नई दिल्ली, 30 जून . कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने सोमवार को केंद्र सरकार की नीतियों और दावों पर सवाल उठाया. उन्होंने भारत को वैश्विक सामाजिक सुरक्षा रैंकिंग में दूसरे स्थान पर बताए जाने के दावे को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि ये सिर्फ खोखले आंकड़े हैं, जिनका कोई आधार नहीं है.
समाचार एजेंसी से खास बातचीत में इमरान मसूद ने कहा कि यदि देश में सचमुच सामाजिक सुरक्षा है तो आम नागरिक खुद को सड़कों, ट्रेनों और सार्वजनिक स्थलों पर असुरक्षित क्यों महसूस करता है? आज देश में मॉब लिंचिंग की घटनाएं लगातार हो रही हैं. लोग अपने पहनावे और पहचान के कारण डर के साए में जी रहे हैं. क्या यही सामाजिक सुरक्षा है? सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि सामाजिक सुरक्षा की उनकी परिभाषा क्या है और किन आधारों पर भारत को दुनिया में दूसरे स्थान पर रखा गया है.
प्रधानमंत्री आवास योजना, आयुष्मान भारत, जनधन योजना जैसे कार्यक्रमों के जरिए करोड़ों लोगों को सामाजिक सुरक्षा मिलने के दावों पर मसूद ने तीखी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि आपने 2022 तक सबको छत देने का वादा किया था, वो छत कहां है? किसान की आमदनी दोगुनी करने की बात की थी, वह वादा कहां है? उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों में भारी विरोधाभास है. आप कहते हैं 80 करोड़ लोगों को राशन दे रहे हैं, फिर कहते हैं करोड़ों लोग गरीबी से ऊपर उठ चुके हैं. तो फिर किन्हें राशन मिल रहा है? ये आंकड़े सही हैं या वो?
उन्होंने यह भी पूछा कि जो परिवार जनसंख्या नियंत्रण का पालन कर रहे हैं, उन्हें योजनाओं से वंचित क्यों किया जा रहा है? मसूद ने कहा कि आप कहते हैं कि जनसंख्या कम करनी है, लेकिन आपकी योजनाओं में खुद ही इसका उल्टा कर देते हैं. एक तरफ आप जनसंख्या नियंत्रण की बात करते हैं, दूसरी तरफ आयुष्मान योजना में ये शर्त रख देते हैं कि जिन परिवारों में छह सदस्य (यानी चार बच्चे) होंगे, वही इस योजना का फायदा ले पाएंगे. ऐसे में जो लोग आपकी बात मानकर कम बच्चे कर रहे हैं, उन्हें तो आप कोई लाभ देना ही नहीं चाहते.
कोलकाता रेप केस में भाजपा की ओर से फैक्ट फाइंडिंग कमेटी भेजने और ममता बनर्जी के इस्तीफे की मांग पर भी मसूद ने बीजेपी पर कटाक्ष किया. उन्होंने कहा कि क्या भाजपा कोई इन्वेस्टिगेटिंग एजेंसी है? ये हर मुद्दे को राजनीति का विषय बना देते हैं. समाज में जो विकृति है, उसे समझने और सुधारने की बजाय राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश करते हैं.
संविधान की प्रस्तावना पर दत्तात्रेय होसबाले की टिप्पणी के बाद भारतीय युवा कांग्रेस की कर्नाटक इकाई के लीगल सेल ने पुलिस में शिकायत दी. इस पर उन्होंने कहा कि संघ संविधान को मानता ही नहीं है. वे मनुस्मृति की व्यवस्था लागू करना चाहते हैं, जहां 90 फीसदी लोग गुलाम होंगे और 10 फीसदी लोग शासक बनेंगे. समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता संविधान की आत्मा हैं, जिन्हें हटाना दरअसल कमजोर और वंचित तबकों के अधिकार छीनने की कोशिश है.
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पीएसके/केआर
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