Mumbai , 21 अक्टूबर . Bollywood के दिग्गज फिल्मकार यश चोपड़ा की पुण्यतिथि पर Actor जैकी श्रॉफ ने उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की.
जैकी ने अपनी इंस्टाग्राम स्टोरी पर यश चोपड़ा की तस्वीर साझा करते हुए लिखा, “यश चोपड़ा जी, आप हमारे दिलों में हमेशा जिंदा रहेंगे.”
यह श्रद्धांजलि उस शख्सियत को समर्पित है, जिन्होंने हिंदी सिनेमा को रोमांस, ड्रामा और मसाला फिल्मों का नया आयाम दिया.
यश चोपड़ा ने 1959 में फिल्म ‘धूल का फूल’ से बतौर निर्देशक Bollywood में कदम रखा. इसके बाद ‘धर्मपुत्र’ (1961), ‘वक्त’, ‘मशाल’, ‘त्रिशूल’, और ‘दाग’ जैसी फिल्मों ने उन्हें सफलता दिलाई और उन्होंने हिंदी सिनेमा में फिल्मों का नया दौर शुरू किया.
यश चोपड़ा ने 1973 में यशराज फिल्म्स की स्थापना की, जो आज भी भारतीय सिनेमा का प्रमुख प्रोडक्शन हाउस है. उनकी फिल्में भावनाओं, रिश्तों और जिंदगी के रंगों को पर्दे पर बखूबी उकेरती थीं.
Actor जैकी श्रॉफ और यश चोपड़ा ने साल 1993 में रिलीज हुई फिल्म ‘आईना’ में साथ में काम किया था. फिल्म में जैकी के साथ अमृता सिंह और जूही चावला मुख्य भूमिका में थे. फिल्म को यश बैनर तले रिलीज किया गया था.
यश चोपड़ा को ‘एक्टर का डायरेक्टर’ कहा जाता था. वे किरदारों को न सिर्फ गढ़ते थे, बल्कि उन्हें जीवंत करने का हुनर भी रखते थे. उनकी 1981 की फिल्म ‘सिलसिला’ ने अमिताभ बच्चन, रेखा और जया बच्चन के अभिनय को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया. यह फिल्म न केवल सिनेमाई दृष्टिकोण से, बल्कि अमिताभ और रेखा की निजी जिंदगी की अफवाहों के कारण भी चर्चा में रही थी. यश चोपड़ा ने इस फिल्म में लव ट्रायंगल को अच्छे से पेश किया था, जो आज भी दर्शकों के दिलों में जिंदा है.
पांच दशकों तक सिनेमा जगत पर राज करने वाले यश चोपड़ा ने ‘चांदनी’, ‘लम्हे’, ‘डर’, ‘दिल तो पागल है’, और ‘वीर-जारा’ जैसी फिल्मों से नए कीर्तिमान हासिल किए. उनकी आखिरी फिल्म ‘जब तक है जान’ (2012) ने भी दर्शकों का दिल जीता था. यश चोपड़ा की कहानियां आज भी सिनेमाप्रेमियों के दिलों में बसी हैं.
–
एनएस/डीएससी
You may also like
उपराज्यपाल ने फेय में 12 मेगावाट सौर ऊर्जा परियोजना का किया निरीक्षण
गुवाहाटी में सीबीआई ने एनएचआईडीसीएल के अधिकारी को रिश्वत लेते पकड़ा
जो लोग दीये रोशन करते हैं उनका मकसद सिर्फ… दीपावली को लेकर क्या बोले आजम खान?…
करोड़पति बनने के 5 देसी व्यापार जो हर कोई कर सकता` है,बस यह चीज सीख लें
एक गाँव के एक जमींदार ठाकुर बहुत वर्षों से बीमार थे।` इलाज करवाते हुए कोई डॉक्टर कोई वैद्य नहीं छोड़ा कोई टोने टोटके करने वाला नहीं छोड़ा। लेकिन कहीं से भी थोड़ा सा भी आराम नहीं आया ! एक संत जी गाँव में आये उनके दर्शन करने वो ज़मींदार भी वहाँ गया और उन्हें प्रणाम किया। उसने बहुत दुखी मन से कहा – महात्मा