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रिपोर्ट में खुलासा: डेक्सट्रोमेथॉर्फन देने के बाद सीकर के नित्यांश की मौत, डॉक्टर ने दवा नहीं लिखी थी

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जयपुर। बच्चों को दी जाने वाली खांसी की दवा डेक्सट्रोमेथॉर्फन को लेकर उठे सवालों के बीच एक बड़ा खुलासा हुआ है। सीकर जिले के नित्यांश की मौत के मामले में सामने आया है कि उसे यह दवा चिकित्सक ने नहीं लिखी थी, बल्कि परिजनों ने अपने स्तर पर पहले से घर में रखी दवा दे दी थी। चिकित्सा विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, डेक्सट्रोमेथॉर्फन बच्चों के लिए प्रतिबंधित दवा है और प्रोटोकॉल के तहत इसे बच्चों को नहीं लिखना चाहिए।

स्वास्थ्य विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, भरतपुर और सीकर में बच्चों की मौत के दो मामलों की रिपोर्ट में यह बात साफ हो गई है कि चिकित्सकों ने संबंधित बच्चों को डेक्सट्रोमेथॉर्फन सिरप प्रिस्क्राइब नहीं किया था। इसके बावजूद बच्चों को यह दवा दी गई, जो उनके लिए घातक साबित हुई। सीकर जिले की हाथीदेह पीएचसी पर बच्चों के लिए यह दवा लिखने की जानकारी सामने आने के बाद विभाग ने वहां के एक डॉक्टर और फार्मासिस्ट को सस्पेंड करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।


जनस्वास्थ्य निदेशक डॉ. रवि प्रकाश शर्मा के अनुसार, दोनों ही मामलों में यह तथ्य सामने आया कि न तो सीकर में और न ही भरतपुर में किसी डॉक्टर ने बच्चों को Dextromethorphan HBr Syrup लिखी थी। सीकर के अजीतगढ़ ब्लॉक के ग्राम खोरी निवासी नित्यांश की मौत 29 सितम्बर को हुई। उसकी मां के अनुसार, 28 सितंबर की रात हल्की खांसी होने पर नित्यांश को घर में रखी डेक्सट्रोमेथॉर्फन सिरप की 5 एमएल डोज दी गई थी। अगली सुबह जब मां उठी, तो बच्चा बेसुध मिला। अस्पताल ले जाने पर डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

वहीं भरतपुर में भी एक ऐसा ही मामला सामने आया है, जहां 30 वर्षीय मोनू जोशी को डॉक्टर ने खांसी के लिए डेक्सट्रोमेथॉर्फन सिरप लिखी थी, लेकिन मोनू ने यही सिरप अपने तीन वर्षीय बेटे गगन को भी पिला दी, जो पहले से सर्दी और निमोनिया से पीड़ित था। गगन की तबीयत बिगड़ने पर उसे तुरंत महुआ ले जाया गया, जहां से डॉक्टरों ने जेके लोन, जयपुर रैफर किया। गगन की स्थिति में सुधार के बाद 27 सितम्बर को उसे डिस्चार्ज कर दिया गया।

रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि भरतपुर में 22 सितम्बर को एक अन्य बच्चा सम्राट, जिसकी पहले से निमोनिया की स्थिति गंभीर थी, उसकी मृत्यु हुई। उसे उप स्वास्थ्य केंद्र से पीसीएम दी गई थी और फिर जयपुर रैफर किया गया था। विभाग का कहना है कि इस मामले में भी डेक्सट्रोमेथॉर्फन का प्रिस्क्रिप्शन नहीं था।



स्वास्थ्य विभाग ने इन घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए एडवाइजरी जारी की है। इसमें कहा गया है कि डॉक्टर केवल निर्धारित प्रोटोकॉल के तहत ही दवाएं लिखें और विशेष रूप से बच्चों के मामले में अतिरिक्त सावधानी बरतें। मरीजों को भी सलाह दी गई है कि वे बिना डॉक्टर की सलाह के कोई भी दवा न लें, चाहे वह पहले से घर में ही क्यों न हो। बच्चों के इलाज में विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है और किसी भी एडल्ट मेडिसिन का उपयोग उनके लिए घातक साबित हो सकता है।

इन घटनाओं ने यह स्पष्ट कर दिया है कि बिना चिकित्सकीय परामर्श के दवाओं का सेवन कितना खतरनाक हो सकता है। विभाग ने सभी अस्पतालों और चिकित्सकों को चेताया है कि बच्चों के इलाज में केवल वही दवाएं दी जाएं जो गाइडलाइंस के अनुरूप हों और फार्मासिस्ट बिना डॉक्टर की पर्ची के कोई भी दवा न दें।

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