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ब्रिटेन के साथ व्यापार समझौता, भारत के लिए कितना फ़ायदे का सौदा

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Getty Images भारत और ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते पर लंबे समय से बातचीत कर रहे थे

भारत और ब्रिटेन के बीच बीते तीन साल से रुक-रुक कर चल रहे एफ़टीए यानी मुक्त व्यापार समझौते पर सहमति बन गई है.

इस समझौते में अधिकांश वस्तुओं और सेवाओं से टैरिफ़ हटाने का प्रावधान है. इससे भारत के वस्त्र उद्योग को भारी राहत मिलने की उम्मीद जताई जा रही है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक महत्वाकांक्षी और आपसी लाभकारी फ़्री ट्रेड एग्रीमेंट वार्ता के सफलतापूर्वक संपन्न होने को 'ऐतिहासिक मील का पत्थर' बताया. उन्होंने कहा कि ब्रिटेन के प्रधानमंत्री किएर स्टार्मर से उन्होंने फ़ोन पर बात की है और उन्हें भारत आने का न्योता दिया है.

पीएम मोदी ने एक्स पर , "यह द्विपक्षीय व्यापक रणनीतिक साझेदारी में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर है, जो दोनों अर्थव्यवस्थाओं में व्यापार, निवेश, इनोवेशन और रोज़गार सृजन को बढ़ावा देगा."

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बीबीसी न्यूज़ की बिज़नेस रिपोर्टर लूसी हूकर के अनुसार, इस समझौते से ब्रिटेन की कंपनियों के लिए भारत को व्हिस्की, कार और अन्य उत्पादों का निर्यात करना आसान हो जाएगा और भारत के कपड़ों और जूतों के निर्यात पर टैरिफ़ से छूट मिलेगी.

ब्रिटिश सरकार ने कहा कि इस समझौते में ब्रिटेन में पढ़ने वाले भारतीय छात्रों सहित आव्रजन नीति में कोई बदलाव शामिल नहीं है.

व्यापार सचिव जोनाथन रेनॉल्ड्स ने कहा है कि ब्रिटेन के व्यवसायों और उपभोक्ताओं के लिए इस समझौते से 'बहुत बड़ा लाभ' होगा.

भारत और ब्रिटेन के बीच पिछले साल क़रीब 55 अरब डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार हुआ था. ब्रिटेन की सरकार का कहना है कि इस समझौते से 2040 तक इसमें 33.42 अरब डॉलर का इजाफ़ा होगा.

पीएम मोदी ने क्या कहा? image BBC

मंगलवार की शाम एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "यह एक ऐतिहासिक दिन है. कुछ देर पहले ही ब्रिटेन के प्रधानमंत्री से बात हुई. मुझे ये बताते हुए ख़ुशी हो रही है कि इंडिया यूके फ़्री ट्रेड एग्रीमेंट अब फ़ाइनल हो चुका है."

उन्होंने , "विश्व की दो बड़ी बाज़ार अर्थव्यवस्थाओं के बीच आपसी व्यापार और आर्थिक सहयोग का यह समझौता, दोनों देशों के विकास में नया अध्याय जोड़ेगा. यह हमारे युवाओं के लिए भी बड़ी ख़ुशख़बरी है. इससे भारत में आर्थिक गतिविधियों को दम मिलेगा और भारतीय बिज़नेस और छोटे-मझौले उद्योगों के लिए नए अवसर खुलेंगे."

उन्होंने कहा कि इससे पहले भारत ने यूएई, ऑस्ट्रेलिया और मॉरीशस के साथ भी व्यापार समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं.

ब्रिटेन के लिए कितना बड़ा है यह समझौता image Getty Images ब्रिटेन की ट्रेडिशनल व्हिस्की और दूसरी शराब पर भारत में टैरिफ़ आधा हो जाएगा

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के टैरिफ़ घोषणाओं से वैश्विक अर्थव्यवस्था में आई अनिश्चितता के बीच हुए इस समझौते को आर्थिक विश्लेषक बहुत महत्वपूर्ण मान रहे हैं.

लंदन में मौजूद वरिष्ठ पत्रकार ज़ुबैर अहमद ने बीबीसी पॉडकास्ट कार्यक्रम दिनभर में बीबीसी संवाददाता मानसी दाश से कहा, "यह बहुत बड़ी डील है. जैसे ही पीएम मोदी ने सोशल मीडिया पर इसकी ख़बर दी, ब्रिटेन के कई मीडिया संस्थानों ने इसे ब्रेकिंग की तरह चलाया."

उन्होंने कहा, "इस समझौते को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री किएर स्टार्मर की बहुत बड़ी उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है हालांकि इसकी बुनियाद 2022 में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने रखी थी."

कहा जा रहा है कि ब्रिटेन का भारत में निर्यात बढ़ेगा और इससे वहां रोज़गार के अवसर पैदा होंगे. ब्रिटेन में बनी शराब जिन और व्हिस्की पर टैरिफ़ आधे होकर 75% हो जाएंगे और आने वाले सालों में इनमें और कमी आएगी.

कारों, एयरोस्पेस, इलेक्ट्रिकल्स और ब्रिटेन के कुछ खाद्य पदार्थों पर टैरिफ़ कम होगा, जैसे मांस, बिस्कुट और चॉकलेट आदि.

ज़ुबैर अहमद कहते हैं, "भारत में ब्रिटेन की व्हिस्की और जिन पर 150 प्रतिशत टैरिफ़ था. अब यह आधा हो जाएगा. इन उत्पादों के निर्यातकों को इस समझौते से आधे अरब डॉलर का फ़ायदा होगा, जिसके एक अरब डॉलर तक पहुंचने की संभावना है."

उनके अनुसार, "इसीलिए ब्रिटेन के व्यापार जगत से इस समझौते को लेकर उत्साहजनक प्रतिक्रियाएं आ रही हैं और इसे एक बहुत बड़ी उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है."

ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था संकटों से गुजर रही है. अमेरिकी टैरिफ़ की घोषणाओं से व्यापार युद्ध के ख़तरे के बीच यूरोप और ब्रिटेन बाकी देशों से व्यापार समझौते की कोशिश में जुटे हुए हैं.

कहा जा रहा है कि 2020 में ब्रेक्सिट के बाद ब्रिटेन का किसी दूसरे देश के साथ यह सबसे बड़ा व्यापारिक समझौता है.

ज़ुबैर अहमद कहते हैं, "यह समझौता ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था के लिए बहुत अच्छा माना जा रहा है."

भारत के लिए कितना अहम यह समझौता image Getty Images इस समझौते से भारत के वस्त्र उद्योग को फ़ायदा होने की उम्मीद है

ग्लोबल इनिशिएटिव रिसर्च के निदेशक अजय श्रीवास्तव का कहना है कि इस समझौते से द्विपक्षीय व्यापार के और बढ़ने की संभावना है.

बीबीसी के इसी पॉडकास्ट कार्यक्रम में बीबीसी संवाददाता दिलनावाज़ पाशा ने अजय श्रीवास्तव से पूछा कि भारत के लिए इसके क्या मायने हैं, तो उन्होंने कहा, "भारत के काफ़ी उत्पाद जैसे टेक्सटाइल्स, फ़ुटवेयर, कालीन, कार और सी फ़ूड्स ब्रिटेन को निर्यात होते हैं. आज के समय ब्रिटेन में इन उत्पादों पर चार से 16 प्रतिशत तक टैरिफ़ है."

वो कहते हैं, "हम आशा करते हैं कि इन उत्पादों पर जब ब्रिटेन में टैरिफ़ कम होगा तो भारत से इनका निर्यात भी बढ़ेगा. हालांकि कुछ भारतीय उत्पादों पर यूके में टैरिफ़ नहीं है जैसे पेट्रोलियम या डायमंड्स. लेकिन ब्रिटेन के 90 प्रतिशत उत्पादों पर भारत में टैरिफ़ है. इनमें काफ़ी उत्पादों पर भारत टैरिफ़ शून्य करेगा और इसका लाभ ब्रिटेन के निर्यातकों को मिलेगा."

प्रधानमंत्री मोदी ने एक्स पर समझौते की जानकारी देते हुए दोनों देशों के बीच डबल कांट्रीब्यूशन कन्वेंशन पर सहमति का ज़िक्र किया है.

अजय श्रीवास्तव कहते हैं, "इस समझौते से ब्रिटेन में जाने वाले भारतीय पेशेवर सोशल सिक्योरिटी बेनेफ़िट पाने के हक़दार हो जाएंगे. आज उन्हें यह लाभ नहीं मिलता है. यह बहुत अच्छा फ़ैसला है."

image Getty Images भारत और ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार समझौते को लेकर तीन सालों से वार्ता हो रही थी

बीबीसी बिज़नेस रिपोर्टर लूसी हूकर के अनुसार, भारतीय प्रोफ़ेशनल्स को सोशल सिक्योरिटी बेनेफ़िट में तीन साल की छूट मिलेगी.

वह कहते हैं, "एक ही समस्या है, कार्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट जिसे ब्रिटेन अगले साल जनवरी से लागू करने वाला है. अब देखना है कि दोनों देशों ने इस मुद्दे को एफ़टीए में कैसे हैंडल किया है. अगर इसमें कुछ समस्या रहती है तो होगा ये कि यूके से आने वाले उत्पाद तो शून्य टैरिफ़ पर आएंगे लेकिन भारत के उत्पादों को कार्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट का टैक्स देना पड़ सकता है."

बिजनेस लॉबी ग्रुप 'सीबीआई' के मुख्य कार्यकारी रेन न्यूटन-स्मिथ ने इस समझौते का स्वागत किया है और ट्रंप के टैरिफ़ की लहर के बाद "संरक्षणवाद के भूत के बीच आशा की किरण" बताया है.

कई आर्थिक विश्लेषक हाल के सालों में ये अनुमान लगाते रहे हैं कि भारत जल्द ही दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2030 तक निर्यात के 1 ट्रिलियन डॉलर तक बढ़ने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है और इस मक़सद में ब्रिटेन सबसे उच्च प्राथमिकता वाला व्यापारिक साझेदार है.

संचार फर्म एसईसी न्यूगेट की एली रेनिसन और एक पूर्व सरकारी व्यापार सलाहकार ने कहा, "भारत के आकार, विकास दर और इसके बाज़ार तक पहुंचने में मौजूदा भारी बाधाओं के कारण यह डील संभावित रूप से परिवर्तनकारी है."

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित

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