प्रमोद पाल, गोरखपुर: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में एक बेहद हैरान कर देने वाली घटना सामने आई है। यहां युवाओं का एक ऐसा गैंग सामने आया है। जो अलग-अलग नाम से व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर सदस्यों को जोड़ते हैं, और फिर आपराधिक वारदातों को अंजाम देते हैं। जिनमें से एक का नाम एके-47 गैंग है तो दूसरे का रेड गैंग। दोनों ही गैंग में नाबालिग से लेकर युवा शामिल है। गैंग का पता तब चला जब छठ पर्व के दिन दोनों के बीच खूनी संघर्ष छिड़ गया और जमकर लाठी डंडों सहित फायरिंग हुई। पुलिस ने दोनों गैंगों पर कार्रवाई करते हुए, अब तक उनके 22 सदस्यों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है और अन्य की तलाश जारी है।
"कभी शिकागो से होती थी गोरखपुर की तुलना"
गोरखपुर में 70 और 80 के दशक में गैंगवार चरम पर था, उस वक्त शाही गैंग और तिवारी गैंग के सदस्यों के बीच आए दिन फायरिंग, गंगवार और अपराध की खबरें सुनाई देती थी। आए दिन हत्या और एक दूसरे के बीच फायरिंग का दौर जारी था। इन आपराधिक गतिविधियों को देखते हुए उस वक्त गोरखपुर शहर को अमेरिका के "शिकागो" शहर से जोड़कर देखा जाता था। मीडिया अक्सर इसकी तुलना शिकागो से करती थी। कालांतर में ओमप्रकाश पासवान जैसे नाम भी उभर कर सामने आए फिर बाद में विनोद उपाध्याय, सुधीर सिंह, प्रदीप सिंह, श्रीपत दाढ़ी, श्रीप्रकाश शुक्ला जैसे ना जाने कितने अपराधिक नाम सामने आते गए।
लेकिन तब बीजेपी के शासन के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने अपराधियों पर नकेल कसते हुए उन्हें सलाखों के पीछे भेजा तो अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गैंगस्टर की कार्रवाई करते हुए ज्यादातर अपराधियों को जेल भेज दिया है या फिर उनका नामोनिशान ही मिट गया। बचे-खुचे कुछ प्रदेश छोड़कर ही चले गए।
अब एक बार फिर से गोरखपुर में इसकी सुगबुगाहट सुनाई देने लगी है। साल भर पहले महादेव और महाकाल नाम से व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर कम उम्र के लड़कों का एक गैंग तैयार हुआ था, इनके बीच आए दिन मारपीट होती थी। इन ग्रुपों के सदस्य किसी के बुलावे पर मारपीट करने कहीं भी पहुंच जाते थे, आए दिन दोनों ही गैंगों के सदस्यों के बीच खुलेआम मारपीट और अवैध असलहों से फायरिंग की घटनाएं सामने आती रहती थी।
पुलिस ने सख्त कार्रवाई करते हुए ग्रुप के सदस्यों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर उन्हें जेल भेज दिया। धीरे-धीरे दोनों ग्रुप ठंडे पड़ने लगे और उनकी सक्रियता कम हो गई। लेकिन अब फिर से गोरखपुर में ऐसे ही व्हाट्सएप ग्रुप तैयार हुए है, जिनमें से एक ग्रुप एके-47 के नाम से सक्रिय है तो दूसरा रेड गैंग के नाम से जाना जा रहा है। दोनों ही ग्रुप में नाबालिक से लेकर 18 से 22 वर्ष के युवा शामिल है। जो कहीं भी किसी के बुलावे पर अपराधिक घटनाओं को अंजाम देने पहुंच जाते हैं।
छठ पर्व के दिन दोनों ग्रुप के सदस्यों के बीच मारपीट के बाद आया नाम सामने
बता दें कि दोनों ग्रुप का अस्तित्व तब सामने आया जब बीते 27 अक्टूबर को छठ पर्व के दिन पीपीगंज थाना क्षेत्र के अकटहवा में गुट के सदस्य आमने-सामने हो गए और जमकर लाठी डंडों, हॉकी सहित फायरिंग हुई। वर्चस्व को लेकर सदस्यों के बीच जमकर मारपीट हुई।
सोशल मीडिया पर इसका वीडियो वायरल होते ही पुलिस ने सक्रियता दिखाते हुए बीते सोमवार और मंगलवार को कुल 22 सदस्यों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है और लगातार कार्रवाई जारी है। ग्रुप की गतिविधियों की जानकारी लखनऊ में बैठे आला अफसरों को भी हुई तो प्रशासनिक कार्रवाई में सीओ सहित पीपीगंज थाना अध्यक्ष को निलंबित कर दिया गया है। डीआईजी गोरखपुर के निर्देश पर आगे की कार्रवाई चल रही है।
क्या कहना है पुलिस का इस बारे में
इस बारे में एसपी नॉर्थ जितेंद्र कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि सर्वप्रथम इसकी शुरुआत महाराजगंज जिले के पनियरा निवासी महावीर ने की थी ग्रुप में कुछ पढ़े लिखे युवाओं को जोड़ने के साथ कुछ आपराधिक किस्म के युवा भी जुड़े थे जो किसी भी बात पर एकत्रित हो जाते और और अपराधिक वारदात को अंजाम देते थे।
वर्ष 2025 में ग्रुप के मुखिया महावीर की मौत हो गई तो सदस्यों के बीच मुखिया बनने की होड़ मच गई। ग्रुप दो धड़ों में बट गया जिनमें से एक ने कुछ सदस्यों के साथ एके-47 ग्रुप बनाया तो दूसरे ने रेड ग्रुप बनाकर व्हाट्सएप पर सदस्यों को जोड़ना शुरू कर दिया। एके-47 ग्रुप के सदस्यों ने बाइक के अलावा अपने हाथों पर एके-47 का टैटू बनवा रखा है तो वही रेड गैंग के सदस्य अपने बालों का रंग लाल रखते हैं।
एसपी नॉर्थ के अनुसार दोनों ही गैंग के पकड़े गए सदस्यों में 7 नाबालिग है तो अन्य 18 से लेकर 22 की उम्र के युवा हैं। अन्य अपराधियों की गिरफ्तारी के लिए पनियरा पुलिस ने अकटहवा पुल के पास एक अस्थाई कैंप भी बना रखा है। ताकि ऐसे ग्रुप के सदस्यों पर नजर रखी जा सके, इसके लिए संयुक्त टीम बनाकर लगातार दबिश दी जा रही है।
"कभी शिकागो से होती थी गोरखपुर की तुलना"
गोरखपुर में 70 और 80 के दशक में गैंगवार चरम पर था, उस वक्त शाही गैंग और तिवारी गैंग के सदस्यों के बीच आए दिन फायरिंग, गंगवार और अपराध की खबरें सुनाई देती थी। आए दिन हत्या और एक दूसरे के बीच फायरिंग का दौर जारी था। इन आपराधिक गतिविधियों को देखते हुए उस वक्त गोरखपुर शहर को अमेरिका के "शिकागो" शहर से जोड़कर देखा जाता था। मीडिया अक्सर इसकी तुलना शिकागो से करती थी। कालांतर में ओमप्रकाश पासवान जैसे नाम भी उभर कर सामने आए फिर बाद में विनोद उपाध्याय, सुधीर सिंह, प्रदीप सिंह, श्रीपत दाढ़ी, श्रीप्रकाश शुक्ला जैसे ना जाने कितने अपराधिक नाम सामने आते गए।
लेकिन तब बीजेपी के शासन के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने अपराधियों पर नकेल कसते हुए उन्हें सलाखों के पीछे भेजा तो अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गैंगस्टर की कार्रवाई करते हुए ज्यादातर अपराधियों को जेल भेज दिया है या फिर उनका नामोनिशान ही मिट गया। बचे-खुचे कुछ प्रदेश छोड़कर ही चले गए।
अब एक बार फिर से गोरखपुर में इसकी सुगबुगाहट सुनाई देने लगी है। साल भर पहले महादेव और महाकाल नाम से व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर कम उम्र के लड़कों का एक गैंग तैयार हुआ था, इनके बीच आए दिन मारपीट होती थी। इन ग्रुपों के सदस्य किसी के बुलावे पर मारपीट करने कहीं भी पहुंच जाते थे, आए दिन दोनों ही गैंगों के सदस्यों के बीच खुलेआम मारपीट और अवैध असलहों से फायरिंग की घटनाएं सामने आती रहती थी।
पुलिस ने सख्त कार्रवाई करते हुए ग्रुप के सदस्यों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर उन्हें जेल भेज दिया। धीरे-धीरे दोनों ग्रुप ठंडे पड़ने लगे और उनकी सक्रियता कम हो गई। लेकिन अब फिर से गोरखपुर में ऐसे ही व्हाट्सएप ग्रुप तैयार हुए है, जिनमें से एक ग्रुप एके-47 के नाम से सक्रिय है तो दूसरा रेड गैंग के नाम से जाना जा रहा है। दोनों ही ग्रुप में नाबालिक से लेकर 18 से 22 वर्ष के युवा शामिल है। जो कहीं भी किसी के बुलावे पर अपराधिक घटनाओं को अंजाम देने पहुंच जाते हैं।
छठ पर्व के दिन दोनों ग्रुप के सदस्यों के बीच मारपीट के बाद आया नाम सामने
बता दें कि दोनों ग्रुप का अस्तित्व तब सामने आया जब बीते 27 अक्टूबर को छठ पर्व के दिन पीपीगंज थाना क्षेत्र के अकटहवा में गुट के सदस्य आमने-सामने हो गए और जमकर लाठी डंडों, हॉकी सहित फायरिंग हुई। वर्चस्व को लेकर सदस्यों के बीच जमकर मारपीट हुई।
सोशल मीडिया पर इसका वीडियो वायरल होते ही पुलिस ने सक्रियता दिखाते हुए बीते सोमवार और मंगलवार को कुल 22 सदस्यों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है और लगातार कार्रवाई जारी है। ग्रुप की गतिविधियों की जानकारी लखनऊ में बैठे आला अफसरों को भी हुई तो प्रशासनिक कार्रवाई में सीओ सहित पीपीगंज थाना अध्यक्ष को निलंबित कर दिया गया है। डीआईजी गोरखपुर के निर्देश पर आगे की कार्रवाई चल रही है।
क्या कहना है पुलिस का इस बारे में
इस बारे में एसपी नॉर्थ जितेंद्र कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि सर्वप्रथम इसकी शुरुआत महाराजगंज जिले के पनियरा निवासी महावीर ने की थी ग्रुप में कुछ पढ़े लिखे युवाओं को जोड़ने के साथ कुछ आपराधिक किस्म के युवा भी जुड़े थे जो किसी भी बात पर एकत्रित हो जाते और और अपराधिक वारदात को अंजाम देते थे।
वर्ष 2025 में ग्रुप के मुखिया महावीर की मौत हो गई तो सदस्यों के बीच मुखिया बनने की होड़ मच गई। ग्रुप दो धड़ों में बट गया जिनमें से एक ने कुछ सदस्यों के साथ एके-47 ग्रुप बनाया तो दूसरे ने रेड ग्रुप बनाकर व्हाट्सएप पर सदस्यों को जोड़ना शुरू कर दिया। एके-47 ग्रुप के सदस्यों ने बाइक के अलावा अपने हाथों पर एके-47 का टैटू बनवा रखा है तो वही रेड गैंग के सदस्य अपने बालों का रंग लाल रखते हैं।
एसपी नॉर्थ के अनुसार दोनों ही गैंग के पकड़े गए सदस्यों में 7 नाबालिग है तो अन्य 18 से लेकर 22 की उम्र के युवा हैं। अन्य अपराधियों की गिरफ्तारी के लिए पनियरा पुलिस ने अकटहवा पुल के पास एक अस्थाई कैंप भी बना रखा है। ताकि ऐसे ग्रुप के सदस्यों पर नजर रखी जा सके, इसके लिए संयुक्त टीम बनाकर लगातार दबिश दी जा रही है।
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