नई दिल्ली, 7 जुलाई . विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक नई स्टडी में खुलासा हुआ है कि मेनोपॉज के बाद हृदय रोग से पीड़ित महिलाओं में अधिक वजन होना ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ा सकता है.
यह स्टडी अमेरिकन कैंसर सोसाइटी के जर्नल ‘कैंसर’ में सोमवार को प्रकाशित हुई. स्टडी के अनुसार, जिन महिलाओं का बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) ज़्यादा होता है, उनमें स्तन कैंसर का खतरा पहले से ही अधिक होता है. टाइप-2 डायबिटीज का इस खतरे पर कोई खास असर नहीं देखा गया, यानी डायबिटीज वाली और बिना डायबिटीज वाली महिलाओं में अधिक बीएमआई से ब्रेस्ट कैंसर का जोखिम समान रूप से बढ़ता है.
संगठन की कैंसर रिसर्च विंग, इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर के शोधकर्ता हेंज फ्रीस्लिंग ने बताया, “इस स्टडी के नतीजे ब्रेस्ट कैंसर स्क्रीनिंग प्रोग्राम को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं.”
उन्होंने सुझाव दिया कि भविष्य में वजन घटाने के ट्रायल में हृदय रोग वाली महिलाओं को शामिल करके ब्रेस्ट कैंसर रोकथाम पर शोध किया जाना चाहिए. शोधकर्ताओं ने यूरोपियन प्रोस्पेक्टिव इन्वेस्टिगेशन इनटू कैंसर एंड न्यूट्रिशन और यूके बायोबैंक के 168,547 मेनोपॉज महिलाओं के डेटा का विश्लेषण किया. इन महिलाओं को स्टडी शुरू होने पर न तो टाइप-2 डायबिटीज थी और न ही हृदय रोग. करीब 10-11 साल के फॉलो-अप के बाद, 6,793 मेनोपॉज के बाद की महिलाओं में स्तन कैंसर पाया गया..
स्टडी में यह भी सामने आया कि अधिक वजन और हृदय रोग का एक साथ होना हर साल प्रति 100,000 लोगों में 153 अतिरिक्त ब्रेस्ट कैंसर के मामले पैदा कर सकता है. पहले हुए शोधों से यह साबित हो चुका है कि मोटापा 12 तरह के कैंसर, जैसे गर्भाशय, किडनी, लिवर और कोलोरेक्टल कैंसर का खतरा बढ़ाता है.
वहीं, हाल ही में ‘नेचर कम्युनिकेशंस’ जर्नल में प्रकाशित एक स्टडी में पाया गया कि अधिक वजन वाली महिलाओं में बड़े ट्यूमर और एडवांस्ड स्टेज का ब्रेस्ट कैंसर होने के चांस ज्यादा होती है.
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एमटी/एएस
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