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कंधे की जकड़न को न करें नजरअंदाज, हो सकता है बड़ा इशारा

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सुबह उठते ही गर्दन में अकड़न, ऑफिस में लंबे समय तक काम करने के बाद कंधे में भारीपन — ये आम समस्याएं लगती हैं। लेकिन अगर यह जकड़न बार-बार हो, लगातार बनी रहे या इसके साथ अन्य लक्षण भी दिखें, तो इसे नजरअंदाज करना खतरे से खाली नहीं।

आइए समझते हैं कि कब यह समस्या सामान्य होती है और कब डॉक्टर की सलाह लेना ज़रूरी हो जाता है।

कब है यह मामूली और तनाव से जुड़ी जकड़न?
डॉक्टरों के मुताबिक, हल्की जकड़न अक्सर इन कारणों से होती है:

लंबे समय तक एक ही पोजिशन में बैठना

लगातार मोबाइल या लैपटॉप देखना

गलत तकिया या सोने की मुद्रा

मानसिक तनाव

लक्षण जो मामूली माने जाते हैं:

हल्का दर्द या खिंचाव महसूस होना
थोड़ी हलचल या स्ट्रेचिंग से आराम मिलना
मसाज, गर्म पानी की सिकाई से राहत
नींद पूरी न होना या दिनभर का तनाव जुड़ा होना

ऐसी स्थिति में ये उपाय कारगर होते हैं:

गर्दन और कंधे की हल्की स्ट्रेचिंग

गर्म पानी से सिकाई

सीधे बैठने की आदत

मोबाइल/लैपटॉप का सीमित प्रयोग

कब है यह गंभीर? जानें खतरे के संकेत
अगर जकड़न के साथ नीचे दिए गए लक्षण दिखें तो यह गंभीर स्थिति हो सकती है:

1. सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस
गर्दन की हड्डियों का घिसना

चक्कर आना, हाथों में कमजोरी, झनझनाहट

2. स्लिप डिस्क (Slip Disc)
रीढ़ की डिस्क खिसकने से नस दब जाती है

दर्द गर्दन से हाथ तक फैलता है

3. फ्रोज़न शोल्डर (Frozen Shoulder)
कंधा ऊपर उठाना मुश्किल

डायबिटीज़ के मरीजों में आम

4. मेनिंजाइटिस (Meningitis)
तेज बुखार, गर्दन में अकड़न, उल्टी और चक्कर

ब्रेन की परतों में सूजन का संकेत

कब डॉक्टर से मिलना ज़रूरी है?
जब जकड़न 2-3 दिन से ज़्यादा रहे
जब दर्द बढ़ता जाए या हाथ सुन्न पड़ने लगें
जब चक्कर, बुखार, सिरदर्द जैसे लक्षण साथ हों
जब घरेलू उपाय और दवाएं बेअसर हों

ऐसे में तुरंत ऑर्थोपेडिक या न्यूरोलॉजिस्ट से सलाह लें। सही समय पर इलाज से बड़ी परेशानियों से बचा जा सकता है।

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