संभल, 5 जुलाई . उत्तर प्रदेश के संभल में मुहर्रम को लेकर ताजिया निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है. यह परंपरा ईद उल फितर के बाद ही शुरू हो जाती है और कई पीढ़ियों से चली आ रही है. चमन सराय निवासी आसिफ खान का परिवार पिछले 50 सालों से ताजिया निर्माण का कार्य कर रहा है. 10 से 12 कारीगर एक ताजिया तैयार करने में तीन महीने पहले काम शुरू कर देते हैं.
सिर्फ संभल में ही नहीं, बल्कि रामपुर, बदायूं, बिजनौर और अमरोहा जैसे जनपदों में भी ताजिया भेजे जाते हैं. इस वर्ष आसिफ खान ने 30 से 35 ताजिए तैयार किए हैं, जबकि पहले यह संख्या 50 तक होती थी. प्रशासनिक गाइडलाइन के चलते अब ताजियों की अधिकतम ऊंचाई 10-12 फुट निर्धारित कर दी गई है, जो पहले 35-40 फुट तक हुआ करती थी. इससे न केवल निर्माण लागत पर असर पड़ा है, बल्कि बिक्री भी प्रभावित हुई है.
करीब तीन दशकों से ताजिया निर्माण में लगे कारीगर शाहिद मसूदी ने बताया कि इस बार के सभी ताजिए गाइडलाइन के अनुसार तैयार किए गए हैं. आयोजन पूरी तरह शांतिपूर्ण हो, इसके लिए विशेष सावधानी बरती जा रही है. हमें भरोसा है कि यह साल भी आस्था और भाईचारे का प्रतीक बनकर गुजरेगा.
6 जुलाई को संभल शहर के विभिन्न मोहल्लों से ताजियों का पारंपरिक जुलूस निकाला जाएगा. इसको लेकर लोगों और कारीगरों में खासा उत्साह देखा जा रहा है.
बिलारी तहसील के गांव मुंडिया राजा निवासी महबूब अली ने बताया कि उन्होंने शासन की गाइडलाइन का पालन करते हुए 10 फीट का ताजिया खरीदा है. उनका कहना है, “जो लोग 20-30 फीट के ताजिए ले रहे थे, वह गलत कर रहे थे. प्रशासन की जो व्यवस्था है, उसी के अनुसार चलना सही है.”
संभल में मुहर्रम का यह आयोजन न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि सांप्रदायिक सौहार्द और सामाजिक सहभागिता का भी उदाहरण है. कारीगरों की मेहनत और श्रद्धालुओं की आस्था मिलकर इसे विशेष बना देती है.
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डीकेपी/डीएससी
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