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कार्तिक मास की कथा: हर मनोकामना पूरी करने का रहस्य

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कार्तिक मास की पौराणिक कथा

कार्तिक मास की कथा

कार्तिक मास 2025 की कथा: वर्तमान में कार्तिक मास चल रहा है, जो हिंदू कैलेंडर का आठवां महीना है। यह महीना धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इस दौरान भगवान विष्णु निद्रा से जागते हैं। धर्म ग्रंथों में कार्तिक मास को सर्वोत्तम महीना बताया गया है। पुराणों के अनुसार, इस महीने में स्नान, दान, दीपदान और तुलसी पूजन का विशेष महत्व है। इसके साथ ही, कार्तिक मास में कथा का पाठ करना भी अत्यंत लाभकारी माना जाता है। इस महीने में कई कथाएं पढ़ी जाती हैं, लेकिन एक विशेष कथा है, जिसे रोजाना पढ़ने से जीवन के सभी कष्ट दूर हो सकते हैं। आइए, विस्तार से जानते हैं कार्तिक मास की कथा।

कथा का सारांश

कथा के अनुसार, एक गांव में एक वृद्धा रहती थी, जो कार्तिक का व्रत करती थी। जब वह व्रत खोलती, तो भगवान श्री कृष्ण स्वयं आकर उसे खिचड़ी का कटोरा देते थे। उसकी पड़ोसी, जो जलती थी कि वृद्धा को कोई नहीं है फिर भी उसे खिचड़ी मिलती है, एक दिन वृद्धा के गंगा स्नान के दौरान भगवान कृष्ण ने खिचड़ी का कटोरा उसके पीछे रख दिया। पड़ोसी ने देखा कि वृद्धा घर पर नहीं है, तो उसने कटोरा बाहर फेंक दिया।

जब वृद्धा स्नान करके घर लौटी, तो उसे खिचड़ी का कटोरा नहीं मिला, जिससे वह भूखी रह गई। वह बार-बार यही कहती रही कि उसकी खिचड़ी और कटोरा कहां गए। जहां पड़ोसी ने खिचड़ी फेंकी थी, वहां एक पौधा उग आया जिसमें दो फूल खिल गए। एक दिन राजा ने उन फूलों को देखा और उन्हें तोड़कर रानी को दिए। रानी ने उन्हें सूंघते ही गर्भवती हो गई और बाद में दो पुत्रों को जन्म दिया। जब वे बड़े हुए, तो वे किसी से बात नहीं करते थे, लेकिन जब वे वृद्धा से मिलते, तो कहते कि वे उसकी खिचड़ी और कटोरा हैं।

राजा ने जब यह सुना, तो उसे आश्चर्य हुआ कि वे किसी से बात नहीं करते, लेकिन वृद्धा से कैसे बात करते हैं। राजा ने वृद्धा को राजमहल बुलवाया और पूछा कि वह कैसे जानती है कि उसके पुत्र उससे बात करते हैं। वृद्धा ने बताया कि वह केवल कार्तिक मास का व्रत करती थी और भगवान कृष्ण उसे खिचड़ी देते थे। राजा ने वृद्धा को महल में रहने का आदेश दिया।

(Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. मीडिया चैनल इसकी पुष्टि नहीं करता है.)


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