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Haryana Flood: हरियाणा में इस साल डेढ़ गुना ज्यादा बारिश, आठ लाख एकड़ फसल बर्बाद, किसानों के लिए मुआवजा पोर्टल खुला

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चंडीगढ़: हरियाणा की वित्त आयुक्त डॉ. सुमिता मिश्रा ने शुक्रवार को कहा कि लगातार बारिश के कारण कई जिलों में नदियों का जलस्तर बढ़ा हुआ है। हरियाणा में मॉनसून के मौसम में अब तक सामान्य से 48 प्रतिशत अधिक बारिश हुई है। मिश्रा ने कहा कि 15 सितंबर तक ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल खुला रहेगा। यह प्रभावित किसानों के लिए मुआवजे की सुविधा के लिए 2,687 गांवों को कवर करेगा। उन्होंने बताया कि 1,46,823 किसान पहले ही पोर्टल पर पंजीकरण करा चुके हैं। इससे 8,66,927 एकड़ कृषि भूमि को नुकसान के आकलन के लिए कवर किया गया है।





वित्त आयुक्त ने कहा कि पलवल, यमुनानगर, अंबाला, कुरुक्षेत्र, करनाल, कैथल और फरीदाबाद में एसडीआरएफ की टीमें रणनीतिक रूप से तैनात की गई हैं।लगातार 5 दिन से खुले बैराज के गेट हुए बंद : यमुनानगर में हथिनीकुंड बैराज पर पानी का प्रवाह धीरे-धीरे कम हो रहा है, लेकिन नदी के किनारों पर भूमि कटाव लगातार जारी है। इसे रोकने के लिए युद्ध स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। बैराज के गेट पिछले पांच दिन से लगातार खुले हुए थे। दोपहर 2 बजे 76 हजार 544 क्यूसेक पानी का प्रवाह दर्ज किया गया। इसके चलते सारे फ्लड गेट ऑटोमैटिक डाउन हो गए हैं। ग्रामीण इलाकों से पानी भी धीरे-धीरे अब उतरने लगा है, जिससे नुकसान की तस्वीरें सामने आने लगी हैं। किसान, ग्रामीण और प्रशासन मिलकर नुकसान का आकलन कर रहे हैं।





मारकंडा नदी बनी हुई है आफत, कई गांव टापू में तब्दील

कुरुक्षेत्र के इस्माइलाबाद में मारकंडा नदी खौफनाक रूप ले चुकी है। नदी का पानी नेशनल हाईवे तक पहुंच गया है। मुगलकालीन अजमतपुर गांव चारों तरफ से पानी से घिर चुका है और इसे दूसरे इलाकों से जोड़ने वाले दोनों रास्ते बंद हो गए हैं। सड़कें, गलियां, खेत-खलिहान और लोगों के आंगन पानी से लबालब हैं। मोहम्मद शाह गांव की पंच मनजीत कौर ने बताया कि उनका गांव बाहरी दुनिया से कट चुका है।गांव के कुलदीप सिंह ने बताया कि मेडिकल इमरजेंसी में भी गांव से निकलना मुश्किल है। गांव टापू बन चुका है।





जलस्तर घट रहा, लेकिन कई इलाकों में अब भी जलभराव

करनाल में यमुना का जलस्तर धीरे-धीरे नीचे आ रहा है, लेकिन डबकौली और शेरगढ़ टापू पुलिया पर जलभराव की स्थिति बनी हुई है।करीब साढ़े 9 हजार कट्टों को मिट्टी से भरकर रखा गया, ताकि किसी भी आपात स्थिति से निपटा जा सके।

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