहचान, कॉकपिट की पूरी बातचीत जिसमें यह दर्ज हो कि कौन क्या बोल रहा है और प्लेन के दरवाज़े बंद होने से लेकर हादसे तक हुई सभी बातचीत की गहराई से जांच ज़रूरी है.

वे यह भी कहते हैं कि यह घटना दिखाती है कि कॉकपिट वीडियो रिकॉर्डर की कितनी ज़रूरत है, जिसकी एनटीएसबी ने सिफारिश की थी. पायलट के कंधे से शूट किया गया वीडियो यह दिखा सकता था कि कट-ऑफ़ स्विच पर किसका हाथ था.

रिपोर्ट के अनुसार, फ़्लाइट में सवार होने से पहले दोनों पायलटों और क्रू ने ब्रीथ एनालाइज़र टेस्ट पास किया था और उन्हें उड़ान के लिए फ़िट घोषित किया गया था. दोनों पायलट मुंबई के थे और उड़ान से एक दिन पहले अहमदाबाद पहुंचे थे. उन्हें पर्याप्त आराम भी मिला था.

रिपोर्ट में कहा गया है कि दिसंबर 2018 में अमेरिकी फे़डरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन ने एक स्पेशल एयरवर्थीनेस इंफ़ॉर्मेशन बुलेटिन (एसएआईबी) जारी किया था. इसमें बताया गया था कि कुछ बोइंग 737 विमानों में ऐसे फ्यूल कंट्रोल स्विच इंस्टॉल किए गए थे जिनमें लॉकिंग फ़ीचर एक्टिव नहीं था.

हालांकि, इस गड़बड़ी को नोट किया गया था, लेकिन इसे इतना गंभीर नहीं माना गया कि इसके लिए क़ानूनी रूप से लागू की जाने वाले सुरक्षा निर्देश जारी किए जाएं.

बोइंग 787-8 एयरक्राफ़्ट में इसी स्विच डिज़ाइन का इस्तेमाल होता है. इसमें हादसे का शिकार होने वाला एयर इंडिया का वीटी-एएनबी विमान शामिल है. चूंकि एसएआईबी की बात सिर्फ़ एक सलाह थी, इसलिए एयर इंडिया ने वह जांच नहीं कराई जो उसकी तरफ़ से सुझाई गई थी.

image BBC फ़्यूल कंट्रोल स्विच पर जानकारों की राय

प्रुचनिक्की का कहना है कि वह ये सोच रहे हैं कि कहीं फ़्यूल कंट्रोल स्विच में कोई दिक्कत तो नहीं थी.

उन्होंने कहा, "इस रिपोर्ट का असल मतलब क्या है? क्या इसका मतलब यह है कि एक ही बार स्विच फ़्लिप करने से इंजन बंद हो सकता है और फ़्यूल सप्लाई रुक सकती है? जब लॉकिंग फ़ीचर निष्क्रिय हो जाता है, तो असल में क्या होता है? क्या स्विच अपने आप ऑफ़ पोज़िशन में जा सकता है और इंजन बंद कर सकता है? अगर ऐसा है तो यह वाक़ई गंभीर मामला है. और अगर नहीं, तो इसे भी साफ़ किया जाना चाहिए."

हालांकि, कुछ अन्य लोगों को लगता कि यह कोई बड़ा मुद्दा नहीं है.

गोएल्ज़ का कहना है, "मैंने इसके बारे में नहीं सुना है, और यह एफ़एए (अमेरिकी विमानन प्राधिकरण) की कोई कम चर्चित जानकारी लगती है. मैंने पायलटों की तरफ़ से (फ़्यूल स्विच को लेकर) कोई शिकायत नहीं सुनी है- जबकि पायलट आम तौर पर ऐसी बातों पर तुरंत प्रतिक्रिया देते हैं. चूंकि इसका ज़िक्र हुआ है, इसलिए इसकी जांच की जानी चाहिए, लेकिन यह ध्यान भटकाने वाली बात भी हो सकती है."

कैप्टन किशोर चिंटा भारत के एयरक्राफ़्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (एएआईबी) में जांचकर्ता रह चुके हैं. वह शंका ज़ाहिर करते हुए कहते हैं कि कहीं स्विच विमान की इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल यूनिट की वजह से तो ट्रिप नहीं हुए.

उन्होंने बीबीसी से कहा, "क्या फ़्यूल कट-ऑफ़ स्विच पायलट की हरकत के बिना ही विमान की इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल यूनिट द्वारा इलेक्ट्रॉनिक रूप से एक्टिवेट हो सकते हैं? अगर स्विच इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल यूनिट की वजह से ट्रिप हुए, तो यह चिंता की बात है."

रिपोर्ट में कहा गया है कि रिफ़्यूलिंग टैंकों से लिए गए फ़्यूल सैंपल 'संतोषजनक' पाए गए. विशेषज्ञों ने पहले दो इंजन फ़ेल होने की एक वजह फ़्यूल में मिलावट को माना था.

ग़ौर करने वाली बात है कि बोइंग 787 या इसके जीई जीईएनएक्स-1बी इंजनों के लिए अब तक कोई एडवाइज़री जारी नहीं की गई है, क्योंकि तकनीकी ख़राबी को फ़िलहाल जांच पूरी होने तक बाहर रखा गया है.

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि विमान की रैम एयर टर्बाइन (रैट) एक्टिव हो गई थी, जो एक बड़ा सिस्टम फ़ेल होने का साफ़ संकेत है और लैंडिंग गियर 'डाउन पोज़िशन' में पाया गया, यानी उसे वापस नहीं खींचा गया था.

रैट, एक छोटी प्रोपेलर होती है जो बोइंग 787 ड्रीमलाइनर के नीचे से निकलती है. यह इमरजेंसी में बैकअप जनरेटर की तरह काम करती है. जब दोनों इंजन पावर खो देते हैं या तीनों हाइड्रॉलिक सिस्टम में दबाव बेहद कम हो जाता है, तो यह अपने आप एक्टिव हो जाती है और ज़रूरी उड़ान सिस्टम को सीमित पावर देती है ताकि वे काम करते रहें.

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प्रुचनिक्की ने कहा, "रैम एयर टरबाइन (रैट) का एक्टिव होना इस बात को मज़बूती से दिखाता है कि दोनों इंजन फ़ेल हो चुके थे."

एक बोइंग 787 पायलट ने बताया कि उन्हें क्यों लगता है कि लैंडिंग गियर को ऊपर नहीं खींचा गया.

उन्होंने कहा, "आजकल जब भी मैं 787 से टेकऑफ़ करता हूँ, मैं लैंडिंग गियर रिट्रैक्शन प्रक्रिया पर ध्यान देता हूँ. जैसे ही गियर हैंडल खींचा जाता है, हम लगभग 200 फ़ीट (60.9 मीटर) की ऊंचाई पर होते हैं. पूरा रिट्रैक्शन एयरक्राफ़्ट के हाई-प्रेशर हाइड्रॉलिक सिस्टम की वजह से लगभग 400 फ़ीट तक यानी आठ सेकंड में पूरा हो जाता है."

पायलट का मानना है कि जो पायलट विमान उड़ा रहा था, उसके पास सोचने का समय ही नहीं था.

पायलट के मुताबिक़, "जब दोनों इंजन फ़ेल हो जाते हैं और विमान नीचे जाने लगता है, तो प्रतिक्रिया सिर्फ चौंकने की नहीं रहती बल्कि इंसान सुन्न हो जाता है. उस पल में लैंडिंग गियर का ध्यान नहीं रहता. ध्यान होता है बस एक चीज़ पर: फ्लाइट पाथ. मैं इस विमान को कहां सुरक्षित उतार सकता हूं? इस मामले में ऊंचाई इतनी नहीं थी कि कुछ किया जा सके."

जांचकर्ताओं का कहना है कि क्रू ने स्थिति संभालने की कोशिश की, लेकिन सब कुछ बहुत तेज़ी से हुआ.

प्रुचनिक्की ने बताया, "इंजन पहले बंद हुए और फिर दोबारा ऑन किए गए. पायलटों को एहसास हुआ कि इंजन ताक़त खो रहे हैं. संभव है कि पहले बायां इंजन दोबारा चालू किया गया, फिर दायां."

प्रुचनिक्की के मुताबिक़, "लेकिन दाएं इंजन को पूरी ताक़त हासिल करने के लिए समय नहीं मिला, और जो ताक़त थी, वह काफ़ी नहीं थी. दोनों को अंत में 'रन' पोज़िशन में रखा गया, लेकिन बायां इंजन पहले बंद हुआ और दायां देर से रिकवर हुआ."

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित

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