गौतम बुद्ध ने अपने शिष्यों को कई ऐसे प्रसंग सुनाए जिससे जीवन की समस्याओं से मुक्ति मिल सकती है. गौतम बुद्ध के एक चर्चित प्रसंग के मुताबिक, एक व्यक्ति हर रोज बुद्ध का प्रवचन सुनने आता और उनकी बातें सुनता. बुद्ध अपने प्रवचन में यही कहते कि लालच, मोह, बैर, अहंकार को छोड़कर जीवन में सुख शांति बनाए रखना सीखो.
एक दिन उस व्यक्ति ने गौतम बुद्ध से कहा कि गुरुजी मैं हर रोज आपके प्रवचन सुन रहा हूं. लेकिन क्षमा करें मुझे इनसे कोई लाभ नहीं मिला. आपकी द्वारा कही गई सारी बातें सच है. लेकिन मेरे ऊपर इनका कोई असर नहीं हुआ. बुद्ध ने उस व्यक्ति की बात सुनी और उससे पूछा कि तुम कहां रहते हो. उस व्यक्ति ने बताया कि मैं श्रावस्ती में रहता हूं.
बुद्ध ने पूछा कि वह जगह यहां से कितनी दूर है. उस व्यक्ति ने दूरी बताई. इसके बाद बुद्ध ने कहा- तुम वहां तक कैसे जाते हो. उसने कहा- कभी घोड़े पर कभी बैलगाड़ी पर जाता हूं. बुद्ध ने फिर उससे पूछा कि तुम्हें वहां तक पहुंचने में कितना समय लग जाता है. व्यक्ति ने समय भी बताया. इसके बाद बुद्ध ने पूछा कि क्या तुम यहां बैठे-बैठे ही श्रावस्ती जा सकते हो.
इस प्रश्न के जवाब में व्यक्ति ने उत्तर दिया कि गुरु जी ऐसा कैसे हो सकता है. वहां जाने के लिए मुझे चलना तो पड़ेगा. बुद्ध ने कहा कि हम चलकर अपने लक्ष्य तक पहुंच सकते हैं. ठीक उसी तरह जब तक हम अच्छी बातों का पालन नहीं करेंगे, उन पर नहीं चलेंगे तो प्रवचन सुनने से कोई असर नहीं होगा.
केवल अच्छी बातें सुनने से हमारा जीवन नहीं बदलेगा. हमें अच्छे वचनों को समझ कर अपने जीवन में अपनाना होगा. व्यक्ति बुद्ध की बातों को समझ गया और उसने बुद्ध द्वारा बताए गए मार्ग पर चलना शुरू कर दि.या इसके बाद उसको शांति मिल गई.
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