रांची, 2 जुलाई . झारखंड के साहिबगंज जिला स्थित भोगनाडीह में 30 जून को ‘हूल क्रांति दिवस’ पर हुए बवाल को लेकर भारतीय जनता पार्टी और झारखंड मुक्ति मोर्चा के बीच जुबानी जंग और सियासी टकराव तेज हो गए हैं. बुधवार को दोनों पार्टियों ने इस घटना को लेकर एक-दूसरे पर गंभीर आरोप लगाए.
झारखंड मुक्ति मोर्चा के राष्ट्रीय महासचिव और प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने पार्टी कार्यालय में एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए भोगनाडीह की घटना को भाजपा के शीर्ष नेताओं की साजिश करार दिया. उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी झारखंड के संथाल परगना को मणिपुर की तरह हिंसा की आग में झोकना चाहती है, लेकिन राज्य की सरकार इसे पूरी सख्ती के साथ नाकाम कर देगी.
भट्टाचार्य ने कहा कि 1855 की हूल क्रांति के शहीदों सिदो-कान्हू, चांद-भैरव और फूलो-झानो की याद में हर साल 30 जून को भोगनाडीह में राजकीय कार्यक्रम आयोजित होता है, जिसमें मुख्यमंत्री भी भाग लेते हैं. जिस स्थान पर राजकीय कार्यक्रम होता है, वहां किसी राजनीतिक दल को कार्यक्रम की इजाजत नहीं दी जा सकती, लेकिन इसके बावजूद भारतीय जनता पार्टी ने अपने एक ‘प्यादे’ मंडल मुर्मू को मोहरा बनाकर वहां जबरन समानांतर कार्यक्रम घोषित कर दिया और माहौल बिगाड़ने की साजिश की.
झामुमो नेता ने आरोप लगाया कि यह साजिश गोड्डा के भाजपा सांसद निशिकांत दुबे और पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने रची. उन्होंने कहा कि इसका खुलासा दूसरे दिन तब हो गया, जब चंपई सोरेन का करीबी भाजपा का कार्यकर्ता सुधीर कुमार अवैध हथियारों के साथ गिरफ्तार हुआ. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इस बात की उच्चस्तरीय जांच कराए कि हूल दिवस के कार्यक्रम के लिए जमशेदपुर से संथाल परगना गए भाजपा के कार्यकर्ता अवैध हथियार लेकर क्यों घूम रहे थे? क्या मुख्यमंत्री और झारखंड सरकार के मंत्री की हत्या की साजिश हो रही थी?
दूसरी तरफ, भाजपा के प्रदेश महामंत्री एवं राज्यसभा सांसद आदित्य साहू ने झामुमो महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि सच तो यह है कि झामुमो पूरे संथाल परगना को पश्चिम बंगाल की तरह तुष्टिकरण में बर्बाद करना चाहता है. उन्होंने कहा कि आज संथाल समाज झामुमो के चाल-चरित्र को समझ चुका है. अपनी खिसकती जमीन और राज्य सरकार के खिलाफ बढ़ते आक्रोश से झामुमो हताश और निराश है.
आदित्य साहू ने कहा कि झामुमो जिन शहीदों के नाम पर राजकीय महोत्सव की बात कर रहा है, क्या उसमें शहीद के वंशज का कोई सम्मान नहीं होना चाहिए? क्या शहीद के वंशज अपने पूर्वजों के शहीद स्थल पर पूजा नहीं कर सकते? उन्हें भोगनाडीह में शहीद स्मारक पर जाने से क्यों रोका गया? भाजपा सांसद ने कहा कि तानाशाही चला रही हेमंत सरकार ने शहीदों के वंशजों पर लाठियां बरसाईं और आंसू गैस के गोले छोड़े. झामुमो अपने कुकृत्यों के बदले माफी न मांगकर उल्टे लाठी चार्ज की घटना को सही ठहराने की कोशिश कर रही है.
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एसएनसी/डीएससी
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