पिछले दिनों लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर 'वोट चोरी' का आरोप लगाया था.
रविवार को मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस की और आरोपों का जवाब देने की कोशिश की.
राहुल गांधी ने 7 अगस्त को वोटर लिस्ट में गड़बड़ी को लेकर एक घंटे से ज़्यादा का प्रजेंटेशन दिया था.
उन्होंने दावा किया था कि लोकसभा चुनावों के साथ-साथ महाराष्ट्र और हरियाणा के विधानसभा चुनावों में भी 'वोटर लिस्ट में बड़े पैमाने पर धांधली' की गई.
इसके बाद से ही विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग के साथ-साथ केंद्र सरकार पर भी निशाना साधा है. संसद के अंदर और बाहर भी इसको लेकर हंगामा हुआ है.
रविवार को ही कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल ने बिहार के सासाराम से 'वोट अधिकार यात्रा' की शुरुआत भी की है.
इस यात्रा में राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव भी शामिल हुए.
साथ ही उन्होंने बिहार में चुनाव से पहले वोटर लिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण यानी एसआईआर की प्रक्रिया पर सवाल उठाए थे. राहुल गांधी ने यह भी दावा किया था कि बीजेपी ने 2024 के लोकसभा चुनाव में बेंगलुरु सेंट्रल लोकसभा सीट के महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र में एक लाख से ज़्यादा फ़र्ज़ी वोटर लिस्ट में जोड़ दिए थे.
राहुल गांधी पिछले कुछ समय से एसआईआर और वोटर लिस्ट में कथित धांधली को लेकर चुनाव आयोग पर लगातार सवाल उठा रहे थे और इस मुद्दे को देश की राजनीतिक बहस के केंद्र में ले आए थे.
इस बीच यह मुद्दा सुप्रीम कोर्ट भी पहुँच चुका था, इसलिए मामला और भी गंभीर रूप लेता जा रहा था. इस पृष्ठभूमि में चुनाव आयोग ने अपनी विश्वसनीयता पर उठाए जा रहे सवालों का जवाब देने का फ़ैसला किया.
लेकिन कुछ जानकारों का कहना है कि चुनाव आयोग ने उठाए गए सवालों के सीधे जवाब नहीं दिए हैं. लेकिन कुछ विश्लेषक ये भी कह रहे हैं कि 'राहुल गांधी चुनाव प्रक्रिया में अगर किसी गड़बड़ी का आरोप लगा रहे हैं तो उन्हें हलफ़नामा दाख़िल करना चाहिए.'
जानकारों की राय बाद में पहले जानते हैं कि रविवार को चुनाव आयोग ने क्या-क्या कहा.
राहुल गांधी के सवाल और मुख्य चुनाव आयुक्त के जवाबरविवार को मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस कर राहुल गांधी के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि उनके आरोप बेबुनियाद हैं.
मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि "इनकी जाँच बिना हलफ़नामा दाख़िल किए नहीं हो सकती है. या तो राहुल गांधी हलफ़नामा दें या फिर देश से माफ़ी माँगें. अगर वो सात दिन के अंदर माफ़ी नहीं माँगते हैं तो समझा जाएगा कि ये आरोप (वोटर लिस्ट में गड़बड़ी) बेबुनियाद हैं."
दरअसल राहुल गांधी ने "वोट चोरी" का आरोप लगाते हुए चुनाव आयोग से पाँच सवालकिए थे.
राहुल गांधी ने पूछा था कि चुनाव आयोग वोटर लिस्ट में इतने बड़े पैमाने पर फ़र्ज़ीवाड़ा क्यों कर रहा है? वो बीजेपी के एजेंट की तरह काम क्यों कर रहा है? वो वोटिंग के वीडियो सबूत नष्ट क्यों कर रहा है? लोगों को मशीन से पढ़े जाने वाले डिजिटल फ़ॉर्मेट में वोटर लिस्ट क्यों नहीं दे रहा है और विपक्ष के सवालों के जवाब देने के बजाय उन्हें धमकी क्यों दे रहा है?
उन्होंने बिहार में चल रहे वोटर लिस्ट विशेष गहन पुनरीक्षण की प्रक्रिया पर भी सवाल उठाए थे.
ज्ञानेश कुमार ने कहा कि चुनाव आयोग को राजनीतिक मक़सदसे मतदाताओं को निशाना बनाने के लिए लॉन्चपैड की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है. आयोग मज़बूती से मतदाताओं के साथ खड़ा है. उन्होंने इन आरोपों को "निराधार" और "ग़ैर-ज़िम्मेदाराना" बताया.
उन्होंने कहा कि "वोट चोरी" जैसे शब्दों का इस्तेमाल करोड़ों मतदाताओं और लाखों चुनाव कर्मचारियों की ईमानदारी पर हमला है.
महाराष्ट्र को लेकर मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि समय रहते जब ड्राफ़्ट सूची थी तो आपत्ति दर्ज क्यों नहीं कराई और नतीजों के बाद ही गड़बड़ी की बात क्यों सामने लाई गई.
बिहार पर उन्होंने कहा, "वहाँ 2003 में भी एसआईआर हुआ था और उसकी तारीख़ थी 14 जुलाई से 14 अगस्त. तब भी सफलतापूर्वक हुआ था और इस बार भी सफलतापूर्वक हुआ है. एसआईआर प्रक्रिया को चोरी या हड़बड़ी में कराने जैसी बातें कहकर भ्रम फैलाया जा रहा है."
चुनाव आयोग का दावा है कि देश में लगभग तीन लाख लोग ऐसे हैं जिनकी एपिक संख्या मिलती-जुलती थी. इसके बाद उनकी एपिक संख्या में बदलाव किया गया ताकि एपिक संख्या दोहराई न जाए. राहुल गांधी ने अपनी प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कुछ उदाहरण देते हुए सवाल उठाया था कि ऐसे मतदाताओं के नाम चुनाव आयोग दूसरी जगहों से क्यों नहीं हटाता?
इस पर मुख्य चुनाव आयुक्त का कहना था, "चुनाव आयोग किसी के कहने से किसी का नाम नहीं काट सकता क्योंकि एक ही नाम के कई लोग होते हैं. इसलिए इसे जल्दबाज़ी में नहीं किया जा सकता. व्यक्ति चाहे तो ख़ुद नाम हटा सकता है या एसआईआर के ज़रिए इसे सही किया जा सकता है."
उन्होंने मशीन-रीडेबल वोटर लिस्ट के मुद्दे पर कहा, "2019 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इससे मतदाताओं की निजता का उल्लंघन हो सकता है. हाल ही में कई मतदाताओं की तस्वीरें उनकी अनुमति के बिना मीडिया में छपीं. क्या आयोग किसी मतदाता की सीसीटीवी फ़ुटेज साझा कर सकता है?"
ज्ञानेश कुमार ने कहा कि 'कुछ जगह डबल वोटिंग के आरोप लगे थे, लेकिन जब सबूत माँगे तो कुछ नहीं मिला. ऐसे आरोप न तो आयोग को डराते हैं और न ही मतदाताओं को.'
- राहुल गांधी के आरोप और चुनाव आयोग का जवाब, जानिए वोटर लिस्ट से जुड़ी ज़रूरी बातें
- चुनाव आयोग क्या 'वोट चोरी और एसआईआर' के मुद्दे पर इन 4 सवालों के जवाब दे पाया
- राहुल गांधी ने जिस महादेवपुरा सीट से 'वोट चोरी' का आरोप लगाया, क्या कह रहे हैं वहाँ के लोग
आयोग की प्रेस कॉन्फ़्रेंस के बाद कांग्रेस ने कहा कि चुनाव आयोग ने विपक्ष के उठाए सवालों का सीधा जवाब नहीं दिया.
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा, "उम्मीद थी कि ज्ञानेश कुमार हमारे सवालों का जवाब देंगे. लेकिन वो बीजेपी प्रवक्ता की तरह बोलते नज़र आए."
वहीं जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर लिखा, "अब असली सवाल सिर्फ़ यह है: क्या चुनाव आयोग सुप्रीम कोर्ट के 14 अगस्त 2025 के आदेशों को बिहार में एसआईआर की प्रक्रिया में अक्षरशः लागू करेगा? ऐसा करना संवैधानिक रूप से उसका दायित्व है. पूरा देश इसे देख रहा है और इंतज़ार कर रहा है."
कथित वोट चोरी के आरोपों पर ज्ञानेश कुमार के जवाब और इसके बाद विपक्ष की ओर से उन पर नए सिरे से लगाए जा रहे आरोपों के बाद ये सवाल उठने शुरू हो गए हैं कि क्या इस प्रेस कॉन्फ़्रेंस से राहुल गांधी के सवालों का जवाब मिल पाया है.
क्या ज्ञानेश कुमार सचमुच बीजेपी के प्रवक्ता की तरह बोल रहे थे? क्या प्रेस कॉन्फ़्रेंस के बाद चुनाव आयोग पर सवाल उठने बंद हो जाएंगे?
वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक हेमंत अत्री ने इन सवालों पर बीबीसी से कहा, "ज्ञानेश कुमार ने मुख्य चुनाव आयुक्त बनने के 178 दिनों के बाद प्रेस कॉन्फ़्रेंस की. लेकिन वो विपक्ष के सवालों को नज़रअंदाज़ करते दिखे. किसी भी सवाल का सीधा जवाब नहीं दिया. वो एक संवैधानिक संस्था के मुखिया की तरह नहीं बल्कि विपक्ष के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी की तरह दिखे."
हेमंत अत्री कहते हैं, "सबको पता है कि चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पिछले काफ़ी समय से सवालों के घेरे में है. ऐसे में जो सवाल पूछे गए हैं उनके सटीक जवाब न दिया जाना बिल्कुल भी सही नहीं है. ज्ञानेश कुमार आज की प्रेस कॉन्फ़्रेंस में सवालों पर एक ख़ास तरह का मुलम्मा चढ़ाते दिखे. उन्होंने इस सवाल के जवाब को भी दरकिनार कर दिया कि चुनाव आयोग वोटर लिस्ट को लेकर लगाए जा रहे आरोपों की जाँच कराएगा भी या नहीं."
- राहुल गांधी ने वोटर लिस्ट में गड़बड़ी के लगाए आरोप, ईसी बोला- लिखित में दें या फिर...
- 'वोटर लिस्ट में नाम नहीं होने' के तेजस्वी यादव के दावे के बाद निर्वाचन आयोग ने उठाया ये क़दम
- बिहार में वोटर लिस्ट रिवीज़न पर योगेंद्र यादव बोले- 'ये तीन चीज़ें भारत में 75 साल के इतिहास में कभी नहीं हुईं'

हालाँकि कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बिहार के लोगों ने चुनाव आयोग को ख़ारिज कर दिया है, लेकिन राहुल गांधी ने जो आरोप लगाए हैं उसके लिए उन्हें प्रमाण के साथ आगे आना चाहिए.
वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक अदिति फडणीस बीबीसी हिन्दी से कहती हैं, "बिहार में जिस तरह से लोगों को ख़ुद को वोटर साबित करने के लिए दस्तावेज़ जमा करने पड़ रहे हैं, वैसा बिल्कुल नहीं होना चाहिए. चुनाव आयोग ने लोगों के वोट देने के अधिकार सुरक्षित रखने का वादा किया है. लेकिन जहाँ तक नियमों का सवाल है, चुनाव आयोग इस मामले में बिल्कुल सही है कि अगर राहुल गांधी चुनाव प्रक्रिया में किसी गड़बड़ी का आरोप लगा रहे हैं तो हलफ़नामा दाख़िल कर सामने आएँ."
वो कहती हैं, "चुनाव आयोग बीजेपी के प्रवक्ता की तरह बात नहीं कर रहा है. दरअसल इस समय वो अपनी प्रतिष्ठा पर उठाए सवालों का जवाब दे रहा है. चुनाव आयोग इस कोशिश में है कि इस देश के मतदाता के सामने उसकी विश्वसनीयता कम न हो, इसलिए वो यह प्रयास कर रहा है."
- बिहार चुनाव से ठीक पहले वोटर लिस्ट रिवीज़न और दस्तावेज़ों की मांग पर उठते सवाल
- बिहार में चुनाव आयोग की ये प्रक्रिया सवालों के घेरे में क्यों? द लेंस
- बिहार चुनाव: वोटर लिस्ट के रिविज़न को लेकर निर्वाचन आयोग क्यों है सवालों के घेरे में
हालाँकि वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक शरद गुप्ता चुनाव आयोग के रवैये को सही नहीं ठहराते.
उनका कहना है कि बिहार में गहन पुनरीक्षण की प्रक्रिया चुनाव आयोग करवा रहा है, लेकिन उसमें हो रही ग़लतियों को मानने को वह तैयार नहीं है.
वो कहते हैं, "अगर इस ग़लती की शिकायत कोई नहीं कर रहा है, तो इसका मतलब यह नहीं कि चुनाव आयोग से ग़लती नहीं हो रही है. जो लोग वोटर लिस्ट में मृतक दिखाए गए, वो जीवित हैं. मीडिया ऐसे लोगों को अपने सैकड़ों कार्यक्रमों में दिखा चुका है. लेकिन चुनाव आयोग अपनी ग़लती मानने को तैयार नहीं है."

शरद गुप्ता का कहना है कि संवैधानिक संस्था होने के नाते चुनाव आयोग का यह रवैया बिल्कुल ग़लत है कि मतदाता सूची में किसी का नाम नहीं है तो मतदाताओं पर इसकी ज़िम्मेदारी डाल दी जाए कि जो ग़लती हुई है उसे वही ठीक कराएँ. जबकि यह ज़िम्मेदारी चुनाव आयोग की होनी चाहिए.
वो कहते हैं, "वोटर लिस्ट में गड़बड़ी का मामला सुप्रीम कोर्ट में है और विपक्ष इस पर सवाल उठा ही रहा है. लेकिन जिस तरह पूरा केंद्रीय मंत्रिमंडल और बीजेपी के लोग चुनाव आयोग के पक्ष में खड़े हैं, उससे इस आरोप को बल मिल रहा है कि यह संवैधानिक संस्था बीजेपी के संगठन की तरह काम कर रही है."
वो कहते हैं, "इसलिए चुनाव आयोग पर सवाल उठने बंद नहीं होंगे, जब तक वह ईमानदारी से अपनी ग़लतियों को स्वीकार नहीं करेगा और उस पर लग रहे आरोपों का पुख़्ता जवाब नहीं देगा."
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
- बिहार: नगरपालिका चुनाव में मोबाइल से वोटिंग, देश में पहली बार आज़माया जा रहा यह तरीका
- तेज प्रताप पार्टी और परिवार से बाहर, क्या चुनाव से पहले होगी वापसी
- अमेरिका में राहुल गांधी ने ऐसा क्या कहा कि केंद्रीय मंत्री ने मांग लिया उनका इस्तीफ़ा
You may also like
पश्चिम बंगाल: अधिकारी को गाली देने वाले टीएमसी नेता अनुब्रत मंडल ने किया आत्मसमर्पण , 1000 रुपये के बांड पर मिली जमानत
बारां के अनिमेष पाटनी को मिलेगा वीर चक्र, ऑपरेशन सिंदूर में दिखाया था अदम्य साहस
रात 2 बजे बच्चे का जन्म सुबह 6 बजे छुट्टीˈ फिर 10 बजे काम करने चली गई मां जानें कैसे हुआ ये सब
रेस्टोरेंट में घिनौना खेल! मालिक ने कहा- कॉल गर्ल बनो, रात में घर भेजता है लड़के
उसने मेरा जेंडर चेंज कराया फिर महीनों तक बनाता रहाˈ संबंध जब सब खत्म हुआ तो छोड़कर चला गया रोते-रोते सुनाई पूरी दास्तां