जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले के बुढ़ाल गांव में पिछले एक महीने में 16 लोगों की रहस्यमय मौतों की जांच के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक विशेष टीम का गठन किया है। इस टीम का मुख्य उद्देश्य इन मौतों के कारणों की गहराई से जांच करना है। पिछले 45 दिनों में बुढ़ाल गांव के 16 लोग एक अज्ञात बीमारी के चलते अपनी जान गंवा चुके हैं। मृतकों ने अस्पताल में भर्ती होने से पहले बुखार, दर्द, उल्टी और बेहोशी की शिकायत की थी। अस्पताल में भर्ती होने के कुछ ही दिनों बाद उनकी मृत्यु हो गई। एक लड़की की स्थिति गंभीर बताई जा रही है।
अधिकारियों ने इन मौतों के पीछे किसी संक्रामक बीमारी की संभावना को खारिज किया है। हालांकि, एक चिकित्सक ने बताया कि मरीजों के एमआरआई स्कैन में मस्तिष्क में सूजन (ऑडिमा) की पुष्टि हुई है, जो मस्तिष्क में तरल पदार्थ के जमा होने की स्थिति है, जिसे न्यूरोटॉक्सिन के प्रभाव के रूप में देखा गया है।
यह टीम रविवार को बुढ़ाल गांव का दौरा करेगी और पिछले छह हफ्तों में हुई तीन घटनाओं की जांच करेगी। इस टीम में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, कृषि मंत्रालय, रसायन और उर्वरक मंत्रालय, जल संसाधन मंत्रालय के विशेषज्ञों के साथ-साथ पशुपालन, खाद्य सुरक्षा और फोरेंसिक विज्ञान के विशेषज्ञ भी शामिल हैं। यह टीम स्थानीय प्रशासन के सहयोग से तात्कालिक राहत प्रदान करेगी और भविष्य में ऐसे हादसों को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाएगी।
देश के प्रमुख संस्थानों के विशेषज्ञों को इस घटना के कारणों को समझने और स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए नियुक्त किया गया है। टीम का उद्देश्य प्रभावित क्षेत्र में सुरक्षा और राहत उपायों को सुनिश्चित करना है।
हाल ही में, पुलिस की एक विशेष जांच टीम ने सीएसआईआर-आईआईटीआर द्वारा मृतकों के शवों की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के बाद 60 से अधिक लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है। रिपोर्ट में न्यूरोटॉक्सिन की उपस्थिति का पता चला था।
जम्मू और कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने बुढ़ाल स्थिति पर चर्चा करने के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक की और स्वास्थ्य तथा पुलिस विभागों को इन रहस्यमय मौतों की जांच में तेजी लाने का निर्देश दिया।
राजौरी जिला मुख्यालय से लगभग 55 किलोमीटर दूर स्थित यह गांव भय की स्थिति में है और गांववाले इस रहस्य के हल होने का इंतजार कर रहे हैं।
नेशनल कांफ्रेंस के नेता जाविद इकबाल चौधरी ने इस स्थिति को एक बड़ी चुनौती बताते हुए कहा कि मुख्यमंत्री शुरुआत से ही स्थिति पर निगरानी रख रहे हैं। उन्होंने कहा, “यह हम सभी के लिए एक बड़ी चुनौती है। मैं लोगों से अपील करता हूं कि अगर किसी के पास कोई सुराग हो तो कृपया सामने आएं और जांच में मदद करें।”
सरकार ने संक्रामक बीमारी के पहलू को नकारा। पहले एक सरकारी प्रवक्ता ने कहा था कि जांच और नमूने यह स्पष्ट रूप से संकेत करते हैं कि ये घटनाएं किसी संक्रामक बीमारी के कारण नहीं हुई हैं, जो बैक्टीरियल या वायरल उत्पत्ति की हो। इन घटनाओं का सार्वजनिक स्वास्थ्य से कोई संबंध नहीं है।
प्रवक्ता ने कहा, “मृतकों और गांववासियों से लिए गए सभी नमूनों ने किसी भी वायरल या बैक्टीरियोलॉजिकल उत्पत्ति को नकारा है। इन नमूनों का परीक्षण देश के कुछ सबसे प्रतिष्ठित लैब्स में किया गया था। सीएसआईआर-आईआईटीआर द्वारा की गई विषाक्तता विश्लेषण में कई जैविक नमूनों में विषाक्त पदार्थों का पता चला है।”
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