अनियमित जीवनशैली के कारण बवासीर जैसी जटिल बीमारियाँ उत्पन्न होती हैं। आज के महंगाई के दौर में, लोग पैसे कमाने की दौड़ में अपने स्वास्थ्य की अनदेखी कर रहे हैं। तला हुआ और जल्दी तैयार होने वाला भोजन भी इस समस्या को बढ़ाता है।
बवासीर के कारण
बवासीर, जिसे अर्श भी कहा जाता है, मुख्यतः कब्ज के कारण होता है। अधिक मिर्च-मसाले और बाहर के खाने के सेवन से पेट में कब्ज उत्पन्न होती है, जिससे मल सूखा और कठोर हो जाता है। इस स्थिति में मल करते समय अधिक जोर लगाना पड़ता है, जिससे बवासीर का खतरा बढ़ जाता है।
बवासीर के प्रकार
बवासीर के कई प्रकार होते हैं, जिनमें मुख्यतः खूनी बवासीर और वादी बवासीर शामिल हैं। खूनी बवासीर में मल के साथ खून आता है, जबकि वादी बवासीर में सूजन होती है लेकिन खून नहीं आता।
बवासीर के लक्षण
बवासीर के लक्षणों में मलद्वार के बाहर मांसांकुर का निकलना और शौच के दौरान खून आना शामिल है। रोगी को चलने-फिरने में कठिनाई, चक्कर आना और स्मरण शक्ति में कमी जैसी समस्याएँ भी हो सकती हैं।
आयुर्वेदिक उपचार
कब्ज़, मस्सा, भगंदर और बवासीर के लिए कुछ औषधियाँ उपलब्ध हैं। इनमें नागकेशर, बिलपत्र, हरड़, कालीमिर्च, और सौंठ शामिल हैं। इन औषधियों को समान मात्रा में मिलाकर पीसकर, प्रतिदिन 1 ग्राम सेवन करने से लाभ होता है।
परहेज
बवासीर से बचने के लिए तेज मसाले, मिर्च, तला हुआ खाना, दही और छाछ का सेवन कम करना चाहिए।
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