नई दिल्ली, 13 मई . भारत ने विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) को सूचित किया है कि देश ने चुनिंदा अमेरिकी वस्तुओं पर जवाबी टैरिफ लगाने का प्रस्ताव रखा है, ताकि अमेरिका से सुरक्षा शुल्क के रूप में भारतीय स्टील और एल्युमीनियम निर्यात पर लगाए गए शुल्कों का मुकाबला किया जा सके.
डब्ल्यूटीओ कम्युनिकेशन के अनुसार, इन अमेरिकी सुरक्षा उपायों से भारतीय उत्पादों के 7.6 बिलियन डॉलर के आयात पर असर पड़ेगा, जिसमें अनुमानित शुल्क संग्रह 1.91 बिलियन डॉलर है.
जब अप्रैल में टैरिफ लगाने के निर्णय की घोषणा की गई थी, तब भारत ने डब्ल्यूटीओ के सुरक्षा समझौते के तहत अमेरिका से परामर्श का अनुरोध किया था.
डब्ल्यूटीओ में अमेरिका का रुख यह था कि भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर लगाए गए थे और उन्हें सुरक्षा उपाय नहीं माना जाना चाहिए.
भारत ने डब्ल्यूटीओ को अपने नोटिफिकेशन में स्टील, एल्युमीनियम और इससे जुड़े उत्पादों पर अमेरिकी सुरक्षा उपायों के जवाब में रियायतें और अन्य दायित्वों को निलंबित करने की अपनी मंशा की घोषणा की.
भारत के अनुरोध पर 9 मई, 2025 को डब्ल्यूटीओ कम्युनिकेशन प्रसारित किया गया था. इसमें बताया गया है कि हालांकि अमेरिका ने इन उपायों को डब्ल्यूटीओ को औपचारिक रूप से अधिसूचित नहीं किया है, लेकिन उन्हें प्रभावी रूप से सुरक्षा उपाय माना जाता है.
नोटिफिकेशन में कहा गया है, “भारत का कहना है कि अमेरिका द्वारा उठाए गए कदम ‘जनरल एग्रीमेंट ऑन ट्रेड एंड टैरिफ’ (जीएटीटी) 1994 और एग्रीमेंट ऑन सेफगार्ड (एओएस) के अनुरूप नहीं हैं.”
नोटिफिकेशन में आगे कहा गया है कि क्योंकि एओएस के प्रावधान के तहत परामर्श नहीं हुआ है और समझौते के उल्लंघन से भारत के व्यापार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है, जिसके लिए वह छूट या अन्य दायित्वों को निलंबित करने का अधिकार सुरक्षित रखता है.
आगे कहा गया है कि भारत ने कहा है कि देश 30 दिनों की अवधि के बाद ही छूट या अन्य दायित्वों को निलंबित करने के अधिकार का इस्तेमाल करेगा.
भारत ने कहा है कि वह अपने अधिकारों का प्रभावी ढंग से प्रयोग करने के लिए यह कदम उठा रहा है.
प्रस्तावित शुल्क अभी भी डब्ल्यूटीओ नोटिफिकेशन स्टेज में हैं, वहीं, भारत ट्रंप प्रशासन के साथ एक नए द्विपक्षीय व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने के भी करीब है.
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एसकेटी/एबीएम
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