पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विकास के पैरोकार भले ही हों, लेकिन जब चुनाव आता है तो विकास से पहले वो परिवारवाद और जंगलराज के डबल इंजन पर सवार हो जाते हैं। जनसभा में मौजूद जनता को जंगलराज की याद दिलाते हैं, तब धीरे धीरे विकास की पटरी पर उतरते हैं। आखिर बिहार की सत्ता पर लगभग दो दशक तक राज करने वाले नीतीश कुमार इतने वर्षों बाद भी सिर्फ विकास पर वोट की उम्मीद क्यों नहीं करते? चलिए पहले जानते हैं कि आखिर नीतीश कुमार ने क्या कहा और फिर क्यों ऐसा करते हैं ?
जंगलराज का आईना दिखाया
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लालू यादव के जंगलराज का भी आईना दिखाया। उन्होंने कहा कि '2005 से पहले बड़े पैमाने पर अपराध होते थे। डर का इतना माहौल था कि पहले शाम के बाद कोई निकलता नहीं था। आज किसी भी समय कोई भी बाहर निकल सकता है।' उन्होंने यह भी बताया कि पहले कितना हिंदू-मुस्लिम झगड़ा होता था, लेकिन आज ऐसा नहीं होता है। उन्होंने दावा किया कि जब से उनकी सरकार बनी है, तब से बिहार में कानून का राज है और आज हर कोई अमन चैन से रह रहा है।
परिवारवाद पर बरसे नीतीश
जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष और राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गोपालगंज जिले के भोरे और बरौली विधानसभा की जनसभाओं में आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी पर जमकर निशाना साधा। नीतीश कुमार ने एक जनसभा के दौरान उन्होंने लालू यादव का नाम नहीं लिया पर इशारों में यह जरूर कहा कि 'उसको हटना पड़ा तो अपनी पत्नी को मुख्यमंत्री बना दिया। आप देखिए, हमने अपने घर से किसी को राजनीति में लाया क्या? ये सब अपने घर में ही करता है, क्या ये ठीक है?'
फिर खोली विकास की पोटली
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जब लालू एंड फैमिली पर भरपूर हमले करते हैं तब विकास की पोटली खोलते हैं। गोपालगंज के दोनों विधानसभा में जनसभा को संबोधित करते कहा कि 'जिन लोगों ने बिहार पर लंबे समय तक शासन किया उन्होंने राज्य के विकास के लिए कुछ नहीं किया। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार और राज्य की एनडीए सरकार ने मिलकर बिहार को विकास की नई राह पर आगे बढ़ाया है। उन्होंने सड़कों, बिजली, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में किए गए कामों का जिक्र करते हुए जनता से अपील की कि वे गोपालगंज की सभी छह विधानसभा सीटों पर एनडीए प्रत्याशियों को जीत दिलाएं, ताकि विकास की गति बनी रहे। उधर महागठबंधन की प्रेस कॉन्फ्रेंस में तेजस्वी यादव ने
MY को संतुलित करता है जंगलराज
इतना तो मानना पड़ेगा कि सोशल इंजीनियरिंग में महागठबंधन का पलड़ा भारी है। MY समीकरण की ही बात करें तो कुल वोट का करीब 32 प्रतिशत। अब इसका जवाब एनडीए को जंगलराज और परिवारवाद में दिखता है। राजनीतिक गलियारों में यह समझ भी बन चुकी है कि जंगलराज की चर्चा के बाद सवर्ण और वैश्य एक जुट हो जाते हैं। यह कुल वोट का लगभग 28 प्रतिशत होता है। फिर बारी आती है जातिविहीन समाज की कल्पना करने वाले बुद्धिजीवी वर्ग की। इन्हें विकास के नाम पर गोलबंद करने में हमेशा सफलता मिलती है। इसके बाद आता है नीतीश कुमार का अपना जातिगत वोट बैंक यानी कुर्मी,कुशवाहा और धानुक और फिर दलित ,अतिपिछड़ा और अन्य वोट। नीतीश कुमार का यह सामाजिक समीकरण ही उन्हें जीत की ओर ले जाता है।
जंगलराज का आईना दिखाया
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लालू यादव के जंगलराज का भी आईना दिखाया। उन्होंने कहा कि '2005 से पहले बड़े पैमाने पर अपराध होते थे। डर का इतना माहौल था कि पहले शाम के बाद कोई निकलता नहीं था। आज किसी भी समय कोई भी बाहर निकल सकता है।' उन्होंने यह भी बताया कि पहले कितना हिंदू-मुस्लिम झगड़ा होता था, लेकिन आज ऐसा नहीं होता है। उन्होंने दावा किया कि जब से उनकी सरकार बनी है, तब से बिहार में कानून का राज है और आज हर कोई अमन चैन से रह रहा है।
परिवारवाद पर बरसे नीतीश
जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष और राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गोपालगंज जिले के भोरे और बरौली विधानसभा की जनसभाओं में आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी पर जमकर निशाना साधा। नीतीश कुमार ने एक जनसभा के दौरान उन्होंने लालू यादव का नाम नहीं लिया पर इशारों में यह जरूर कहा कि 'उसको हटना पड़ा तो अपनी पत्नी को मुख्यमंत्री बना दिया। आप देखिए, हमने अपने घर से किसी को राजनीति में लाया क्या? ये सब अपने घर में ही करता है, क्या ये ठीक है?'
फिर खोली विकास की पोटली
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जब लालू एंड फैमिली पर भरपूर हमले करते हैं तब विकास की पोटली खोलते हैं। गोपालगंज के दोनों विधानसभा में जनसभा को संबोधित करते कहा कि 'जिन लोगों ने बिहार पर लंबे समय तक शासन किया उन्होंने राज्य के विकास के लिए कुछ नहीं किया। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार और राज्य की एनडीए सरकार ने मिलकर बिहार को विकास की नई राह पर आगे बढ़ाया है। उन्होंने सड़कों, बिजली, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में किए गए कामों का जिक्र करते हुए जनता से अपील की कि वे गोपालगंज की सभी छह विधानसभा सीटों पर एनडीए प्रत्याशियों को जीत दिलाएं, ताकि विकास की गति बनी रहे। उधर महागठबंधन की प्रेस कॉन्फ्रेंस में तेजस्वी यादव ने
MY को संतुलित करता है जंगलराज
इतना तो मानना पड़ेगा कि सोशल इंजीनियरिंग में महागठबंधन का पलड़ा भारी है। MY समीकरण की ही बात करें तो कुल वोट का करीब 32 प्रतिशत। अब इसका जवाब एनडीए को जंगलराज और परिवारवाद में दिखता है। राजनीतिक गलियारों में यह समझ भी बन चुकी है कि जंगलराज की चर्चा के बाद सवर्ण और वैश्य एक जुट हो जाते हैं। यह कुल वोट का लगभग 28 प्रतिशत होता है। फिर बारी आती है जातिविहीन समाज की कल्पना करने वाले बुद्धिजीवी वर्ग की। इन्हें विकास के नाम पर गोलबंद करने में हमेशा सफलता मिलती है। इसके बाद आता है नीतीश कुमार का अपना जातिगत वोट बैंक यानी कुर्मी,कुशवाहा और धानुक और फिर दलित ,अतिपिछड़ा और अन्य वोट। नीतीश कुमार का यह सामाजिक समीकरण ही उन्हें जीत की ओर ले जाता है।
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