नई दिल्ली: दिल्ली में वॉटर सप्लाई और सीवर इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए जल बोर्ड ने जितने भी प्रोजेक्ट्स शुरू किए हैं, उनकी मॉनिटरिंग के लिए एक प्राइवेट एजेंसी को नियुक्त किया गया है। एजेंसी न सिर्फ इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स की तथ्यात्मक मॉनिटरिंग करेगी, बल्कि पानी के बिलों, टैंकरों के संचालन और जल बोर्ड के अलग-अलग स्कीम का भी मूल्यांकन करेगी।   
   
प्रवेश सिंह ने एजेंसी के अफसरों संग मीटिंग की दिल्ली सरकार में जल मंत्री प्रवेश साहिब सिंह ने गुरुवार को इस संबंध में प्राइवेट एजेंसी के अफसरों की मीटिंग भी बुलाई थी, जिसमें जल बोर्ड सीईओ कौशल राज शर्मा और
अन्य अधिकारी शामिल रहे। कैबिनेट मंत्री प्रवेश साहिब सिंह के अनुसार, दिल्ली में वॉटर और सीवर इन्फ्रास्ट्रक्चर को बेहतर करने के लिए हजारों करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट्स पर काम चल रहा है। एक-एक प्रोजेक्ट 100 करोड़ या इससे अधिक की लागत के हैं। लेकिन, ग्राउंड लेवल पर प्रोजेक्ट्स की मॉनिटरिंग ठीक से नहीं हो पाती है।
   
मॉनिटरिंग के लिए किया जाए नियुक्तइसका परिणाम यह होता है कि प्रोजेक्ट्स समय पर पूरे नहीं होते और उनकी लागत भी वास्तविक लागत से कहीं अधिक हो जाती है। ऐसे में यह प्लान बनाया गया था कि किसी एजेंसी को प्रोजेक्ट्स की मॉनिटरिंग के लिए नियुक्त किया जाए। इसके लिए केपीएमजी नामक प्राइवेट एजेंसी को जल बोर्ड का प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट (PMU) नियुक्त किया गया है। एजेंसी का काम सभी प्रोजेक्ट्स का कंसलटेंसी करना और इसकी मॉनिटरिंग करना होगा। जिससे कि जहां भी सुधार की गुंजाइश हो, वहां सुधार किया जा सके। स्वतंत्र एजेंसी को कार्यों की मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी सौपने से कामों में पारदर्शिता भी आएगी।
  
प्रवेश सिंह ने एजेंसी के अफसरों संग मीटिंग की दिल्ली सरकार में जल मंत्री प्रवेश साहिब सिंह ने गुरुवार को इस संबंध में प्राइवेट एजेंसी के अफसरों की मीटिंग भी बुलाई थी, जिसमें जल बोर्ड सीईओ कौशल राज शर्मा और
अन्य अधिकारी शामिल रहे। कैबिनेट मंत्री प्रवेश साहिब सिंह के अनुसार, दिल्ली में वॉटर और सीवर इन्फ्रास्ट्रक्चर को बेहतर करने के लिए हजारों करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट्स पर काम चल रहा है। एक-एक प्रोजेक्ट 100 करोड़ या इससे अधिक की लागत के हैं। लेकिन, ग्राउंड लेवल पर प्रोजेक्ट्स की मॉनिटरिंग ठीक से नहीं हो पाती है।
मॉनिटरिंग के लिए किया जाए नियुक्तइसका परिणाम यह होता है कि प्रोजेक्ट्स समय पर पूरे नहीं होते और उनकी लागत भी वास्तविक लागत से कहीं अधिक हो जाती है। ऐसे में यह प्लान बनाया गया था कि किसी एजेंसी को प्रोजेक्ट्स की मॉनिटरिंग के लिए नियुक्त किया जाए। इसके लिए केपीएमजी नामक प्राइवेट एजेंसी को जल बोर्ड का प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट (PMU) नियुक्त किया गया है। एजेंसी का काम सभी प्रोजेक्ट्स का कंसलटेंसी करना और इसकी मॉनिटरिंग करना होगा। जिससे कि जहां भी सुधार की गुंजाइश हो, वहां सुधार किया जा सके। स्वतंत्र एजेंसी को कार्यों की मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी सौपने से कामों में पारदर्शिता भी आएगी।
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