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इस प्लान से UN को टक्कर देगा चीन! पाकिस्तान समेत कई देशों संग मिलकर बनाया नया वैश्विक मंच

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चीन ने 30 से ज्यादा देशों के साथ मिलकर नया वैश्विक मध्यस्थता समूह बनाया है। इस समूह में पाकिस्तान, इंडोनेशिया, बेलारूस और क्यूबा  समेत कई देश शामिल हुए हैं। माना जा रहा है कि चीन ने संयुक्त राष्ट्र को सीधी टक्कर देने के लिए यह वैश्विक मंच बनाया है। चीनी विदेश मंत्रालय के मुताबिक हांगकांग में शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता संगठन (आईओएमईडी) की स्थापना पर एक सम्मेलन का आयोजन हुआ। इसमें एशिया, अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और यूरोप के 85 देशों के साथ लगभग 20 अंतरराष्ट्रीय संगठनों के लगभग 400 उच्च-स्तरीय प्रतिनिधियों ने शिरकत की।

मंत्रालय के अनुसार इनमें से 33 देशों ने मौके पर ही कन्वेंशन में हस्ताक्षर किए और इसके संस्थापक सदस्य देश बन गए। सीपीसी केंद्रीय समिति के राजनीतिक ब्यूरो के सदस्य और चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने समारोह में कहा कि चीन ने हमेशा आपसी समझ और समझौते की भावना से मतभेदों को सुलझाने, बातचीत और परामर्श के माध्यम से आम सहमति बनाने, जीत की मानसिकता के साथ विकास को बढ़ावा देने और दूरदर्शी दृष्टिकोण के साथ चुनौतियों का समाधान करने की वकालत की है।

वांग ने समारोह में कहा कि हांगकांग में मुख्यालय वाले इस निकाय का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय विवादों के सौहार्दपूर्ण समाधान को बढ़ावा देना और अधिक सामंजस्यपूर्ण वैश्विक संबंध बनाना है। बीजिंग ने इस संगठन को मध्यस्थता के माध्यम से विवादों को सुलझाने वाला दुनिया का पहला अंतर-सरकारी कानूनी संगठन बताया है और कहा है कि यह संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों की सुरक्षा में एक महत्वपूर्ण तंत्र होगा। इसने हांगकांग को एशिया में एक अंतरराष्ट्रीय कानूनी और विवाद समाधान सेवा केंद्र के रूप में भी स्थापित किया। हांगकांग के नेता जॉन ली ने कहा कि संगठन इस साल के अंत तक अपना काम शुरू कर सकता है।

समारोह में संयुक्त राष्ट्र सहित लगभग 50 अन्य देशों और लगभग 20 संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। न्यूज़ एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, हस्ताक्षर समारोह में भाग लेने वाले देशों में इंडोनेशिया, पाकिस्तान, लाओस, कंबोडिया और सर्बिया शामिल थे। संयुक्त राष्ट्र सहित 20 अंतरराष्ट्रीय निकायों के प्रतिनिधियों के भी भाग लेने की उम्मीद थी। कुछ विश्लेषकों ने कहा कि मध्यस्थता समूह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चीन के प्रभाव को बढ़ा सकता है और वैश्विक शासन में दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के लिए अधिक मुखर भूमिका को बढ़ावा दे सकता है।

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