नई दिल्ली : राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा है कि कोई अमेरिकी अधिकारी इस साल दक्षिण अफ्रीका में होने वाले जी 20 समिट में हिस्सा नहीं लेगा। शुक्रवार को ट्रूथ सोशल प्लैटफॉर्म पर ट्रंप ने दक्षिण अफ्रीका में होने वाले समिट के आयोजन को पूरी तरह से शर्मनाक बताया। उन्होंने कहा कि श्वेत दक्षिणी अफ्रीकी किसानों की हत्या की जा रही है और उनके खेतों पर अवैध तौर पर कब्जा किया जा रहा है। ट्रंप ने कहा कि जब तक मानवाधिकारों का दुरुपयोग होता रहेगा, तब तक कोई अमेरिकी अधिकारी नहीं जाएगा। इससे पहले माना जा रहा था कि अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस इस समिट में शामिल हो सकते थे।
22-23 नवंबर को जोहान्सबर्ग में होनी है समिट
अब ट्रंप के बयान के बाद संकेत मिलता है कि वेंस भी इस समिट में शामिल नहीं होंगे। इसके साथ ही उन्होंने साल 2026 में मियामी (फ्लोरिडा) में होने वाले जी 20 समिट की मेजबानी को लेकर भी उत्सुकता दिखाई। ट्रंप ने तो ये भी कहा कि साउथ अफ्रीका को जी-20 समूह से पूरी तरह बाहर कर देना चाहिए। बता दें कि ये समिट इस साल 22-23 नवंबर को जोहान्सबर्ग में हो रही है ।
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की ओर से जी 20 में गैरमौजूदगी कुछ तकनीकी चुनौतियां भी खड़ी कर सकती है। जी 20 सम्मेलनों में त्रोइका का एक अपना महत्व होता और इससे जुड़ी एक सेरेमनी भी होती है। जहां मौजूदा अध्यक्ष, भावी अध्यक्ष देश को समिट की मेजबानी सौंपता है । अमूमन सम्मेलन की त्रोइका से जुड़े तीनों देश समिट में उपस्थित रहते हैं । अगले साल होने वाले जी 20 समिट की अध्यक्षता अमेरिका के पास है. ऐसे में भावी अध्यक्ष देश अगर इस सम्मेलन से गैरमौजूद रहेगा तो मेजबान देश के लिए एक असहज स्थिति उत्पन्न हो सकती है ।
क्या है मामला?
जनवरी में सत्ता में आने के बाद से ही ट्रंप दक्षिण अफ्रीकी सरकार पर श्वेत नागरिकों के साथ भेदभाव का आरोप लगाते रहे हैं। उन्होंने कहा है कि सरकार नरसंहार में शामिल है। हालांकि दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति सीरिल रामाफोसा ने हमेशा इसका खंडन किया । इससे पहले फ़रवरी में अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो भी जी 20 विदेश मंत्रियों की बैठक में शामिल नहीं हुए थे । दक्षिण अफ्रीकी सरकार का कहना है कि भेदभाव के अमेरिकी आरोप निराधार है। रंगभेद की समाप्ति के वर्षों बाद भी श्वेत दक्षिण अफ्रीकी नागरिकों का जीवन स्तर अश्वेत बहुसंख्यक आबादी से बेहतर है।
यूएस-द. अफ्रीका के बीच विवाद क्यों?
भूमि अधिकारों से जुडा कानून विवाद की जड़ में- जनवरी में दक्षिण अफ्रीका में राष्ट्रपति रामाफोसा एक बिल लेकर आए जो कि जमीन के मालिकाना हक में असमानताओं को दूर करने को लेकर था। ये बिल एक ऐसे फ्रेमवर्क की बात करता है जिससे कि भू आवंटन निष्पक्ष तरीके से किया जा सके।
इसके बाद अमेरिकी सरकार ने रामफोसा सरकार के इस फैसले की आलोचना की। मई में ट्रंप प्रशासन ने 59 दक्षिण अफ्रीकी नागरिकों को शरण दी। उसी महीने व्हाइट हाउस में दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति के साथ मुलाकात में ट्रंप ने कहा कि उनके देश में श्वेत अल्पसंख्यकों के खिलाफ नरसंहार हो रहा है। इस पर रामाफोसा ने 3 दक्षिण अफ्रीकी नागरिकों की ओर इशारा कर कहा, कि अगर ऐसा होता ये लोग यहां मौजूद ना होते।
दरअसल जानकारों का ये कहना है कि कानाफूसी सरकार को निशाने पर लेने की एक वजह दक्षिण अफ़्रीकी सरकार का इजरायल के खिलाफ अंतराष्ट्रीय कोर्ट जाना भी हो सकता है। बता दें कि 29 दिसंबर 2023 को दक्षिण अफ्रीका ने इजरायल के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) में शिकायत की थी। शिकायत का आधार गाजा नरंसहार से जुड़ी इजरायली कार्रवाई थी ।
22-23 नवंबर को जोहान्सबर्ग में होनी है समिट
अब ट्रंप के बयान के बाद संकेत मिलता है कि वेंस भी इस समिट में शामिल नहीं होंगे। इसके साथ ही उन्होंने साल 2026 में मियामी (फ्लोरिडा) में होने वाले जी 20 समिट की मेजबानी को लेकर भी उत्सुकता दिखाई। ट्रंप ने तो ये भी कहा कि साउथ अफ्रीका को जी-20 समूह से पूरी तरह बाहर कर देना चाहिए। बता दें कि ये समिट इस साल 22-23 नवंबर को जोहान्सबर्ग में हो रही है ।
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की ओर से जी 20 में गैरमौजूदगी कुछ तकनीकी चुनौतियां भी खड़ी कर सकती है। जी 20 सम्मेलनों में त्रोइका का एक अपना महत्व होता और इससे जुड़ी एक सेरेमनी भी होती है। जहां मौजूदा अध्यक्ष, भावी अध्यक्ष देश को समिट की मेजबानी सौंपता है । अमूमन सम्मेलन की त्रोइका से जुड़े तीनों देश समिट में उपस्थित रहते हैं । अगले साल होने वाले जी 20 समिट की अध्यक्षता अमेरिका के पास है. ऐसे में भावी अध्यक्ष देश अगर इस सम्मेलन से गैरमौजूद रहेगा तो मेजबान देश के लिए एक असहज स्थिति उत्पन्न हो सकती है ।
क्या है मामला?
जनवरी में सत्ता में आने के बाद से ही ट्रंप दक्षिण अफ्रीकी सरकार पर श्वेत नागरिकों के साथ भेदभाव का आरोप लगाते रहे हैं। उन्होंने कहा है कि सरकार नरसंहार में शामिल है। हालांकि दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति सीरिल रामाफोसा ने हमेशा इसका खंडन किया । इससे पहले फ़रवरी में अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो भी जी 20 विदेश मंत्रियों की बैठक में शामिल नहीं हुए थे । दक्षिण अफ्रीकी सरकार का कहना है कि भेदभाव के अमेरिकी आरोप निराधार है। रंगभेद की समाप्ति के वर्षों बाद भी श्वेत दक्षिण अफ्रीकी नागरिकों का जीवन स्तर अश्वेत बहुसंख्यक आबादी से बेहतर है।
यूएस-द. अफ्रीका के बीच विवाद क्यों?
भूमि अधिकारों से जुडा कानून विवाद की जड़ में- जनवरी में दक्षिण अफ्रीका में राष्ट्रपति रामाफोसा एक बिल लेकर आए जो कि जमीन के मालिकाना हक में असमानताओं को दूर करने को लेकर था। ये बिल एक ऐसे फ्रेमवर्क की बात करता है जिससे कि भू आवंटन निष्पक्ष तरीके से किया जा सके।
इसके बाद अमेरिकी सरकार ने रामफोसा सरकार के इस फैसले की आलोचना की। मई में ट्रंप प्रशासन ने 59 दक्षिण अफ्रीकी नागरिकों को शरण दी। उसी महीने व्हाइट हाउस में दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति के साथ मुलाकात में ट्रंप ने कहा कि उनके देश में श्वेत अल्पसंख्यकों के खिलाफ नरसंहार हो रहा है। इस पर रामाफोसा ने 3 दक्षिण अफ्रीकी नागरिकों की ओर इशारा कर कहा, कि अगर ऐसा होता ये लोग यहां मौजूद ना होते।
दरअसल जानकारों का ये कहना है कि कानाफूसी सरकार को निशाने पर लेने की एक वजह दक्षिण अफ़्रीकी सरकार का इजरायल के खिलाफ अंतराष्ट्रीय कोर्ट जाना भी हो सकता है। बता दें कि 29 दिसंबर 2023 को दक्षिण अफ्रीका ने इजरायल के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) में शिकायत की थी। शिकायत का आधार गाजा नरंसहार से जुड़ी इजरायली कार्रवाई थी ।
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