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AAP के सौरभ भारद्वाज, सत्येंद्र जैन की बढ़ेगी मुश्किल, अस्पताल मामले में ACB जांच को लेकर LG ने दी मंजूरी

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नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार के कार्यकाल में सरकारी अस्पतालों के निर्माण से संबंधित हजारों करोड़ रुपये के कथित घोटाले में पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन और सौरभ भारद्वाज की मुश्किलें बढ़ गई हैं। दिल्ली सरकार की एंटी करप्शन ब्रांच को इस मामले में केंद्रीय गृह मंत्रालय से इन दोनों पूर्व मंत्रियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत जांच करने की अनुमति मिल गई है।



शिकायत के आधार पर की जा रही कार्रवाई



विजिलेंस विभाग ने इस संबंध में मंजूरी लेने के लिए एलजी वी.के. सक्सेना के पास एक प्रस्ताव भेजा था। एलजी ने 6 मई को ही इस प्रस्ताव पर मंजूरी देते हुए आगे के अप्रूवल के लिए उसे केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास भेज दिया था। मंगलवार को यह जानकारी सामने आई कि गृह मंत्रालय ने भी ACB को दोनों मंत्रियों के खिलाफ जांच करने की मंजूरी दे दी है। यह मंजूरी भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 17-A के तहत दी गई है।यह कार्रवाई दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता की 22 अगस्त 2024 को दी गई शिकायत के आधार पर की जा रही है। इस शिकायत में विजेंद्र गुप्ता ने आरोप लगाया था कि दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग में कथित रूप से बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है, जिसमें उस समय के मंत्री भी शामिल थे।



क्या है मामला?



दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता के मुताबिक, वर्ष 2018-19 में कुल 5,590 करोड़ रुपये की लागत से 24 अस्पतालों के निर्माण (11 नए और 13 पुराने अस्पतालों का विस्तार) की परियोजनाओं को मंजूरी दी गई थी, लेकिन ये परियोजनाएं अभी तक पूरी नहीं हो पाई हैं और उनकी लागत भी कई गुना बढ़ चुकी है। गुप्ता ने शिकायत में कहा था कि सितंबर 2021 में 6 महीने में बनने वाले 7 आईसीयू अस्पताल (6,800 बेड) 1,125 करोड़ की लागत से मंजूर हुए थे, लेकिन अब तक केवल 50% काम ही पूरा हुआ है और खर्च 800 करोड़ तक पहुंच चुका है। इसके अलावा LNJP अस्पताल की नई इमारत की लागत भी 465 करोड़ से बढ़कर 1,125 करोड़ हो गई है। 94 पॉलिक्लिनिक की योजना 168 करोड़ में बनी थी, लेकिन 220 करोड़ रुपये खर्च करने के बाद भी सिर्फ 52 पॉलिक्लिनिक ही बन पाए। वित्तीय पारदर्शिता से बचने के लिए हेल्थ इंफॉर्मेशन मैनेजमेंट सिस्टम को भी जानबूझकर रोका गया और कम लागत वाले NIC के ई-हॉस्पिटल जैसे विकल्पों को नजरअंदाज किया गया।



जांच में हुआ खुलासा

ACB की प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि परियोजनाओं की लागत बढ़ाई गई, उनमें जानबूझकर देरी की गई, फंड का दुरुपयोग हुआ और अनुपयोगी संपत्तियां बनाई गईं, जिससे सरकार को भारी नुकसान हुआ। आगे की जांच की अनुमति के लिए मामला सतर्कता विभाग से होते हुए एलजी के माध्यम से गृह मंत्रालय को भेजा गया था। PWD और स्वास्थ्य विभाग ने भी जांच के लिए सहमति दी थी।
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