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बैंक धोखाधड़ी मामले में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के पूर्व शाखा प्रबंधक को चार साल की सजा

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गाजियाबाद, 18 अक्‍टूबर . केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत ने बैंक धोखाधड़ी मामले में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के पूर्व शाखा प्रबंधक को सजा सुनाई. गाजियाबाद की विशेष अदालत ने Saturday को यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, लघु उद्योग शाखा (नोएडा) के शाखा प्रबंधक मनोज श्रीवास्तव को बैंक धोखाधड़ी के मामले में चार वर्ष की कैद और 30 हजार रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई है.

सीबीआई द्वारा दर्ज First Information Report के मुताबिक, यह मामला वर्ष 2007 से 2009 के बीच का है. इस अवधि में मनोज श्रीवास्तव यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की एसएसआई शाखा, नोएडा में शाखा प्रबंधक के पद पर कार्यरत थे. उन पर आरोप था कि उन्होंने अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग करते हुए, अन्य व्यक्तियों के साथ आपराधिक षड्यंत्र रचकर फर्जी और जाली दस्तावेजों के आधार पर ऋण स्वीकृत किए और वितरित करवाए, जिससे बैंक को आर्थिक हानि हुई.

इस संबंध में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने 14 दिसंबर 2010 को मनोज श्रीवास्तव और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया था. सीबीआई ने जांच पूरी होने के बाद 29 सितंबर 2012 को अदालत में आरोप पत्र (चार्जशीट) दाखिल किया.

आरोपी मनोज श्रीवास्तव ने मुकदमे की सुनवाई के दौरान विशेष न्यायाधीश (सीबीआई भ्रष्टाचार निरोधक), गाजियाबाद की अदालत में दोष स्वीकार करने की याचिका (गिल्टी प्ली) दायर की. उन्होंने अदालत के समक्ष अपने अपराध को स्वीकार कर लिया.

अदालत ने Saturday को अपने निर्णय में आरोपी की दोष स्वीकारोक्ति को ध्यान में रखते हुए दोनों मामलों (सीसी) में उसे दोषी ठहराया और चार वर्ष के कठोर कारावास के साथ 30 हजार का जुर्माना लगाने का आदेश दिया. इस फैसले के साथ ही यह मामला लगभग 15 वर्षों बाद अपने निष्कर्ष पर पहुंचा.

इससे पहले, सीबीआई ने जम्मू में एक सेक्शन अधिकारी को 80 हजार रुपए की रिश्वत के मामले में गिरफ्तार किया है. यह अधिकारी जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख फाइनेंस कॉर्पोरेशन (जेकेएलएफसी) के कानूनी विभाग में तैनात था.

एएसएच/पीएसके

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