कुछ तो फैन्स थे और कुछ 'सिर्फ़ मौज-मस्ती' के लिए गए थे. लेकिन दोनों तरह के लोग भगदड़ के शिकार हुए, जिसने खुशी के इस मौके को न सिर्फ़ मृतकों के परिवारों के लिए बल्कि दूसरों के लिए भी एक भयावह अनुभव बना दिया.
शामिली नाम की एक युवती वहां अपनी बहन और दोस्तों के साथ सिर्फ़ मस्ती के लिए गई थी. उन्होंने कहा, ''मैं तो यहां सिर्फ़ मौज-मस्ती के लिए आई थी. मैं तो फैन भी नहीं हूं." लेकिन सिर्फ मस्ती के उनके इस सफ़र ने उन्हें अस्पताल में पहुंचा दिया. अस्पताल में वह रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (आरसीबी) की टी-शर्ट में थीं और इस पर विराट और नंबर 18 लिखा था.
अस्पताल में अपने बिस्तर से उन्होंने बीबीसी हिंदी को बताया, ''मैं अपनी बहन और दोस्तों से ये कहती रही कि अब चलो यहां, चलो यहां से क्योंकि वहां भारी धक्का-मुक्की हो रही थी. अचानक मुझे अहसास हुआ कि मैं ज़मीन पर गिरी हुई हूं. इसके बाद मैं लोगों की भीड़ में कुचल गई. मैंने सोचा अब तो मैं बस मरने जा रही हूं.''
शामिली का मामला उन दूसरों से काफी अलग था जो स्टेडियम के आसपास के इलाके में आए थे. आरसीबी की टीम को क्रिकेट स्टेडियम के पास से गुजरना था और फिर लौटकर उसी स्टेडियम में प्रवेश करना था. इसी खचाखच भरे चिन्नास्वामी स्टेडियम में उनका सम्मान समारोह आयोजित किया गया था.
चिन्नास्वामी स्टेडियम की क्षमता 30 से 35 हजार दर्शकों की है लेकिन पुलिस का अंदाज़ा था कि एक लाख से ज्यादा की भीड़ नहीं आएगी.
हालांकि पुलिस अधिकारियों के ज्यादातर आकलनों के मुताबिक़ भीड़ इससे भी दोगुनी हो गई थी. एक आकलन के मुताबिक़ भीड़ तीन लाख के आंकड़े को भी पार कर गई थी.
हालांकि राज्य के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा है कि वहां दो लाख लोगों की भीड़ पहुंच गई थी.

एक पुलिस अफ़सर का कहना है स्टेडियम और विधान सौध (विधानसभा) के आसपास जमा भीड़ 'उन्मादी' हो गई थी.
विधान सौध में गवर्नर थावरचंद गहलोत, मुख्यमंत्री सिद्दारमैया और उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने आईपीएल जीतने वाली टीम आरसीबी के खिलाड़ियों को सम्मानित किया था.
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शामिली ने बताया, ''फिर मैं अचानक बेहोश हो गई. लोगोंं ने मेरे मुंह पर पानी छिड़का और मुझे होश में लाने की कोशिश की. इसके पास मैं स्टेडियम के गेट नंबर छह के नजदीक फुटपाथ पर बैठ गई. लेकिन मेरे पेट में असहनीय दर्द था.''
पेट में असहनीय दर्द होने की वजह से शामिली को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा.
उन्होंने बताया, ''डॉक्टरों ने स्कैन करके बताया कि ये सिर्फ़ मांसपेशियों का दर्द है, चिंता की बात नहीं है. लेकिन मैं डरी हुई हूं.''
उन्हें डॉक्टरों की निगरानी में रखा गया है. शामिली की तरह एक और युवक भी अस्पताल में भर्ती है. ये युवक वहां बेंगलुरू में इंजीनियरिंग का कोर्स कर रहा है.
हनीफ़ मोहम्मद नाम के इस युवक ने बीबीसी हिंदी को बताया, ''मैं खड़ा होकर भीड़ को देख रहा था. मेरा स्टेडियम के अंदर जाने का कोई इरादा नहीं था क्योंकि मेरे पास कोई पास या टिकट नहीं था. लेकिन तभी हर तरफ लोग दौड़ते हुए नजर आए और पुलिस ने लोगों पर लाठियां बरसानी शुरू कर दी. वे न तो जमीन पर लाठी पटक रहे थे और ना ही पैरों पर. एक पुलिस वाले ने मेरे सिर पर लाठी मार दी. ये सब स्टेडियम के मेन गेट के सामने हो रहा था.''

हनीफ़ ने भागने की कोशिश की लेकिन सिर पर लाठी लगने से वो आगे नहीं बढ़ पाए. विजयापुरा में रहने वाले इस युवक ने बताया, ''मैंने पुलिसवाले को अपने सिर से बहता खून दिखाया. इसके बाद मुझे तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया. डॉक्टरों ने बताया कि ये बाहरी चोट है लेकिन मुझे कुछ दिन घर पर आराम करने को कहा है.''
हनीफ़ की तरह, कॉमर्स के अंतिम वर्ष के छात्र मनोज भी वहां से गुजरने वाले जुलूस को देखने के लिए खड़े थे.
उन्होंने बताया कि भीड़ बढ़ने के साथ ही धक्का-मुक्की शुरू हो गई. उसी दौरान स्टेडियम के एंट्रेस पर लगा एक पुलिस बैरिकेड उनके पैर पर गिर गया. उन्होंने बताया, ''मैं बैरिकेड के नज़दीक था. भीड़ की वजह से बैरिकेड मेरे दाएं पैर पर गिर गया.''
वह अपना पूरा नाम नहीं बता रहे थे क्योंकि वो नहीं चाहते थे कि उनके परिवार को ये पता चले कि वो वहां गए थे और घायल हो गए हैं.
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ये सिर्फ़ युवाओं के घायल होने की कुछ घटनाएं थीं.
लेकिन कोई नहीं जानता कि बुधवार को हुई भगदड़ में 11 लोगों की मौत किन हालात में हुई थी.
उनकी उम्र को देखते हुए ऐसा लग रहा है कि कुछ लोगों को ऐसी भारी भीड़ के समय ख़तरे का अंदाज़ा भी नहीं होगा.
नाम न ज़ाहिर किए जाने की शर्त पर एक सरकारी डॉक्टर ने बीबीसी हिंदी से कहा, ''सबसे छोटा बच्चा 13 साल का था. ये समझना मुश्किल है कि इतना छोटा बच्चा वहां इस तरह की भीड़ में क्या कर रहा था."
जो अन्य पांच लोग इस अस्पताल में आए थे उनकी उम्र 17, 20, 25, 27 और 33 साल थी.
अस्पताल और स्थानीय पुलिसकर्मी भगदड़ में मारी गई एक युवती के रिश्तेदारों और सहकर्मियों से ही संपर्क कर पाए, बाकी मृतकों के परिवार के सदस्यों से संपर्क नहीं हो पाया है.
ड्यूटी पर मौजूद एक पुलिसकर्मी ने बताया, ''मारे गए लोगों में कोई भी बेंगलुरु का नहीं था. इनमें से हर कोई कर्नाटक या पड़ोसी राज्यों आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के अलग-अलग जिलों का था.''
पुलिसकर्मी ने बताया, '' हम अभी इनमें से दो-चार लोगों के रिश्तेदारों से भी संपर्क नहीं कर पाए हैं. मारे गए लोगों के फोन या तो खो चुके हैं या फिर चुरा लिए गए हैं.''
अस्पताल में मौजूद एक डॉक्टर ने बताया कि मृतकों में से ज्यादातर लोग अस्पताल में लाए जाने से पहले ही दम तोड़ चुके थे. ये लोग दम घुटने या पसलियां टूटने से मर गए थे. भगदड़ जहां हुई थी वहां तक एंबुलेंस का पहुंचना भी मुश्किल हो रहा था कि क्योंकि रास्ते में भारी भीड़ जमा थी.
'भीड़ संभालने की कोई तैयारी नहीं थी'
लेकिन जब चिन्नास्वामी स्टेडियम के आसपास की सड़कों पर पूरी तरह अव्यवस्था का आलम था और ज़िंदगी ठहर सी गई थी, उस समय राज्यपाल, मुख्यमंत्री और उनके कैबिनेट मंत्रियों की ओर से विधान सौध की सीढ़ियों पर सम्मानित होने के बाद आरसीबी की टीम स्टेडियम में घुस चुकी थी.
एक युवक ने नाम न बताने की शर्त पर बताया, ''वे जीत की खुशी में स्टेडियम में चारों ओर दौड़ लगा रहे थे. स्टेडियम के अंदर इस बात कोई संकेत नहीं था कि बाहर क्या हुआ है.''
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा, ''खुशी का मौका ग़म में बदल गया.'' उन्होंने पूरी घटना की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए हैं.
भगदड़ में घायल एक शख़्स के रिश्तेदार ने इस संवाददाता से कहा, ''आमतौर पर इस तरह का सम्मान समारोह ऐसे माहौल में किया जाता है जहां हालात नियंत्रण में हों. ये स्टेडियम या कोई और जगह हो सकती थी. लेकिन हालात नियंत्रण में रखना जरूरी था. लेकिन इस घटना को देख कर ऐसा लगता है कि यहां ऐसी कोई तैयारी नहीं थी.''
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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