नई दिल्ली: टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन रह चुके साइरस मिस्त्री का आज जन्मदिन है। 4 जुलाई 1968 को बॉम्बे (अब मुंबई) में पारसी परिवार में पैदा हुए साइरस का 4 सितंबर 2022 को एक रोड एक्सीडेंट में निधन हो गया था। साइरस मिस्त्री साल 2012 से 2016 के बीच टाटा ग्रुप की कंपनी टाटा संस के चेयरमैन रहे। उस दौरान वह ग्रुप के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा से भी भिड़ गए थे। हालांकि बाद में उन्हें इस पद से हटा दिया गया था। लेकिन वह आखिर तक अपने हक के लिए लड़ते रहे।
साइरस मिस्त्री शापूरजी पालोनजी ग्रुप के एमडी भी थे। शापूरजी पालोनजी ग्रुप की टाटा संस में बड़ी हिस्सेदारी है। जब साइरस मिस्त्री को टाटा ग्रुप से हटाया गया था तो वह इसके खिलाफ कोर्ट में चले गए थे। जब उन्हें टाटा ग्रुप की जिम्मेदारी मिली थी, तब वह टाटा ग्रुप के करीब 100 साल के इतिहास में ऐसे पहले शख्स थे, जिनका सरनेम 'टाटा' नहीं था और फिर भी वह ग्रुप चेयरमैन बने थे। इसकी वजह उनके परिवार की टाटा ग्रुप के साथ नजदीकी थी।
आयरलैंड में जन्म, भारत के निवासीसाइरस मिस्त्री का परिवार देश का बड़ा कारोबारी घराना रहा है। वह शापूरजी पालोनजी मिस्त्री ग्रुप के पलोनजी मिस्त्री के सबसे छोटे बेटे थे। इनकी मां एक आयरिश महिला थीं। उनके पिता भी बाद में आयरलैंड के नागरिक बन गए थे। बाद में साइरस मिस्त्री ने भी आयरलैंड की नागरिकता ले ली थी। इसके अलावा वह भारत के भी स्थायी नागरिक थे।
लंदन में पढ़ाई के बाद संभाला परिवार का कारोबारसाइरस मिस्त्री की शुरुआती पढ़ाई मुंबई से हुई। बाद में वह हायर एजुकेशन के लिए लंदन चले गए थे। पढ़ाई पूरी करके आने के बाद उन्होंने परिवार के पलोनजी ग्रुप में साल 1991 में काम करना शुरू कर दिया। साल 1994 में वह शापूरजी पलोनजी ग्रुप में डायरेक्टर बने। यह ग्रुप कपड़े से लेकर रियल एस्टेट, हॉस्पिटेलिटी, बिजनेस ऑटोमेशन आदि सेक्टर में काम करता है।
2006 में जुड़ गए थे टाटा संस सेसाइरस मिस्त्री साल 2006 में ही टाटा संस से जुड़ गए थे। उन्हें टाटा संस के बोर्ड में शामिल किया गया था। इसका कारण था कि टाटा संस में उनके परिवार के ग्रुप की सबसे बड़ी हिस्सेदारी थी। साल 2010 के बाद रतन टाटा, टाटा ग्रुप से रिटायर हो गए थे। ऐसे में काफी खोजबीन के बाद साइरस मिस्त्री को उनका उत्तराधिकारी बनाया गया था। साल 2012 में वह टाटा संस के चेयरमैन बने।
बताया जाता है कि साइरस मिस्त्री टाटा की विरासत को नहीं संभाल पाए। इस दौरान टाटा नैनो कार को लेकर भी रतन टाटा की साइरस मिस्त्री के साथ खींचतान हो गई थी। इसका असर यह हुआ कि साल 2016 में साइरस मिस्त्री को उनके पद से हटा दिया गया और रतन टाटा फिर से टाटा ग्रुप के अंतरिम चेयरमैन बन गए। इसके खिलाफ साइरस मिस्त्री ने रतन टाटा और टाटा ग्रुप के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था और मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया था। हालांकि बाद में फैसला टाटा ग्रुप के पक्ष में आया।
साइरस मिस्त्री शापूरजी पालोनजी ग्रुप के एमडी भी थे। शापूरजी पालोनजी ग्रुप की टाटा संस में बड़ी हिस्सेदारी है। जब साइरस मिस्त्री को टाटा ग्रुप से हटाया गया था तो वह इसके खिलाफ कोर्ट में चले गए थे। जब उन्हें टाटा ग्रुप की जिम्मेदारी मिली थी, तब वह टाटा ग्रुप के करीब 100 साल के इतिहास में ऐसे पहले शख्स थे, जिनका सरनेम 'टाटा' नहीं था और फिर भी वह ग्रुप चेयरमैन बने थे। इसकी वजह उनके परिवार की टाटा ग्रुप के साथ नजदीकी थी।
आयरलैंड में जन्म, भारत के निवासीसाइरस मिस्त्री का परिवार देश का बड़ा कारोबारी घराना रहा है। वह शापूरजी पालोनजी मिस्त्री ग्रुप के पलोनजी मिस्त्री के सबसे छोटे बेटे थे। इनकी मां एक आयरिश महिला थीं। उनके पिता भी बाद में आयरलैंड के नागरिक बन गए थे। बाद में साइरस मिस्त्री ने भी आयरलैंड की नागरिकता ले ली थी। इसके अलावा वह भारत के भी स्थायी नागरिक थे।
लंदन में पढ़ाई के बाद संभाला परिवार का कारोबारसाइरस मिस्त्री की शुरुआती पढ़ाई मुंबई से हुई। बाद में वह हायर एजुकेशन के लिए लंदन चले गए थे। पढ़ाई पूरी करके आने के बाद उन्होंने परिवार के पलोनजी ग्रुप में साल 1991 में काम करना शुरू कर दिया। साल 1994 में वह शापूरजी पलोनजी ग्रुप में डायरेक्टर बने। यह ग्रुप कपड़े से लेकर रियल एस्टेट, हॉस्पिटेलिटी, बिजनेस ऑटोमेशन आदि सेक्टर में काम करता है।
2006 में जुड़ गए थे टाटा संस सेसाइरस मिस्त्री साल 2006 में ही टाटा संस से जुड़ गए थे। उन्हें टाटा संस के बोर्ड में शामिल किया गया था। इसका कारण था कि टाटा संस में उनके परिवार के ग्रुप की सबसे बड़ी हिस्सेदारी थी। साल 2010 के बाद रतन टाटा, टाटा ग्रुप से रिटायर हो गए थे। ऐसे में काफी खोजबीन के बाद साइरस मिस्त्री को उनका उत्तराधिकारी बनाया गया था। साल 2012 में वह टाटा संस के चेयरमैन बने।
बताया जाता है कि साइरस मिस्त्री टाटा की विरासत को नहीं संभाल पाए। इस दौरान टाटा नैनो कार को लेकर भी रतन टाटा की साइरस मिस्त्री के साथ खींचतान हो गई थी। इसका असर यह हुआ कि साल 2016 में साइरस मिस्त्री को उनके पद से हटा दिया गया और रतन टाटा फिर से टाटा ग्रुप के अंतरिम चेयरमैन बन गए। इसके खिलाफ साइरस मिस्त्री ने रतन टाटा और टाटा ग्रुप के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था और मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया था। हालांकि बाद में फैसला टाटा ग्रुप के पक्ष में आया।
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