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गोपाष्टमी पर कृष्णा भक्ति में डूबी महिलाएं, शुरू की भगवान शालिग्राम और तुलसी के विवाह की तैयारियां

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प्रयागराज, 29 अक्टूबर . कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को गोपाष्टमी का पावन पर्व मनाया जाता है. ये त्योहार पशुओं के संरक्षण और गाय की सेवा को समर्पित है.

माना जाता है कि आज ही के दिन से भगवान श्रीकृष्ण ने गौवंश की रक्षा का बीड़ा उठाया था और लोगों को गायों की सेवा का महत्व भी बताया था, लेकिन इसके साथ आज से ही शालिग्राम और तुलसी के विवाह की तैयारियां शुरू हो गई हैं और प्रयागराज के यमुना घाट में महिलाओं ने विवाह से पहले होने वाली तैयारियां शुरू कर दी हैं.

प्रयागराज में गोपाष्टमी के पावन पर्व से ही भगवान शालिग्राम और तुलसी के विवाह की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. महिला श्रद्धालुओं ने प्रयागराज में पहले यमुना स्नान किया और इसके बाद ठाकुर जी की बाल गोपाल प्रतिमा को हाथों से झूला झूलाकर गीत गाकर उनकी आराधना की.

महिला श्रद्धालु ने से खास बातचीत में कहा, “आज गोपाष्टमी है और आज से ही शालिग्राम और तुलसी के विवाह अनुष्ठानों की शुरुआत हो जाती है. हम ठाकुर जी का तिलक करते हैं, दही, दूध, घी और मक्खन स्नान करवाते हैं और विवाह अनुष्ठानों की तैयारी में पूजा करते हैं.”

बता दें कि विवाह की तैयारी देवउठनी एकादशी तक होगी और इसी एकादशी के अगले दिन द्वादशी पर भगवान शालिग्राम और तुलसी का विवाह संपन्न किया जाता है. देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु 4 महीने की निद्रा से उठते हैं और उन्हें उठाने के लिए भक्त खास अनुष्ठान करते हैं. इस दिन गेरुआ से घर सजाया जाता है और भगवान विष्णु की प्रतिमा बनाई जाती है.

गोपाष्टमी त्योहार भगवान कृष्ण और गायों की भक्ति से जुड़ा है. प्रयागराज के तीर्थ पुरोहित ने से खास बातचीत में कहा कि गोपाष्टमी का महत्व भगवान कृष्ण और गायों की पूजा से जुड़ा है, जो कार्तिक मास की अष्टमी को मनाया जाता है. इस दिन, भगवान कृष्ण ने पहली बार गाय चराना शुरू किया था और यह पर्व गायों और बछड़ों के प्रति सेवा भाव का है.

उन्होंने आगे कहा कि “इसके साथ ही आज से भगवान शालिग्राम और माता तुलसी की विवाह की रस्में भी शुरू हो जाती हैं.”

बता दें कि इस बार देवउठनी एकादशी 1 नवंबर को मनाई जाएगी और देश भर के सभी मंदिरों में रात भर अनुष्ठान और पूजा-पाठ का आयोजन होगा.

पीएस/एएस

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