बिहार विधानसभा चुनाव की आहट के बीच एनडीए खेमे में असमंजस गहराता जा रहा है। लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान की रहस्यमयी चुप्पी ने गठबंधन के अंदर बेचैनी बढ़ा दी है। मंगलवार को दिल्ली में भाजपा के बिहार चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान और विनोद तावड़े से मुलाकात के बाद भी चिराग ने कोई स्पष्ट संकेत नहीं दिया, जिससे राजनीतिक हलकों में कई तरह की चर्चाएं तेज हो गई हैं।
मुलाकात के बाद भी मौन क्यों?
सूत्रों के अनुसार, इस बैठक के दौरान बिहार में सीट बंटवारे को लेकर लंबी चर्चा हुई, लेकिन चिराग ने किसी निष्कर्ष पर हामी नहीं भरी। हैरानी की बात यह रही कि उन्होंने न तो बैठक के बाद मीडिया से बात की और न ही सोशल मीडिया पर कोई प्रतिक्रिया साझा की। हालांकि, चिराग ने इसी बीच बिहार चुनाव के लिए पार्टी के दो प्रमुख जिम्मेदार नेताओं की नियुक्ति कर दी — जमुई सांसद अरुण भारती को चुनाव प्रभारी और बिहार प्रदेश अध्यक्ष राजू तिवारी को सह-प्रभारी बनाया गया है। अब यही दोनों नेता एनडीए के साथ सीटों को लेकर आगे की बातचीत संभालेंगे।
सीट बंटवारे पर अड़े चिराग
जानकारों की मानें तो चिराग पासवान गठबंधन में कम से कम 43 सीटों की मांग पर कायम हैं। उनकी यह दलील 2024 के लोकसभा नतीजों, साथ ही 2020 और 2015 के विधानसभा चुनावों में पार्टी के प्रदर्शन पर आधारित है। बताया जा रहा है कि कुछ सीटों को लेकर भाजपा और लोजपा (रा) के बीच जिच अब भी बरकरार है, और यही मौन का असली कारण हो सकता है। भाजपा के बिहार प्रभारी विनोद तावड़े ने ‘एक्स’ (X) पर बैठक की तस्वीरें साझा करते हुए लिखा कि “बिहार की प्रगति के लिए एनडीए सरकार जरूरी है और गठबंधन के सभी साथी इसके लिए प्रतिबद्ध हैं।”
एनडीए के समर्थन में लेकिन सौदेबाजी जारी
हाल के दिनों में चिराग पासवान के बयान लगातार एनडीए के पक्ष में रहे हैं, जिससे यह साफ झलकता है कि वे गठबंधन से अलग होने के मूड में नहीं हैं। लेकिन सीटों की संख्या पर वे किसी समझौते के मूड में नहीं दिखते। उनके बहनोई और पार्टी के बिहार प्रभारी अरुण भारती ने सोशल मीडिया पर दावा किया था कि लोजपा (रा) को पिछले चुनावों के प्रदर्शन को देखते हुए 43 से 137 सीटों के बीच अधिकार बनता है।
पुण्यतिथि कार्यक्रम में हो सकता है बड़ा ऐलान
चिराग पासवान बुधवार को अपने पिता, स्वर्गीय रामविलास पासवान की पुण्यतिथि पर खगड़िया के शहरबन्नी में होने वाले कार्यक्रम में शामिल होंगे। पार्टी सूत्रों का कहना है कि इस कार्यक्रम के दौरान चुनाव रणनीति की रूपरेखा तय की जा सकती है। माना जा रहा है कि चिराग इस मंच से एनडीए के साथ सीटों को लेकर अपने रुख को सार्वजनिक कर सकते हैं।
एनडीए के भीतर इस समय सबसे बड़ा सवाल यही है — क्या चिराग पासवान गठबंधन में बने रहेंगे या कोई नया राजनीतिक रास्ता चुनेंगे? उनकी खामोशी अब बिहार की राजनीति में सबसे ज्यादा सुनी जा रही आवाज बन गई है।
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