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ईरान ने अमेरिका-इजरायल को दिया बड़ा झटका, IAEA से संबंध तोड़ने का बिल संसद में किया पास

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ईरान की संसद ने बुधवार को एक बिल पास किया है, जिसमें संयुक्त राष्ट्र की परमाणु निगरानी संस्था- अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के साथ ईरान के संबंध तोड़ने और सहयोग निलंबित करने की बात की गई है। ईरानी समाचार आउटलेट नूरन्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, इस कदम को लागू करने के लिए ईरान की सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की भी अंतिम मंजूरी जरूरी है। यह कदम तब उठाया गया है, जब ईरान और इजरायल के बीच 12 दिनों की जंग के बाद सीजफायर का ऐलान हुआ है। इजरायल ने कहता आया है कि वह अपने सबसे पुराने दुश्मन ईरान को परमाणु हथियार विकसित करने से रोकना चाहता है।

ईरान अपने असैन्य परमाणु कार्यक्रम को और तेज करेगा

ईरानी मीडिया के अनुसार, संसद के अध्यक्ष मोहम्मद बाकर कलीबाफ ने कहा कि ईरान अपने असैन्य परमाणु कार्यक्रम को और तेज करेगा। हालांकि, तेहरान लगातार परमाणु हथियार बनाने की बात से इनकार करता आया है। ईरान ने कहा कि इस महीने अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) द्वारा पारित एक प्रस्ताव ने ईरान को अपने अप्रसार दायित्वों का उल्लंघन करने वाला घोषित किया है, जिससे ईरान की छवि धूमिल हुई है। ईरान का कहना है कि आईएईए के इस कदम के बाद ही इजरायल ने ईरान पर हमला बोला था।

आईएईए के रवैये पर उठा सवाल

ईरानी संसद के अध्यक्ष ने कहा कि आईएईए का रवैया गड़बड़ रहा है क्योंकि इस वैश्विक संस्था ने ईरान के परमाणु संयंत्रों पर हमले की निंदा तक नहीं की और अपनी अंतर्राष्ट्रीय विश्वसनीयता को खुद ही दांव पर लगा दिया। उन्होंने कहा कि यही कारण है कि ईरान ने आईएईए के साथ सभी तरह की सुविधाओं की सुरक्षा की गारंटी देने और एजेंसी के साथ अपने सहयोग को निलंबित करने का फैसला किया है।

आईएईए जब तक सुरक्षा की गारंटी नहीं देता

इस सप्ताह की शुरुआत में ही ईरानी संसद की राष्ट्रीय सुरक्षा समिति ने विधेयक की सामान्य रूपरेखा को मंजूरी दी थी। समिति के प्रवक्ता, इब्राहिम रेजाई ने कहा कि पारित किए गए विधेयक के अनुसार, ईरान आईएईए को देश में निगरानी कैमरों की स्थापना, निरीक्षण की इजाजत और आईएईए को रिपोर्ट दाखिल करने को निलंबित कर देगा। उन्होंने कहा कि ये सारी सुविधाएं तब तक निलंबित रहेंगी, जब तक कि आईएईए परमाणु सुविधाओं की सुरक्षा की गारंटी नहीं दे देता। हालांकि, इस विधेयक को पारित करने के लिए संसद को एक और पूर्ण सत्र से मंजूरी लेनी होगी।

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