नई दिल्ली: काफी लोग एसआईपी के जरिए म्यूचुअल फंड में निवेश को सही मानते हैं। दावा किया जाता है कि इसमें निवेशकों को अच्छा रिटर्न मिलता है। लेकिन एक सीए ने इसकी दूसरी तस्वीर सामने रखी है। चार्टर्ड अकाउंटेंट श्रुति इनानी (Shruti Inani) ने लिंक्डइन पर एसआईपी की एक स्टडी को सामने रखते हुए निवेशकों को चेतावनी दी है। रिकॉर्ड निवेश के बावजूद नए आंकड़े बताते हैं कि एसआईपी उतनी सुरक्षित और पक्की जीत वाली रणनीति नहीं है जितनी बताई जाती है। खासकर उन नए निवेशकों के लिए जो ऊंचे रिटर्न की तलाश में होते हैं।
सीए श्रुति इनानी ने लिंक्डइन पर लिखा है, 'मेरी पहली एसआईपी साल 2021 में 1000 रुपये से शुरू हुई थी। तब से मैं नियमित रूप से निवेश कर रही हूं। लेकिन इस हालिया स्टडी ने मुझे अपने फैसलों पर सवाल उठाने पर मजबूर कर दिया है।' वह सिंगापुर स्थित शोधकर्ता राजन राजू की एक स्टडी का जिक्र कर रही थीं। इस स्टडी में साल 2005 से 2025 तक पांच एनएसई इंडेक्स में एसआईपी के प्रदर्शन की जांच की गई। इन निष्कर्षों ने भारत में म्यूचुअल फंड की मार्केटिंग के मूल सिद्धांत को चुनौती दी है कि एसआईपी कम जोखिम में लंबी अवधि में धन बनाने का तरीका है।
कितना नुकसान, कितना फायदा?श्रुति ने अपनी पोस्ट में स्टडी का हवाला देते हुए बताया कि तीन साल के निवेश पर एसआईपी में पैसा डूबने की 6% से ज्यादा संभावना थी, जबकि एकमुश्त निवेश में यह संभावना 5% से कम थी। वहीं 5 साल के बाद भी एसआईपी में 2 से 3% की कमी का जोखिम बना रहा, जबकि एकमुश्त निवेश में यह जोखिम शून्य हो गया।
श्रुति बताती है कि जब एसआईपी में नुकसान होता है तो निवेशक आमतौर पर लगाए गए पैसे का 10% खो देते हैं। कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज (Kotak Institutional Equities) के आंकड़ों से पता चलता है कि साल 2021 से एसआईपी में निवेश किए गए 40% पैसे पर कोई मुनाफा नहीं हुआ है। स्मॉल-कैप एसआईपी को आक्रामक रूप से ग्रोथ इंजन के रूप में प्रचारित किया जाता है। ये साल 2019 से 2024 के बीच 6.5 गुना बढ़े हैं। इसके बाद भी इनमें 5 साल के निवेश पर 14% की कमी का जोखिम है।
कोई जादू नहीं है एसआईपीश्रुति ने लिखा है कि एसआईपी कोई जादू नहीं हैं। वे उन नौकरीपेशा लोगों के लिए एक अनुशासन का तरीका हैं जिनके पास एकमुश्त पैसा नहीं होता। वे उन लोगों के लिए ट्रेनिंग व्हील की तरह हैं जो बाजार गिरने पर घबराकर बेच देते हैं या अपने बोनस को गलत समय पर निवेश करके गंवा देते हैं। लेकिन वे अच्छे मुनाफे का त्याग करते हैं। उनमें ऐसे जोखिम हैं जिन्हें कम आंका गया है। यानी ये ऐसे जोखिम उठाते हैं जिन्हें ज्यादातर लोग नहीं देखते।
हमेशा फायदे की गारंटी नहींश्रुति की यह पोस्ट बताती है कि एसआईपी को आंख मूंदकर 'सही' मान लेना ठीक नहीं है। स्टडी के मुताबिक नए निवेशकों को इसमें बेहद सावधान रहने की जरूरत है। निवेश करते समय उन्हें यह समझना चाहिए कि हर निवेश में कुछ न कुछ जोखिम होता है। चूंकि म्यूचुअल फंड में रिटर्न शेयर मार्केट से जुड़ा होता है। ऐसे में जरूरी नहीं कि इसमें निवेश करना हमेशा फायदे की गारंटी रहे। इसलिए बेहतर है कि मार्केट के उतार-चढ़ाव को समझते हुए म्यूचुअल फंड में निवेश करें।
सीए श्रुति इनानी ने लिंक्डइन पर लिखा है, 'मेरी पहली एसआईपी साल 2021 में 1000 रुपये से शुरू हुई थी। तब से मैं नियमित रूप से निवेश कर रही हूं। लेकिन इस हालिया स्टडी ने मुझे अपने फैसलों पर सवाल उठाने पर मजबूर कर दिया है।' वह सिंगापुर स्थित शोधकर्ता राजन राजू की एक स्टडी का जिक्र कर रही थीं। इस स्टडी में साल 2005 से 2025 तक पांच एनएसई इंडेक्स में एसआईपी के प्रदर्शन की जांच की गई। इन निष्कर्षों ने भारत में म्यूचुअल फंड की मार्केटिंग के मूल सिद्धांत को चुनौती दी है कि एसआईपी कम जोखिम में लंबी अवधि में धन बनाने का तरीका है।
कितना नुकसान, कितना फायदा?श्रुति ने अपनी पोस्ट में स्टडी का हवाला देते हुए बताया कि तीन साल के निवेश पर एसआईपी में पैसा डूबने की 6% से ज्यादा संभावना थी, जबकि एकमुश्त निवेश में यह संभावना 5% से कम थी। वहीं 5 साल के बाद भी एसआईपी में 2 से 3% की कमी का जोखिम बना रहा, जबकि एकमुश्त निवेश में यह जोखिम शून्य हो गया।
श्रुति बताती है कि जब एसआईपी में नुकसान होता है तो निवेशक आमतौर पर लगाए गए पैसे का 10% खो देते हैं। कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज (Kotak Institutional Equities) के आंकड़ों से पता चलता है कि साल 2021 से एसआईपी में निवेश किए गए 40% पैसे पर कोई मुनाफा नहीं हुआ है। स्मॉल-कैप एसआईपी को आक्रामक रूप से ग्रोथ इंजन के रूप में प्रचारित किया जाता है। ये साल 2019 से 2024 के बीच 6.5 गुना बढ़े हैं। इसके बाद भी इनमें 5 साल के निवेश पर 14% की कमी का जोखिम है।
कोई जादू नहीं है एसआईपीश्रुति ने लिखा है कि एसआईपी कोई जादू नहीं हैं। वे उन नौकरीपेशा लोगों के लिए एक अनुशासन का तरीका हैं जिनके पास एकमुश्त पैसा नहीं होता। वे उन लोगों के लिए ट्रेनिंग व्हील की तरह हैं जो बाजार गिरने पर घबराकर बेच देते हैं या अपने बोनस को गलत समय पर निवेश करके गंवा देते हैं। लेकिन वे अच्छे मुनाफे का त्याग करते हैं। उनमें ऐसे जोखिम हैं जिन्हें कम आंका गया है। यानी ये ऐसे जोखिम उठाते हैं जिन्हें ज्यादातर लोग नहीं देखते।
हमेशा फायदे की गारंटी नहींश्रुति की यह पोस्ट बताती है कि एसआईपी को आंख मूंदकर 'सही' मान लेना ठीक नहीं है। स्टडी के मुताबिक नए निवेशकों को इसमें बेहद सावधान रहने की जरूरत है। निवेश करते समय उन्हें यह समझना चाहिए कि हर निवेश में कुछ न कुछ जोखिम होता है। चूंकि म्यूचुअल फंड में रिटर्न शेयर मार्केट से जुड़ा होता है। ऐसे में जरूरी नहीं कि इसमें निवेश करना हमेशा फायदे की गारंटी रहे। इसलिए बेहतर है कि मार्केट के उतार-चढ़ाव को समझते हुए म्यूचुअल फंड में निवेश करें।
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