Next Story
Newszop

बिहार विधानसभा चुनाव 2025: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की घोषणाओं में नजर किन वोटरों पर?

Send Push
पटना: बिहार में अक्टूबर-नवंबर में संभावित विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Elections) में वोटरों को रिझाने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार घोषणाएं कर रहे हैं। वे समाज के सभी वर्गों को आकर्षित करने की कोशिश में हैं, लेकिन उनका खास ध्यान उन युवा वोटरों पर है जो या तो छात्र-छात्राएं हैं या फिर नौकरीपेशा लोग। विद्यार्थी जहां अपना करियर बनाने के लिए अवसरों की चाह रखते हैं वहीं युवा कामगार, कर्मचारी आर्थिक और पेशेवर तरक्की चाहते हैं। नीतीश के अधिकांश ऐलान युवा मतदाताओं की इन्हीं मंशाओं पर केंद्रित हैं। इसके अलावा उनका महिलाओं के कल्याण पर भी खास ध्यान है।



बिहार में सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री पद पर आसीन रहने का रिकार्ड बना चुके नीतीश कुमार ने दो साल पहले सन 2023 में नौवीं बार यह पद संभाला था। अब नीतीश मुख्यमंत्री पद पर दहाई पूरी करने के लिए जोर लगा रहे हैं। चुनाव से पहले वे करीब 15 घोषणाएं कर चुके हैं। बिहार के लोगों की आकांक्षाओं को ध्यान में रखते हुए की गईं इन घोषणाओं के केंद्र में युवा वोटर हैं।



युवा वोटर क्या नीतीश पर जताएंगे भरोसा?

नीतीश कुमार ने बिहार में शिक्षकों की नियुक्तियों के लिए डोमिसाइल पॉलिसी (स्थानीय निवासी नीति) लागू करने की घोषणा की है। यानी बिहार में शिक्षकों की नियुक्ति में बिहार के निवासियों को प्राथमिकता दी जाएगी। यह बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) की शिक्षक भर्ती परीक्षा-4 (TRE-4), जो कि इसी साल होगी में लागू होगी। इसके तहत प्राथमिक (PRT), प्रशिक्षित स्नातक (TGT), और स्नातकोत्तर (PGT) शिक्षकों के पद भरे जाएंगे। इसके अलावा TRE-5 और बिहार सेकेंडरी टीचर इलीजिबिलिटी टेस्ट (STET) भी आयोजित किया जाएगा। इन परीक्षाओं के जरिए एक लाख से अधिक खाली पद भरे जाएंगे।



बिहार में बेरोजगारी दर के कम होने की गति बहुत धीमी है। इसी साल फरवरी में सामने आए आर्थिक सर्वेक्षण के नतीजों के मुताबिक बिहार में गांवों के मुकाबले शहर में बेरोजगारी ज्यादा है। राज्य के ग्रामीण क्षेत्र में पुरुषों में बेरोजगारी दर 3.3 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों के पुरुषों में बेरोजगारी दर 6.9 प्रतिशत है। गांव और शहरों को मिलाकर देखें तो पुरुषों की बेरोजगारी दर 3.6 प्रतिशत और महिलाओं की दर 1.4 प्रतिशत है। देश में औसत बेरोजगारी 3.2 फीसदी है। यानी बिहार में बेरोजगारी देश के औसत से अधिक है। नीतीश कुमार ने बेरोजगारी की पीड़ा झेल रहे युवाओं को ध्यान में रखते हुए इस साल से लेकर 2030 तक, यानी 5 साल में एक करोड़ लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने की घोषणा की है। इसके लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया है। यह समिति इंडस्ट्री, स्टार्टअप और सरकारी क्षेत्र में नई नोकरियों की संभावनाएं तलाशेगी.



छात्रों को रोजगार की राह दिखाने की कोशिश

नीतीश कुमार ने युवा छात्रों को ध्यान में रखते हुए इंटर्नशिप और स्किल ट्रेनिंग देने की योजना का ऐलान किया है। इसमें राज्य के एक लाख युवाओं को व्यवसायिक प्रशिक्षण देने की व्यवस्था है। अलग-अलग व्यवसायों में प्रशिक्षण लेने वाले युवाओं को हर महीने 4000 से 6000 रुपये का स्टायपेंड भी दिया जाएगा। सरकार ने इसके लिए 686 करोड़ रुपये का बजट तय किया है।



नीतीश कुमार ने दिव्यांग युवाओं के लिए सिविल सेवा प्रोत्साहन योजना की घोषणा की है। दिव्यांग वर्ग के लिए शुरू का जा रही इस खास योजना में UPSC या BPSC की प्रारंभिक परीक्षाएं पास करने वाले दिव्यांगों को मुख्य परीक्षा की तैयारी के लिए 50,000 रुपये और इसमें सफल होने वालों को इंटरव्यू की तैयारी के लिए एक लाख रुपये की सहायता दी जाएगी।



ढाई लाख कर्मचारियों और उनके परिवारों से उम्मीद

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मिड डे मील योजना में काम करने वाले रसोइयों का मानदेय 1650 रुपये से बढ़ाकर 3300 रुपये मासिक कर दिया है। फिजिकल ट्रेनिंग इंस्ट्रक्टर या शारीरिक शिक्षा एवं स्वास्थ्य अनुदेशक का वेतन 8000 से बढ़ाकर 16000 रुपये और स्कूलों के रात्रिकालीन सिक्योरिटी गार्डों की सैलरी 5000 से बढ़ाकर 10000 रुपये मासिक कर दी है। नीतीश ने यह घोषणा करके राज्य के करीब ढाई लाख कर्मचारियों को खुश कर दिया है। बिहार में करीब 70 हजार स्कूलों में बच्चों के लिए भोजन बनाने वाले रसोइयों की संख्या 238000 है। राज्य की 9000 सरकारी उच्चतर माध्यमिक शालओं में एक-एक सिक्योरिटी गार्ड तैनात है. इसके अलावा राज्य में 2200 फिजिकल ट्रेनिंग इंस्ट्रक्टर हैं जिन्हें लाभ मिलेगा.



महिला मतदाताओं को उपकृत करने का प्रयास

नीतीश कुमार की घोषणाओं में प्राथमिकता युवाओं के साथ-साथ आम महिलाओं और महिला कर्मचारियों को भी दी गई है। उन्होंने की महिलाओं को डोमिसाइल रिजर्वेशन, यानी स्थानीय महिलाओं को आरक्षण देने की घोषणा की है। अब सरकारी नौकरियों में सिर्फ बिहार की मूल निवासी महिलाओं को ही 35 फीसदी रिजर्वेशन का फायदा मिलेगा। पहले अन्य राज्यों की महिलाओं को भी यह लाभ मिलता था।



बिहार में आशा कार्यकर्ताओं का वेतन दोगुना बढ़ाकर 3000 रुपये प्रतिमाह और ममता कार्यकर्ताओं का मेहनताना दोगुना बढ़ाकर प्रति प्रसव 600 रुपये कर दिया गया है। इससे राज्य की करीब 90 हजार आशा कार्यकर्ताओं और करीब 4600 ममता कार्यकर्ताओं को फायदा होगा। इससे पहले मई में बिहार सरकार ने कहा था कि वह अगले तीन महीनों में 27,375 नई आशा कार्यकर्ताओं और फैसिलिटेटरों की भर्ती करेगी। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने यह घोषणा की थी। उन्होंने कहा था कि ग्रामीण इलाकों में 21,009 आशा कार्यकर्ता नियुक्त होंगी। शहरी क्षेत्रों में 5316 कार्यकर्ता और 1050 आशा फैसिलिटेटर नियुक्त की जाएंगी। बिहार में 91,281 आशा कार्यकर्ता, 4361 आशा फैसिलिटेटर और 5111 ममता कार्यकर्ता कार्यरत हैं। नीतीश सरकार ने आंगनबाड़ी सेविकाओं को स्मार्टफोन देने की योजना का ऐलान किया है। इसके तहत आंगनबाड़ी सेविकाओं को स्मार्टफोन खरीदने के लिए 11000 रुपये दिए जाएंगे।



ग्रामीण वोटरों और खास तौर पर गांवों की महिलाओं को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री ने विवाह मंडप योजना का ऐलान किया है। इसके तहत आठ हजार से ज्यादा पंचायतों में विवाह भवन (मैरिज हॉल) बनाने की की बात कही गई है। ग्रामीण क्षेत्रों में यह भवन लड़कियों की शादी के समारोहों के लिए उपयोग किए जा सकेंगे। इन भवनों का संचालन जीविका समूह की महिलाएं करेंगी।



आम लोगों को आकर्षित करने के लिए कई योजनाएं

नीतीश कुमार ने राज्य के आम लोगों के लिए बिजली की 125 यूनिट तक की खपत फ्री कर दी है। उनकी घोषणा के अनुसार एक अगस्त 2025 से बिहार के सभी घरेलू उपभोक्ताओं को प्रति माह 125 यूनिट बिजली मुफ्त में दी जाएगी। उन्होंने इस घोषणा से खास तौर पर गरीब और मध्यम वर्गीय मतदाताओं को राहत पहुंचाने की कोशिश की है। उन्होंने बिहार सरकार की ओर से दी जाने वाली पत्रकारों की पेंशन में तीन गुनी वृद्धि कर दी है। अब तक पत्रकारों को पेंशन में 6000 रुपये दिए जा रहे थे। अब 15000 रुपये मासिक पेंशन दी जाएगी। इसके अलावा दिवंगत पत्रकारों के आश्रितों को 10000 रुपये की राशि हर माह दी जाएगी।



नीतीश कुमार ने इसके अलावा भी अन्य कुछ घोषणाओं से समाज के अलग-अलग समुदायों को लाभ दिया है। राज्य की लोक कलाओं के संरक्षण के लिए ‘गुरु-शिष्य परंपरा’ योजना शुरू की गई है। योजना ‘दीदी की रसोई’ के तहत अब 20 रुपये में भोजन दिया जाएगा। बस संचालकों को नई बस खरीदने के लिए 20 लाख रुपये की सब्सिडी दी जाएगी। बिहार सरकार ने राज्य सफाई कर्मचारी आयोग के गठन को भी मंजूरी दी है।

Loving Newspoint? Download the app now