नई दिल्ली: अफगानिस्तान ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और आर्मी चीफ आसिम मुनीर को एक और झटका दे दिया है। दरअसल, तालिबान ने भारत के साथ एक और कदम बढ़ाते हुए दिल्ली में पहली राजनयिक की नियुक्ति करने जा रहा है। तालिबान की तरफ से भारतीय अधिकारियों को सूचित किया गया है कि दिसंबर के अंत या जनवरी की शुरुआत में एक और राजनयिक की नियुक्ति की जाएगी।
दोनों देशों के बीच हाल में संबंध मजबूत हुए हैं
बता दें कि इस वर्ष दोनों देशों के बीच संबंधों में लगातार प्रगति हुई है, जिसकी परिणति पिछले महीने विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी की अभूतपूर्व भारत यात्रा के रूप में हुई। भारत ने अफगानिस्तान को सहायता और चिकित्सा आपूर्ति जारी रखकर, अफगानिस्तान के एक विश्वसनीय साझेदार के रूप में अपनी भूमिका को और मजबूत किया है, भले ही भारत सरकार द्वारा काबुल में सत्ता को आधिकारिक मान्यता न दी गई हो।
मुत्तकी की यात्रा के दौरान भारत ने काबुल में अपने तकनीकी मिशन को दूतावास के स्तर तक बढ़ाने और तालिबान राजनयिकों को स्वीकार करने पर सहमति व्यक्त करने की घोषणा की। दोनों पक्षों के अपने-अपने मिशनों का नेतृत्व करने के लिए जल्द ही एक प्रभारी नियुक्त किए जाने की उम्मीद है।
तालिबान ने भारत की मदद की सराहना की
तालिबान के एक प्रवक्ता ने रविवार को भारत द्वारा 16 टन से ज्यादा वेक्टरजनित रोग-रोधी दवाइयां दान करने की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह नवीनतम दान अफगानिस्तान के साथ भारत की दीर्घकालिक साझेदारी और विकासात्मक सहयोग को रेखांकित करता है। आवश्यक चिकित्सा आपूर्ति प्रदान करके, भारत इस क्षेत्र में स्वास्थ्य, स्थिरता और मानवीय सहयोग को बढ़ावा देने में एक विश्वसनीय भागीदार के रूप में अपनी भूमिका की पुष्टि करता है।
तालिबान में कश्मीर के मसले पर भी भारत का समर्थन किया था
मुत्तकी की यात्रा महत्वपूर्ण थी क्योंकि इस दौरान तालिबान ने जम्मू-कश्मीर पर भारत की संप्रभुता का समर्थन किया। भारत ने भी अफगानिस्तान की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का दृढ़ता से समर्थन किया है, ऐसे समय में जब सीमा पर भारी झड़पों के कारण पाकिस्तान के साथ तालिबान के संबंध बेहद खराब स्थिति में हैं।
दोनों देशों के बीच युद्धविराम हो गया है, लेकिन तनाव बढ़ने का खतरा अभी पूरी तरह से टला नहीं है। तालिबान ने इस सप्ताह पाकिस्तान पर अफगानिस्तान में अराजकता फैलाने की कोशिश करने का आरोप लगाया है ताकि अमेरिका वापस आकर बगराम एयरबेस पर कब्जा कर सके।
दोनों देशों के बीच हाल में संबंध मजबूत हुए हैं
बता दें कि इस वर्ष दोनों देशों के बीच संबंधों में लगातार प्रगति हुई है, जिसकी परिणति पिछले महीने विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी की अभूतपूर्व भारत यात्रा के रूप में हुई। भारत ने अफगानिस्तान को सहायता और चिकित्सा आपूर्ति जारी रखकर, अफगानिस्तान के एक विश्वसनीय साझेदार के रूप में अपनी भूमिका को और मजबूत किया है, भले ही भारत सरकार द्वारा काबुल में सत्ता को आधिकारिक मान्यता न दी गई हो।
मुत्तकी की यात्रा के दौरान भारत ने काबुल में अपने तकनीकी मिशन को दूतावास के स्तर तक बढ़ाने और तालिबान राजनयिकों को स्वीकार करने पर सहमति व्यक्त करने की घोषणा की। दोनों पक्षों के अपने-अपने मिशनों का नेतृत्व करने के लिए जल्द ही एक प्रभारी नियुक्त किए जाने की उम्मीद है।
तालिबान ने भारत की मदद की सराहना की
तालिबान के एक प्रवक्ता ने रविवार को भारत द्वारा 16 टन से ज्यादा वेक्टरजनित रोग-रोधी दवाइयां दान करने की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह नवीनतम दान अफगानिस्तान के साथ भारत की दीर्घकालिक साझेदारी और विकासात्मक सहयोग को रेखांकित करता है। आवश्यक चिकित्सा आपूर्ति प्रदान करके, भारत इस क्षेत्र में स्वास्थ्य, स्थिरता और मानवीय सहयोग को बढ़ावा देने में एक विश्वसनीय भागीदार के रूप में अपनी भूमिका की पुष्टि करता है।
तालिबान में कश्मीर के मसले पर भी भारत का समर्थन किया था
मुत्तकी की यात्रा महत्वपूर्ण थी क्योंकि इस दौरान तालिबान ने जम्मू-कश्मीर पर भारत की संप्रभुता का समर्थन किया। भारत ने भी अफगानिस्तान की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का दृढ़ता से समर्थन किया है, ऐसे समय में जब सीमा पर भारी झड़पों के कारण पाकिस्तान के साथ तालिबान के संबंध बेहद खराब स्थिति में हैं।
दोनों देशों के बीच युद्धविराम हो गया है, लेकिन तनाव बढ़ने का खतरा अभी पूरी तरह से टला नहीं है। तालिबान ने इस सप्ताह पाकिस्तान पर अफगानिस्तान में अराजकता फैलाने की कोशिश करने का आरोप लगाया है ताकि अमेरिका वापस आकर बगराम एयरबेस पर कब्जा कर सके।
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