नालंदा: हरनौत विधानसभा 2025 का चुनाव इतिहास रचने के मोड़ पर है। वर्ष 1970 के दशक में अस्तित्व में आए हरनौत विधानसभा से न तो कांग्रेस और न ही राजद या लोजपा का ही खाता खुला है। इस चुनाव में सवाल यह उठ रहा है कि हरनौत के चुनावी 'जंग' में बनते नए समीकरण क्या ध्वस्त कर पायेगा जदयू का 'गढ़'? क्या कांग्रेस इस सीट से जीत कर बदलेगा इतिहास का रुख? या फिर जदयू के विधायक लगा पाएंगे लगातार जीत का चौका? जानते हैं...
नीतीश कुमार से हरनौत की खास पहचान नीतीश कुमार से हरनौत विधानसभा की विशेष पहचान बनी हुई है। नीतीश कुमार ने वर्ष 1985 और 1995 में हरनौत से जीत का परचम लहराया था। नीतीश कुमार के केंद्रीय राजनीति में चले जाने के बाद वर्ष 1996 में समता पार्टी के अरुण सिंह, वर्ष 2000 के चुनाव में समता पार्टी के विश्वमोहन चौधरी, वर्ष 2005 के चुनाव में जदयू के सुनील सिंह ने जीत दर्ज की थी। अब सवाल यह है कि क्या इस बार हरनौत का किला ढहाएगी कांग्रेस या जनसुराज कोई नया इतिहास रच पाएगी, या फिर JDU विधायक हरिनारायण सिंह लगातार चौथी बार जीत दर्ज करेंगे?
हरनौत विधानसभा हरिनारायण सिंह के लिए बहुत ही शुभ रहा है। वर्ष 2010 के विधानसभा चुनाव में इन्होंने लोजपा के अरुण कुमार को परास्त किया। तब हरिनारायण सिंह को 56827 मत मिला तो लोजपा के अरुण कुमार को 41785 मत मिले। वर्ष 2015 विधानसभा का चुनाव जंग में भी जदयू के हरीनारायण सिंह ने अपने पुराने विरोधी लोजपा के अरुण कुमार को हराया। तब जदयू के हरिनारायण सिंह को 71933 मत मिले थे। लोजपा के अरुण कुमार को 57638 वोट मिले थे।
वर्ष 2020 के चुनाव में जदयू के हरिनारायण सिंह ने लोजपा की ममता देवी को हराया। इस बार हरीनारायण सिंह को 65404 मत मिले और लोजपा की ममता देवी को 38161 मत मिले। कांग्रेस के कुंदन कुमार को 21144 मत मिले थे।
क्या हरनौत में लगेगा जीत का चौका?
वर्ष 2025 का हरनौत विधानसभा एक रोचक संघर्ष में बदल गया है। जदयू ने अपने सीटिंग विधायक हरिनारायण सिंह पर भरोसा किया तो कांग्रेस ने इस बार बिंद जाति से आने वाले अरुण बिंद को नया समीकरण गढ़ने के लिए चुनावी जंग में उतारा है। हरनौत का चुनावी 'जन संग्राम' इस बार नए सोशल इंजीनियरिंग का परिणाम लेकर आएगा। हालांकि इस बार हरीनारायण सिंह का नाम टिकट कटने वाली सूची में शामिल था, लेकिन सीधे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के हस्तक्षेप के कारण हरिनारायण सिंह को 'जीत का चौका' लगाने का आमंत्रण दे दिया।
क्या है हरनौत की सोशल इंजीनियरिंग?
हरनौत विधानसभा क्षेत्र में कुर्मियों की संख्या ज्यादा है। हरनौत विधानसभा में एनडीए गठबंधन का सोशल इंजीनियरिंग कुर्मी, राजपूत, भूमिहार के साथ अतिपिछड़ा और दलित मतों के एक बड़ा हिस्सा से जुड़ कर बनता है। वहीं महागठबंधन के सोशल इंजीनियरिंग का आधार यादव और मुस्लिम रहा है। इसके अलावा अतिपिछड़ा और पिछड़ी जाति का एक बड़ा हिस्सा उनके वोट का आधार बनता रहा है।
इस बार महागठबंधन ने नए सोशल इंजीनियरिंग के साथ उम्मीदवार अरुण बिंद को उतारा है। बिंद उम्मीदवार देने के कारण अतिपिछड़ा का वोट बैंक महागठबंधन की तरफ शिफ्ट कर गया तो जदयू के उम्मीदवार हरिनारायण सिंह को गंभीर चुनौती का सामना करना पड़ सकता है।
एनडीए के साथ एक बड़ा फैक्टर यह है कि इस बार लोजपा उनका फिर से साथी दल बन गया। ऐसे में पासवान जाति का कितना वोट जदयू के खाते में जाता है वह जीत का निर्णायक फैसला हो सकता है।
पर इस बार हरनौत विधानसभा में एक नया चैप्टर 'जन सुराज' पार्टी का जुड़ गया है। जन सुराज ने पासवान जाति से आने वाले कमलेश पासवान को चुनावी 'जंग' में उतारा है।
अब देखना यह है कि पासवान वोट लोजपा (आर) अध्यक्ष चिराग पासवान के नियंत्रण में जदयू के उम्मीदवार हरिनारायण सिंह को मिलता है या जनसुराज के कमलेश पासवान बाजी मारते हैं। हरनौत विधानसभा चुनाव का इस बार टर्निंग प्वाइंट पासवान वोट बनने जा रहा है। यह जदयू के उम्मीदवार की तरफ गया तो चौका मार पाएंगे हरिनारायण सिंह और अगर यह जनसुराज की तरफ गया तो एनडी ए और महागठबंधन की लड़ाई काफी कांटे की हो जाएगी।
नीतीश कुमार से हरनौत की खास पहचान नीतीश कुमार से हरनौत विधानसभा की विशेष पहचान बनी हुई है। नीतीश कुमार ने वर्ष 1985 और 1995 में हरनौत से जीत का परचम लहराया था। नीतीश कुमार के केंद्रीय राजनीति में चले जाने के बाद वर्ष 1996 में समता पार्टी के अरुण सिंह, वर्ष 2000 के चुनाव में समता पार्टी के विश्वमोहन चौधरी, वर्ष 2005 के चुनाव में जदयू के सुनील सिंह ने जीत दर्ज की थी। अब सवाल यह है कि क्या इस बार हरनौत का किला ढहाएगी कांग्रेस या जनसुराज कोई नया इतिहास रच पाएगी, या फिर JDU विधायक हरिनारायण सिंह लगातार चौथी बार जीत दर्ज करेंगे?
हरनौत विधानसभा हरिनारायण सिंह के लिए बहुत ही शुभ रहा है। वर्ष 2010 के विधानसभा चुनाव में इन्होंने लोजपा के अरुण कुमार को परास्त किया। तब हरिनारायण सिंह को 56827 मत मिला तो लोजपा के अरुण कुमार को 41785 मत मिले। वर्ष 2015 विधानसभा का चुनाव जंग में भी जदयू के हरीनारायण सिंह ने अपने पुराने विरोधी लोजपा के अरुण कुमार को हराया। तब जदयू के हरिनारायण सिंह को 71933 मत मिले थे। लोजपा के अरुण कुमार को 57638 वोट मिले थे।
वर्ष 2020 के चुनाव में जदयू के हरिनारायण सिंह ने लोजपा की ममता देवी को हराया। इस बार हरीनारायण सिंह को 65404 मत मिले और लोजपा की ममता देवी को 38161 मत मिले। कांग्रेस के कुंदन कुमार को 21144 मत मिले थे।
क्या हरनौत में लगेगा जीत का चौका?
वर्ष 2025 का हरनौत विधानसभा एक रोचक संघर्ष में बदल गया है। जदयू ने अपने सीटिंग विधायक हरिनारायण सिंह पर भरोसा किया तो कांग्रेस ने इस बार बिंद जाति से आने वाले अरुण बिंद को नया समीकरण गढ़ने के लिए चुनावी जंग में उतारा है। हरनौत का चुनावी 'जन संग्राम' इस बार नए सोशल इंजीनियरिंग का परिणाम लेकर आएगा। हालांकि इस बार हरीनारायण सिंह का नाम टिकट कटने वाली सूची में शामिल था, लेकिन सीधे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के हस्तक्षेप के कारण हरिनारायण सिंह को 'जीत का चौका' लगाने का आमंत्रण दे दिया।
क्या है हरनौत की सोशल इंजीनियरिंग?
हरनौत विधानसभा क्षेत्र में कुर्मियों की संख्या ज्यादा है। हरनौत विधानसभा में एनडीए गठबंधन का सोशल इंजीनियरिंग कुर्मी, राजपूत, भूमिहार के साथ अतिपिछड़ा और दलित मतों के एक बड़ा हिस्सा से जुड़ कर बनता है। वहीं महागठबंधन के सोशल इंजीनियरिंग का आधार यादव और मुस्लिम रहा है। इसके अलावा अतिपिछड़ा और पिछड़ी जाति का एक बड़ा हिस्सा उनके वोट का आधार बनता रहा है।
इस बार महागठबंधन ने नए सोशल इंजीनियरिंग के साथ उम्मीदवार अरुण बिंद को उतारा है। बिंद उम्मीदवार देने के कारण अतिपिछड़ा का वोट बैंक महागठबंधन की तरफ शिफ्ट कर गया तो जदयू के उम्मीदवार हरिनारायण सिंह को गंभीर चुनौती का सामना करना पड़ सकता है।
एनडीए के साथ एक बड़ा फैक्टर यह है कि इस बार लोजपा उनका फिर से साथी दल बन गया। ऐसे में पासवान जाति का कितना वोट जदयू के खाते में जाता है वह जीत का निर्णायक फैसला हो सकता है।
पर इस बार हरनौत विधानसभा में एक नया चैप्टर 'जन सुराज' पार्टी का जुड़ गया है। जन सुराज ने पासवान जाति से आने वाले कमलेश पासवान को चुनावी 'जंग' में उतारा है।
अब देखना यह है कि पासवान वोट लोजपा (आर) अध्यक्ष चिराग पासवान के नियंत्रण में जदयू के उम्मीदवार हरिनारायण सिंह को मिलता है या जनसुराज के कमलेश पासवान बाजी मारते हैं। हरनौत विधानसभा चुनाव का इस बार टर्निंग प्वाइंट पासवान वोट बनने जा रहा है। यह जदयू के उम्मीदवार की तरफ गया तो चौका मार पाएंगे हरिनारायण सिंह और अगर यह जनसुराज की तरफ गया तो एनडी ए और महागठबंधन की लड़ाई काफी कांटे की हो जाएगी।
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