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'वोटर लिस्ट में नाम नहीं होने' के तेजस्वी यादव के दावे के बाद निर्वाचन आयोग ने उठाया ये क़दम

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Santosh Kumar/Hindustan Times via Getty Images

बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव के चुनाव आयोग पर आरोप के बाद अब चुनाव आयोग ने उन्हें नोटिस जारी कर अपना ईपीआईसी कार्ड (मतदाता फोटो पहचान पत्र) आयोग के पास जमा करने को कहा है.

मामला ये है कि शुक्रवार यानी बिहार में हुए विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के तहत चुनाव आयोग ने एक अगस्त को मतदाता सूची की पहली ड्राफ्ट लिस्ट जारी की थी. इसके बाद शनिवार को तेजस्वी यादव ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दावा किया कि इस ड्राफ्ट लिस्ट में उनका नाम नहीं है.

शनिवार को ही पहले पटना जिला प्रशासन और फिर चुनाव आयोग ने उनके इस दावे को बेबुनियाद बताया और कहा कि उनका नाम लिस्ट में मौजूद है. इसके समर्थन में पटना जिला प्रशासन ने तस्वीर भी पोस्ट की.

मामले ने यहीं से नया मोड़ लिया. तेजस्वी यादव ने जब दावा किया कि उनका नाम वोटर लिस्ट में नहीं है उन्होंने एक ईपीआईसी नंबर बताया. बाद में जब प्रशासन ने उनका नाम होने की जानकारी दी तो उसमें दूसरा ईपीआईसी नंबर था.

ऐसे में अब रविवार को चुनाव आयोग ने तेजस्वी को नोटिस जारी कर अपना ईपीआीसी जमा करने को कहा है.

बिहार में इस साल के आख़िर में विधानसभा चुनाव होने हैं और विपक्ष चुनाव से ठीक पहले मतदाता सूची विशेष गहन पुनरीक्षण की मंशा को लेकर सवाल उठा रहा है.

विपक्षी नेताओं का ये भी कहना है कि इतने कम वक्त में इतने बड़े पैमाने पर ये काम संभव नहीं है.

चुनाव आयोग का नोटिस image BBC

रविवार यानी 3 अगस्त को चुनाव आयोग ने तेजस्वी यादव को एक नोटिस जारी किया और कहा कि जांच के लिए उन्हें अपना ईपीआईसी कार्ड चुनाव आयोग को देना होगा, चुनाव आयोग का कहना है कि ये कार्ड आधिकारिक तौर पर उन्हें जारी नहीं किया गया है.

चुनाव आयोग का ये नोटिस तेजस्वी यादव को टैग करते हुए पटना जिला प्रशासन ने ट्वीट किया है. इसमें कहा गया है कि, "जांच में यह पाया गया है कि आपका नाम मतदान केंद्र संख्या 204 (बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय का पुस्तकालय भवन) के क्रम संख्या 416 पर अंकित है."

इसमें आगे लिखा गया है, "आपके प्रेस वार्ता में आपके अनुसार आपका ईपीआईसी नंबर कुछ और है. प्राथमिक जांच के अनुसार ये ईपीआईसी संख्या आधिकारिक रूप से आपकी प्रतीत नहीं होती. इसलिए आपसे अनुरोध है कि दो अगस्त को आपके द्वारा आयोजित प्रेस वार्ता में बताए गए ईपीआईसी कार्ड का विवरण (कार्ड की मूल कॉपी के साथ) निर्वाचन अधिकारी को दे दें ताकि इसकी गहन जांच की जा सके."

इस ट्वीट को बिहार चुनाव अधिकारी ने रीट्वीट किया है.

तेजस्वी यादव का आरोप image Santosh Kumar/Hindustan Times via Getty Images आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने दावा किया कि एसआईआर के पहले चरण के बाद जारी ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में उनका नाम नहीं है

शनिवार को आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने दावा किया कि चुनाव आयोग ने एसआईआर के पहले चरण के बाद जो ड्राफ्ट सूची जारी की गई है उसमें उनका नाम नहीं है.

उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर चुनाव आयोग पर कई आरोप लगाए और बूथ वाइज़ सूची नहीं दिए जाने पर चुनाव आयोग की मंशा पर सवाल भी उठाए.

उन्होंने मीडिया के सामने अपना ईपीआईसी यानी एपिक नंबर चुनाव आयोग के मोबाइल ऐप में डाला और कहा कि ऐप 'नो रिकॉर्ड फाउंड' दिखा रहा है.

उन्होंने कहा, "इसका क्या मतलब है? जो लोग बिहार से बाहर रहते हैं वे लोग भी चेक कर रहे होंगे तो उन्हें बुरा लग रहा होगा. दस्तावेज़ जमा करते वक्त पावती रसीद नहीं मिली, इसलिए हमने बीएलओ के साथ तस्वीर खिंचवा ली थी."

तेजस्वी यादव ने कहा, "हम चुनाव कैसे लड़ेंगे, चुनाव लड़ने के लिए यहां का वोटर होना ज़रूरी है. हम कैसे चुनाव लड़ेंगे?"

तेजस्वी यादव ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को इस पर संज्ञान लेना चाहिए और चुनाव आयोग से स्पष्टीकरण मांगना चाहिए.

तेजस्वी ने और क्या-क्या आरोप लगाए image BBC

शनिवार को अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग पर एक और आरोप लगाते हुए कहा कि मतदाता सूची विशेष गहन पुनरीक्षण में औसतन एक विधानसभा से 25 हज़ार से लेकर 30 हज़ार तक वोट काटे गए हैं.

उन्होंने एक्स पर एक लंबी पोस्ट करते हुए मतदाता सूची विशेष गहन पुनरीक्षण (स्पेशल इंटेंसिव रिवीज़न, एसआईआर- 2025) की प्रक्रिया में जानबूझकर धांधली के आरोप लगाए हैं.

उन्होंने सवाल किया, "65 लाख मतदाताओं के वोट काटने के बाद भी नई ड्राफ्ट सूची में अस्पष्टता है. इन 65 लाख मतदाताओं को मृत, स्थानांतरित या अनुपस्थित घोषित करने का आधार क्या है?"

एसआईआर ड्राफ़्ट रोल में बूथ वाइज़ सूची न दिए जाने पर तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग की मंशा पर सवाल उठाए हैं.

उन्होंने लिखा, "अब 25-30 हज़ार की लिस्ट में आप कैसे ढूँढेंगे कि कौन मृत है और कौन स्थानांतरित? अगर चुनाव आयोग की मंशा सच्ची और अच्छी है तो इस सूची को बूथ वाइज़ देना चाहिए ताकि राजनीतिक दल इन लोगों को ढूँढ सके."

एक अन्य सोशल मीडिया पोस्ट में उन्होंने लिखा, "यदि मतदाता सूची से नाम हटाए जा रहे हैं और उसके पीछे का कारण छुपाया जा रहा है, तो यह गंभीर लोकतांत्रिक संकट है और जनता के मताधिकार पर सीधा हमला है."

चुनाव आयोग और प्रशासन का जवाब image SpokespersonECI @x मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार

शनिवार देर शाम चुनाव आयोग ने इस मामले में एक एक्स पोस्ट कर तेजस्वी यादव के इन दावों को भ्रामक, बेबुनियाद और ग़ैर ज़िम्मेदाराना बताया था कि उनका नाम ड्राफ्ट लिस्ट में नहीं है.

आयोग ने लिखा, "उठाए गए सवाल भ्रामक और तथ्यहीन हैं. आरजेडी के 47,506 बीएलओ ने भी एक अगस्त से दो अगस्त (दोपहर के तीन बजे तक) कोई भी दावे या आपत्तियां दर्ज नहीं की हैं. स्पष्ट है कि आरोप बेबुनियाद हैं और इस तरह के बयान बेहद ग़ैर ज़िम्मेदाराना हैं."

इससे पहले शनिवार को पटना ज़िला प्रशासन ने सोशल मीडिया पर जानकारी दी कि ड्राफ्ट मतदाता सूची में तेजस्वी यादव का नाम दर्ज है.

पटना के डीएम डॉ त्यागराजन एसएम ने तेजस्वी यादव के दावे को ग़लत बताते हुए कहा कि उनका नाम लिस्ट में है और जो ईपीआईसी नंबर (जो मतदाता सूची गहन पुनरीक्षण से पहले जारी किए गए थे) सरकार के पास है, वही नंबर तेजस्वी यादव के पास है, वो इसकी जांच कर सकते हैं.

image BBC बिहार चुनाव अधिकारी के दफ्तर ने पटना जिला प्रशासन का ट्वीट रीट्वीट किया है

पटना ज़िला प्रशासन ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर लिखा कि उन्हें न्यूज़ के ज़रिए ये जानकारी मिली कि तेजस्वी प्रसाद यादव का नाम ड्राफ्ट मतदाता सूची में नहीं है.

पोस्ट में लिखा है, "ज़िला प्रशासन, पटना द्वारा इसकी जांच की गई. इसमें यह स्पष्ट हुआ है कि तेजस्वी यादव का नाम ड्राफ्ट मतदाता सूची में दर्ज है."

तेजस्वी यादव, बिहार राज्य चुनाव आयोग और चुनाव आयोग को टैग करते हुए पटना ज़िला प्रशासन ने लिखा, "पहले उनका नाम बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय का पुस्तकालय भवन, मतदान केंद्र संख्या 171, क्रम संख्या 481 पर दर्ज था, लेकिन इस नई सूची में उनका नाम बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय का पुस्तकालय भवन, मतदान केंद्र संख्या 204, क्रम संख्या 416 में है."

ज़िला प्रशासन ने मतदाता सूची के पन्ने की दो तस्वीरें भी शेयर की हैं. बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के एक्स हैंडल से ज़िला प्रशासन के इस पोस्ट को रीपोस्ट किया है.

चुनाव आयोग की वेबसाइट पर जो ड्राफ़्ट इलेक्टोरल रोल जारी किया गया है, उसमें पटना ज़िले के दीघा विधानसभा सीट के एक मतदान केंद्र पर वोटर के तौर पर तेजस्वी यादव का नाम मौजूद है.

image BBC चुनाव आयोग ने तेजस्वी यादव के दावों को भ्रामक और तश्यहीन करार दिया है

शनिवार देर शाम चुनाव आयोग ने इस मामले में एक एक्स पोस्ट कर तेजस्वी यादव के इन दावों को भ्रामक, बेबुनियाद और ग़ैर ज़िम्मेदाराना बताया था कि उनका नाम ड्राफ्ट लिस्ट में नहीं है.

आयोग ने लिखा, "उठाए गए सवाल भ्रामक और तथ्यहीन हैं. आरजेडी के 47,506 बीएलओ ने भी एक अगस्त से दो अगस्त (दोपहर के तीन बजे तक) कोई भी दावे या आपत्तियां दर्ज नहीं की हैं. स्पष्ट है कि आरोप बेबुनियाद हैं और इस तरह के बयान बेहद ग़ैर ज़िम्मेदाराना हैं."

अब रविवार को चुनाव आयोग ने तेजस्वी यादव को नोटिस जारी कर उन्हें अपना ईपीआीसी कार्ड जांच के लिए जमा करने को कहा है.

तेजस्वी यादव के आरोप पर बीजेपी के सवाल image BBC

रविवार को भारतीय जनता पार्टी की तरफ़ से इस मामले पर प्रेस कॉन्फ़्रेंस की गई. बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने दावा कि तेजस्वी यादव के पास दो ईपाआईसी नंबर यानी दो वोटर आईडी कार्ड हैं.

संबित पात्रा ने तेजस्वी यादव के 2015 और 2020 के चुनावी हलफ़नामे दिखाते हुए कहा, "कल एक एपिक नंबर तेजस्वी यादव ने पढ़ा. बाक़ायदा अपने वोटर आईडी कार्ड से पढ़ा. एक एपिक नंबर चुनाव आयोग ने पढ़ा. यह वही एपिक नंबर है जो उन्होंने 2020 के हलफ़नामे में दिया था."

उन्होंने सवाल किया कि, "तेजस्वी यादव के पास दो-दो एपिक नंबर कैसे हैं. क्या उनके पास दो वोटर आईडी कार्ड थे?"

वहीं तेजस्वी यादव का कहना है कि चुनाव आयोग से उनका भी यही सवाल है कि उनके नाम पर दो एपिक नंबर कैसे हैं.

दो ईपीआईसी नंबर को लेकर तेजस्वी यादव ने क्या कहा?

शनिवार, दो अगस्त को तेजस्वी यादव ने दो ईपीआईसी नंबर को लेकर मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि, "ईपीआईसी नंबर बदलता नहीं है."

उन्होंने कहा, "मुझे नहीं पता है कि कैसे बदला है. अगर मेरा बदला है तो ऐसे न जाने कितने लोगों का ईपीआईसी नंबर बदला होगा. यह तो जांच का विषय है. यही सब आंकड़े तो हम चुनाव आयोग से पूछ रहे हैं."

उन्होंने आरोप लगाया, "कहीं न कहीं से ये पूरी साजिश है कि वोटरों के नाम काट दिए जाएं."

राहुल गांधी ने भी उठाए चुनाव आयोग की भूमिका पर सवाल image Anuwar Hazarika/NurPhoto via Getty Images कांग्रेस नेता राहुल गांधी का दावा है कि उनके पास चुनाव में गड़बड़ी से संबंधित सबूत हैं

बिहार में जारी विशेष गहन पुनरीक्षण पर विपक्षी पार्टियां लगातार हमलावर हैं. इसके ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई चल रही है.

कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी भी लगातार चुनाव आयोग पर वोटर लिस्ट में गड़बड़ी का आरोप लगा रहे हैं.

दिल्ली में एक कार्यक्रम में राहुल गांधी ने कहा, "मैं हाल ही में चुनाव प्रणाली को लेकर बात कर रहा हूं. मुझे 2014 से ही शक था कि इसमें कुछ गड़बड़ है. गुजरात विधानसभा चुनाव में भी मुझे ऐसा ही शक हुआ था."

राहुल का कहना है, "जब भी हमने इस बारे में बात की, लोगों ने कहा- सबूत कहां है? फिर महाराष्ट्र में कुछ हुआ. वहां लोकसभा में हम चुनाव जीते और सिर्फ़ 4 महीने बाद हम विधानसभा में बुरी तरह हार गए. तीन मज़बूत पार्टियां अचानक ख़त्म हो गईं."

"इसके बाद हमने चुनाव में गड़बड़ी को गंभीरता से खोजना शुरू किया. महाराष्ट्र में हमें सबूत मिले. लोकसभा और विधानसभा चुनाव के बीच एक करोड़ नए वोटर जुड़ गए और ज़्यादातर वोट बीजेपी को गए."

इससे पहले शुक्रवार को भी राहुल गांधी ने दावा किया था कि उनके पास चुनाव में गड़बड़ी से संबंधित सबूत हैं.

उन्होंने कहा था, "जब हम यह आंकड़े जारी करेंगे, तो चुनाव प्रणाली में जो झटका लगेगा, वह आप देखेंगे. यह बिल्कुल परमाणु बम जैसा असर करेगा, क्योंकि सच्चाई यह है कि भारत की चुनाव प्रणाली पहले से ही ख़त्म हो चुकी है."

राहुल गांधी के दावों पर चुनाव आयोग का जवाब

हालांकि, राहुल गांधी के इन दावों को चुनाव आयोग ने 'भ्रामक, तथ्यहीन और धमकी' भरा बताया था. आयोग ने एक फैक्ट चेक जारी कर सिलसिलेवार तरीके से अपनी स्थिति स्पष्ट की.

चुनाव आयोग ने एक्स पर लिखा था, "यह बहुत अजीब है कि वह बेतुके आरोप लगा रहे हैं और अब चुनाव आयोग और उसके कर्मचारियों को धमकाना भी शुरू कर दिया है. यह निंदनीय है."

"चुनाव आयोग ऐसे सभी गैर-ज़िम्मेदाराना बयानों को नज़रअंदाज़ करता है और अपने सभी कर्मचारियों से निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से काम करते रहने का अनुरोध करता है."

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित

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