अमेरिकी नेवी की स्ट्राइक फ़ोर्स दुनिया के सबसे बड़े युद्धपोत यूएसएस जेराल्ड आर फ़ोर्ड के नेतृत्व में कैरेबियन सागर में तैनात कर दी गई है.
यह तैनाती पिछले महीने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आदेश पर हुई थी.
यह पूरा घटनाक्रम ऐसे समय में हुआ है जब अमेरिका कैरेबियन सागर में कथित तौर पर ड्रग्स ले जा रही नौकाओं पर हमले कर रहा है और वेनेज़ुएला के साथ तनाव बढ़ा हुआ है.
अमेरिका अब तक कैरेबियन और पूर्वी प्रशांत क्षेत्र में कम से कम 19 हमले कर चुका है, जिनमें कम से कम 76 लोगों की मौत हुई है.
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दशकों के सैन्य विस्तार के बाद अमेरिका ने अब कैरेबियन सागर में अपनी सैन्य मौजूदगी बढ़ा दी है.
हाल ही में इस इलाक़े में मादक पदार्थों की तस्करी में कथित रूप से शामिल कई छोटी नावों पर हमला किया गया है.
हालांकि अमेरिका ने इस बात का कोई सबूत नहीं दिया है कि इन हमलों में नष्ट हुई नावें अवैध गतिविधियों में शामिल थीं, न ही उसने इन हमलों में मारे गए लोगों की जानकारी साझा की है.
वेनेज़ुएला ने लगाया संकट पैदा करने का आरोपविशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका के इस कदम से कैरेबियन सागर में तनाव बढ़ेगा.
वेनेज़ुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो और अन्य अधिकारियों ने अमेरिका पर 'संकट पैदा करने' और देश की वामपंथी समाजवादी सरकार को गिराने की कोशिश करने का आरोप लगाया है.
दूसरी ओर ट्रंप प्रशासन और कोलंबिया के राष्ट्रपति गुस्तावो पेत्रो की सरकार के बीच भी तनाव बढ़ा है. ट्रंप ने पेत्रो को 'गुंडा और ख़राब इंसान' बताया था.
मंगलवार को पेत्रो ने अपने देश की सुरक्षा एजेंसियों को आदेश दिया कि वे अमेरिकी एजेंसियों के साथ ख़ुफ़िया जानकारी साझा करना तब तक रोक दें जब तक कैरेबियन क्षेत्र में नौकाओं पर हमले बंद नहीं होते.
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर लिखा कि मादक पदार्थों के ख़िलाफ़ लड़ाई 'कैरेबियन लोगों के मानवाधिकारों के मातहत' होनी चाहिए.
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BBC अमेरिकी नौसेना ने एक बयान में बताया कि स्ट्राइक ग्रुप 11 नवंबर को यूएस सदर्न कमांड के ऑपरेशन एरिया में दाखिल हुआ. इसके कार्य क्षेत्र में लैटिन अमेरिका और कैरेबियन इलाक़ा आता है.
इस तैनाती में यूएसएस जेराल्ड आर फ़ोर्ड एयरक्राफ्ट कैरियर शामिल है, जिसमें 4,000 से ज़्यादा नौसैनिक और दर्जनों विमान हैं. इसके साथ मिसाइल डेस्ट्रॉयर जहाज़ और अन्य नौसैनिक पोत भी शामिल हैं.
पेंटागन के प्रवक्ता सीन पार्नेल ने कहा कि यह फ़ोर्स 'अवैध गतिविधियों का पता लगाने, उन्हें रोकने और बाधित करने की अमेरिकी क्षमता को मज़बूत करेगी' और 'नशीले पदार्थों की तस्करी और आपराधिक नेटवर्क को रोकने' में मदद करेगी.
यह कैरियर पहले से ही क्षेत्र में तैनात अन्य बलों के साथ होगा, जिनमें हज़ारों सैनिक, एक परमाणु-संचालित पनडुब्बी और प्यूर्टो रिको में तैनात फ़ाइटर जेट शामिल हैं.
साझे तौर पर यह पिछले कई दशकों में लैटिन अमेरिका में अमेरिकी सैन्य मौजूदगी का सबसे बड़ा समूह है.
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अमेरिका लगातार इस इलाक़े में कथित तौर पर ड्रग्स से जुड़ी नौकाओं पर हमले कर रहा है. ट्रंप प्रशासन का कहना है कि ये हमले अमेरिका में ड्रग्स की तस्करी रोकने के लिए ज़रूरी हैं.
इस हफ्ते की शुरुआत में अमेरिका ने प्रशांत क्षेत्र में दो और हमलों की घोषणा की, जिनमें छह लोगों की मौत हुई.
इन हमलों ने न केवल कोलंबिया और वेनेज़ुएला की सरकारों के साथ तनाव बढ़ाया है, बल्कि कुछ पर्यवेक्षकों ने मानवाधिकार और न्यायिक प्रक्रिया के उल्लंघन को लेकर भी चिंता जताई है.
कोलंबिया के राष्ट्रपति पेत्रो को भी ड्रग्स तस्करी समूहों के प्रति नरम रुख़ के कारण आलोचना और अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना करना पड़ा है.
मंगलवार को कोलंबिया की सेना ने बताया कि उसने अमेज़न क्षेत्र में ड्रग्स से जुड़े एक गुरिल्ला संगठन पर हवाई हमला किया, जिसमें 19 लोग मारे गए.
नवंबर की शुरुआत में ट्रंप ने इस आशंका को ख़ारिज कर दिया था कि वे वेनेज़ुएला की सरकार को गिराने या युद्ध शुरू करने की योजना बना रहे हैं.
बीबीसी के अमेरिकी सहयोगी चैनल सीबीएस को दिए एक इंटरव्यू में ट्रंप ने कहा था, "हर एक नाव जिसे नष्ट किया जाता है, उससे ड्रग्स से 25,000 लोगों की जान बचती है और हमारे देश के परिवारों को तबाही से बचाती है."
जब उनसे पूछा गया कि क्या अमेरिका ज़मीनी हमले की भी योजना बना रहा है, तो ट्रंप ने इससे इनकार नहीं किया.
उन्होंने कहा, "मैं यह नहीं कहूंगा कि मैं ऐसा करूंगा या नहीं करूंगा... मैं आपको यह नहीं बताने वाला कि मैं वेनेज़ुएला के साथ क्या करूंगा या नहीं करूंगा."
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