रांची, 11 जुलाई . झारखंड के ग्रामीण विकास विभाग में टेंडर-कमीशन घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस के आरोपी State government के पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता आलमगीर आलम को हाई कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. अदालत ने 14 महीने से न्यायिक हिरासत में जेल में बंद पूर्व मंत्री की जमानत याचिका खारिज कर दी है.
उनकी याचिका पर सभी पक्षों की सुनवाई 20 जून को पूरी होने के बाद जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की बेंच ने सुरक्षित रखी थी. याचिका पर सुनवाई के दौरान ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) को ओर से अधिवक्ता जोएब हुसैन ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पक्ष रखा था, जबकि आलमगीर आलम की ओर से अधिवक्ता एस. नागामुथु ने दलीलें पेश की थीं.
आलमगीर आलम ने रांची स्थित पीएमएलए (प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग कोर्ट) से जमानत याचिका खारिज होने के बाद हाई कोर्ट में गुहार लगाई थी, लेकिन यहां भी उन्हें मायूसी हाथ लगी. प्रवर्तन निदेशालय ने उन्हें 15 मई 2024 को गिरफ्तार किया था. इससे पहले आलमगीर आलम के ओएसडी संजीव लाल, उनके घरेलू सहायक सहित कई ठेकेदारों के ठिकानों पर ईडी ने 6 मई 2024 को छापेमारी की थी. इस दौरान संजीव लाल के घरेलू सहायक जहांगीर आलम के ठिकाने से 30 करोड़ रुपए, ठेकेदार मुन्ना सिंह के ठिकाने से 2.93 करोड़ रुपए और राजीव सिंह के ठिकाने से 2.14 करोड़ रुपए बरामद किए गए थे.
छापेमारी के बाद ईडी की जांच में खुलासा हुआ था कि ग्रामीण विकास विभाग में टेंडरों के बंटवारे में बड़े पैमाने पर कमीशन का खेल चल रहा था. कमीशन की बड़ी राशि मंत्री आलमगीर आलम के पास पहुंचती थी. राज्य में हेमंत सोरेन 2.0 और उसके बाद चंपई सोरेन की कैबिनेट में आलमगीर आलम नंबर दो की हैसियत वाले मंत्री होते थे. वह झारखंड विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल के नेता भी थे. जेल जाने के कुछ दिनों बाद उन्होंने इन दोनों पदों से इस्तीफा दे दिया था.
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एसएनसी/एकेजे
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