गुवाहाटी: असम में SIR (एसाईआर) को लेकर असम सरकार और राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने चुनाव आयोग (EC) को सुझाव दिया है कि यह प्रक्रिया विधानसभा चुनावों के बाद ही की जाए। उनका कहना है कि SIR तभी कराना उचित होगा जब राज्य में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) अधिसूचित हो जाए। सूत्रों के अनुसार, असम के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने इस संबंध में कानूनी राय लेकर अपने रुख का समर्थन किया है। उन्होंने चुनाव आयोग को बताया कि नागरिकता से जुड़े असम के विशेष प्रावधानों और लंबित एनआरसी प्रक्रिया के कारण इस समय SIR कराना राज्य में गंभीर जटिलताएं पैदा कर सकता है।   
   
2026 में होने हैं चुनाव
चुनाव आयोग फिलहाल इस पर विचार कर रहा है कि 2026 के असम विधानसभा चुनावों से पहले SIR कराया जाए या सामान्य विशेष सारांश संशोधन (SSR) से काम चलाया जाए। SIR की राजनीतिक संवेदनशीलता को देखते हुए आयोग का कोई भी फैसला (चाहे SIR टालना हो या स्थगित करना) राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन सकता है। चुनाव आयोग को बताया गया है कि यदि NRC दस्तावेज या सूची अधिसूचित हो जाती है, तो SIR प्रक्रिया बेहद सरल और पारदर्शी हो जाएगी, क्योंकि यह मतदाताओं के लिए नागरिकता का स्पष्ट प्रमाण प्रस्तुत करेगी। वहीं, NRC अधिसूचना से पहले इसे कराने से असम जैसे संवेदनशील राज्य में भ्रम और विवाद की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
     
   
असम मेंकराया जा सकता है SSR
आगामी चुनावों को ध्यान में रखते हुए यह सुझाव दिया गया है कि विधानसभा चुनाव से पहले असम में SSR कराया जा सकता है, जो कानूनी रूप से अनिवार्य है। असम में 2023 में परिसीमन के बाद मतदाता सूची को कई बार अद्यतन किया जा चुका है, जिससे यह पहले से काफी सटीक मानी जा रही है। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के नेतृत्व वाली सरकार ने भी चुनाव आयोग को इसी दिशा में सुझाव दिया है। सरकार का कहना है कि एनआरसी को 2026 के मध्य तक अधिसूचित किया जाएगा, जिसके बाद SIR को लागू करना आसान और प्रभावी होगा।
     
   
SIR को कब और कैसे लागू किया जाए
बता दें कि असम में मई 2026 तक नई विधानसभा के चुनाव होने हैं। NRC का मुद्दा यहां बेहद अहम है क्योंकि यह नागरिकता के 12+1 (आधार सहित) प्रमाणपत्रों में शामिल है। वर्ष 2019 में जारी मसौदा सूची में 3.3 करोड़ आवेदकों में से करीब 19.6 लाख लोगों को बाहर रखा गया था, लेकिन अंतिम सूची आज तक अधिसूचित नहीं हो सकी है। अब चुनाव आयोग को तय करना है कि SIR को कब और कैसे लागू किया जाए।
   
  
2026 में होने हैं चुनाव
चुनाव आयोग फिलहाल इस पर विचार कर रहा है कि 2026 के असम विधानसभा चुनावों से पहले SIR कराया जाए या सामान्य विशेष सारांश संशोधन (SSR) से काम चलाया जाए। SIR की राजनीतिक संवेदनशीलता को देखते हुए आयोग का कोई भी फैसला (चाहे SIR टालना हो या स्थगित करना) राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन सकता है। चुनाव आयोग को बताया गया है कि यदि NRC दस्तावेज या सूची अधिसूचित हो जाती है, तो SIR प्रक्रिया बेहद सरल और पारदर्शी हो जाएगी, क्योंकि यह मतदाताओं के लिए नागरिकता का स्पष्ट प्रमाण प्रस्तुत करेगी। वहीं, NRC अधिसूचना से पहले इसे कराने से असम जैसे संवेदनशील राज्य में भ्रम और विवाद की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
असम मेंकराया जा सकता है SSR
आगामी चुनावों को ध्यान में रखते हुए यह सुझाव दिया गया है कि विधानसभा चुनाव से पहले असम में SSR कराया जा सकता है, जो कानूनी रूप से अनिवार्य है। असम में 2023 में परिसीमन के बाद मतदाता सूची को कई बार अद्यतन किया जा चुका है, जिससे यह पहले से काफी सटीक मानी जा रही है। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के नेतृत्व वाली सरकार ने भी चुनाव आयोग को इसी दिशा में सुझाव दिया है। सरकार का कहना है कि एनआरसी को 2026 के मध्य तक अधिसूचित किया जाएगा, जिसके बाद SIR को लागू करना आसान और प्रभावी होगा।
SIR को कब और कैसे लागू किया जाए
बता दें कि असम में मई 2026 तक नई विधानसभा के चुनाव होने हैं। NRC का मुद्दा यहां बेहद अहम है क्योंकि यह नागरिकता के 12+1 (आधार सहित) प्रमाणपत्रों में शामिल है। वर्ष 2019 में जारी मसौदा सूची में 3.3 करोड़ आवेदकों में से करीब 19.6 लाख लोगों को बाहर रखा गया था, लेकिन अंतिम सूची आज तक अधिसूचित नहीं हो सकी है। अब चुनाव आयोग को तय करना है कि SIR को कब और कैसे लागू किया जाए।
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