इस साल के हेनली पासपोर्ट इंडेक्स में भारत के पासपोर्ट ने अब तक की सबसे लंबी छलांग लगाई है.
लंदन की ग्लोबल सिटीजन और रेजिडेंस एडवाइजरी फर्म हेनली एंड पार्टनर्स के 2025 के तिमाही अपडेट के मुताबिक़ पासपोर्ट रैंकिंग में भारत आठ पायदान चढ़कर 77वें स्थान पर पहुंच गया है.
जबकि पिछले साल की इसी अवधि के दौरान ये 85वें स्थान पर था.
जिन लोगों के भारतीय पासपोर्ट हैं वो जिन देशों में वीज़ा फ्री या वीज़ा-ऑन-अराइवल की सुविधा से यात्रा कर सकते हैं, उनकी संख्या अब 57 बढ़कर 59 हो गई है.
हेनली ये इंडेक्स इंटरनेशनल एयर ट्रैवल एसोसिएशन के आंकड़ों के आधार पर तैयार करता है.
सिंगापुर का पासपोर्ट, जो 193 देशों (वीओए और ईटीए सहित) में वीजा-मुक्त यात्रा की अनुमति देता है, इस सूची में पहले स्थान पर है.
जापान और दक्षिण कोरिया के पासपोर्ट, जो 190 देशों तक पहुंच की अनुमति देते हैं दूसरे स्थान पर हैं.
भारत का पासपोर्ट कितना मजबूत?अब भारतीय नागरिक 59 देशों में बगैर वीज़ा लिए यात्रा कर सकते हैं.
मलेशिया, इंडोनेशिया, मालदीव और थाईलैंड उन देशों में शामिल हैं जो वीज़ा-फ्री प्रवेश की अनुमति देते हैं, जबकि मकाओ और म्यांमार वीज़ा-ऑन-अराइवल सुविधा देते हैं.
फिलीपींस और श्रीलंका दो नए देश हैं जिन्हें वीज़ा-फ्री यात्रा की सूची में जोड़ा गया है.
बिना वीज़ा के भारतीय पासपोर्ट के साथ अंगोला, बारबाडोस, भूटान, ब्रिटिश वर्जिन द्वीप समूह, कुक द्वीप समूह, डोमिनिका, फिजी, ग्रेनाडा, हैती, ईरान, जमैका और किरिबाती की यात्रा कर सकते हैं.
इनके अलावा, मकाऊ, मेडागास्कर, मॉरीशस, माइक्रोनेशिया, मोंटसेराट, नेपाल, नियू, फिलीपींस, रवांडा, सेनेगल, सेंट विंसेंट और ग्रेनेडाइंस, त्रिनिदाद और टोबैगो, कज़ाख़स्तान और वानुअतु भी भारतीय नागरिकों को बिना वीज़ा के अपने देशों में प्रवेश की अनुमति देते हैं.
भारत के लिए वीज़ा फ्री देशों में दो देशों का इजाफ़ा मामूली लग सकता है लेकिन इसका कूटनीतिक महत्व काफी ज्यादा है.
ट्रैवल फ्रीडम के मामले में भारत पाकिस्तान और बांग्लादेश से काफी ऊपर है.
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सिंगापुर हेनली इंडेक्स में सबसे आगे है. जापान और दक्षिण कोरिया दूसरे स्थान पर हैं.
डेनमार्क, फिनलैंड, फ़्रांस , जर्मनी, आयरलैंड, इटली और स्पेन समेत सात यूरोपीय देश हैं, जहां के पासपोर्ट पर 189 देशों की वीज़ा फ़्री यात्रा की जा सकती है.
वीज़ा रैंकिंग के मामले में ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, लक्ज़मबर्ग, नीदरलैंड्स, नॉर्वे, पुर्तगाल और स्वीडन चौथे स्थान पर हैं, जबकि न्यूज़ीलैंड, ग्रीस और स्विट्ज़रलैंड पांचवें स्थान पर हैं.
ऑस्ट्रेलिया, चेक गणराज्य, हंगरी, माल्टा और पोलैंड सातवें स्थान पर हैं, जबकि कनाडा, एस्तोनिया और संयुक्त अरब अमीरात आठवें स्थान पर हैं.
अमेरिका और ब्रिटेन की स्थिति पहले से कमजोरआमतौर पर काफी मजबूत माने जाने वाले ब्रिटेन के पासपोर्ट की रैंकिंग में गिरावट आई है. ब्रिटेन के पासपोर्ट पर अब 186 देशों में वीज़ा फ़्री ट्रैवल कर सकते हैं.
अमेरिका 182 देशों तक पहुंच के साथ 10वें स्थान पर खिसक गया है, जो इस साल की शुरुआत में नौवें स्थान पर था.
दोनों देश पहले इंडेक्स में शीर्ष पर रह चुके हैं. ब्रिटेन 2015 में और अमेरिका 2014 में.
लेकिन अब जैसे-जैसे दूसरे देश द्विपक्षीय समझौतों और यात्रा सुविधाओं को बढ़ा रहे हैं. ब्रिटेन और अमेरिका के पासपोर्ट की अहमियत अब घट रही है.
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सऊदी अरब ने इस बार सबसे बड़ी बढ़त दर्ज की है, जिसमें जनवरी के बाद से चार नए वीज़ा-फ़्री डेस्टिनेशन जुड़ गए हैं. अब इसके पासपोर्ट पर अब 91 देशों की यात्रा की जा सकती है.
चीन ने 2015 से अब तक 34 स्थानों की जबरदस्त छलांग लगाई है. ये 94वें स्थान से अब 60वें स्थान पर आ गया है.
इंडेक्स में सबसे नीचे अफ़ग़ानिस्तान है, जिस पर सिर्फ 25 देशों में वीज़ा-फ्री प्रवेश की अनुमति है. ये इस साल की शुरुआत से एक देश कम है.
पासपोर्ट की ताक़त कैसे तय होती है?पासपोर्ट कितना असरदार है वो कई चीजों पर निर्भर करता है. किसी देश के अर्थव्यवस्था की हालत, अंदरुनी हालात और किसी दूसरे देश के साथ संबंधों का असर भी पासपोर्ट रैंकिंग पर पड़ता है.
हालांकि भारत पासपोर्ट रैंकिंग में आगे बढ़ा है लेकिन वैश्विक स्तर पर देखें तो अभी भी ये काफी नीचे हैं.
हेनली एंड पार्टनर्स के डोमिनिक वॉलेक ने बीबीसीसे एक बातचीत में बताया था कि पासपोर्ट की ताक़त आम तौर पर किसी देश के दूसरे देशों के साथ द्विपक्षीय संबंधों से तय होती है.
वो कहते हैं, ''भारत आने के लिए किसी देश के नागरिक को प्री एंट्री क्लीयरेंस या पहले वीज़ा हासिल करना जरूरी होता है. तो वो भी भारतीय नागरिकों के लिए वैसे ही नियम रखते हैं. अगर भारतीय नागरिकों को व्यापार, नौकरी या छुट्टी मनाने के लिए बाहर जाना होता है तो ऐसी ही सख्त प्रक्रिया से गुजरना होता है. कई भारतीय दूसरे देशों की नागरिकता हासिल करने की कोशिश करते रहते हैं ताकि वो ज़्यादा आसानी से इधर-उधर घूम सकें.''
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हेनली एंड पार्टनर्स के सीईओडॉ. जुएर्ग स्टेफेन के मुताबिक़, आज के दौर में पासपोर्ट सिर्फ यात्रा दस्तावेज़ नहीं है. यह किसी देश का कूटनीतिक असर, ग्लोबल इंटिग्रेशन और विदेशी नीति की प्राथमिकताओं को दिखाता है.
वो कहते हैं, "आपका पासपोर्ट अब सिर्फ यात्रा दस्तावेज़ नहीं रहा. यह आपके देश की कूटनीतिक शक्ति और अंतरराष्ट्रीय रिश्तों का इंडेक्स बन गया है. बढ़ती असमानता और राजनीतिक अनिश्चितता के इस युग में, स्ट्रेटजिक ट्रैवल फ्रीडम और नागरिकता की योजना पहले से कहीं अधिक अहम हो गई है.''
उन्होंने यह भी बताया कि अब अमेरिका और ब्रिटेन के नागरिकों में वैकल्पिक नागरिकता प्राप्त करने की रुचि बढ़ रही है, और रेजिडेंसी-बाय-इनवेस्टमेंट और दूसरे पासपोर्ट कार्यक्रमों की मांग तेज़ हो रही है.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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