New Delhi, 5 अक्टूबर . मौसम बदलने के साथ ही कई छोटे-बड़े संक्रमण परेशान करते हैं. बच्चे और बुजुर्गों को इन समस्याओं से ज्यादा गुजरना पड़ता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि किचन में हर छोटी-बड़ी बीमारी का हल छिपा है? किचन में कई ऐसी चीजें मौजूद हैं, जो हमारे शरीर के लिए प्राकृतिक एंटीबायोटिक की तरह काम करती हैं.
अगर आपको भी खांसी, जुखाम, बुखार, शारीरिक कमजोरी, या रोग प्रतिरोधक क्षमता कम महसूस होती है तो ये चीजें आपकी मदद कर सकती हैं.
अदरक ज्यादातर भारतीय किचन में मिल जाता है और इसका सेवन कई बीमारियों में राहत देता है. जिंजरोल की वजह से अदरक का स्वाद तीखा और तेज लगता है, लेकिन ये यौगिक संक्रमण से बचने में मदद करता है.
छोटी सी दिखने वाली हल्दी भी गुणों से भरपूर होती है. हल्दी में करक्यूमिन और विटामिन सी होता है, जो सूजन, संक्रमण या रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मददगार हो सकता है. सर्दियों में कच्ची हल्दी की सब्जी या हल्दी से बना काढ़ा पी सकते हैं.
लहसुन भी हर घर में मौजूद होता है. ये प्राकृतिक एंटीबायोटिक का खजाना है. लहसुन में फेनोलिक यौगिक और ऑर्गेनोसल्फर यौगिक जैसे तत्व होते हैं. लहसुन का सेवन न सिर्फ बीमारियों से बचाता है, बल्कि दिल की बीमारी होने से भी बचाता है. लहसुन में मौजूद गुण खून को पतला करने में मदद करते हैं, जिससे कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल में रहता है.
इसके अलावा, आंवला भी औषधीय गुणों से भरपूर है. इसमें भरपूर मात्रा में विटामिन सी और प्राकृतिक एंटीबायोटिक होते हैं, जो पेट से लेकर बालों तक का ख्याल रखते हैं. इसका सेवन करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और पाचन भी सही रहता है. इसका सेवन उबालकर सुबह खाली पेट या फिर मुरब्बे के तौर पर भी किया जा सकता है. मुरब्बे में गुड़ का इस्तेमाल करें.
गिलोय और एलोवेरा दोनों को ही किचन गार्डन में उगाया जाता है, क्योंकि दोनों ही पौधों को ज्यादा देखभाल और जगह की जरूरत नहीं पड़ती. गिलोय कई बीमारियों में काम आता है क्योंकि इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण और विटामिन ए और सी भी पाए जाते हैं. गिलोय बुखार, कब्ज, गठिया, पीलिया और डायबिटीज जैसी दिक्कतों में राहत देता है. इसे जूस के तौर पर लिया जा सकता है.
तुलसी और नीम के पत्ते बहुत गुणकारी होते हैं. इनमें मौजूद प्राकृतिक एंटीबायोटिक शरीर को डिटॉक्स करने का काम करते हैं और शरीर में संक्रमण के स्तर को भी कम करते हैं. स्किन पर होने वाली समस्याओं के साथ पत्तियों के सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है. तुलसी और नीम की कुछ पत्तियों को सुबह खाली पेट चबाया जा सकता है.
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पीएस/वीसी
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