गाजियाबाद/नोएडा: दिवाली के बाद हवा की गुणवत्ता बहुत खराब श्रेणी में पहुंचने से अस्पतालों की ओपीडी में अचानक से बच्चे, बुजुर्ग और अस्थमा, ब्रोंकाइटिस के मरीज काफी बढ़ गए है। आतिशबाजी और पराली जलाने के साथ मौसम में आए बदलाव ने हवा की सेहत ही बिगाड़ दी है। इसको देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने अडवाइजरी जारी कर लोगों से मॉर्निंग और इवनिंग वॉक पर जाने से बचने की अपील की है। साथ ही घर से बाहर निकलने पर मास्क पहनने की सलाह दी है।
उधर, प्रदूषण के खिलाफ सख्त उपायों के तौर पर ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (ग्रैप) का चरण-2 लागू कर दिया गया है। इससे जिले में पाबंदियां काफी बढ़ जाएंगी। बुधवार को जिले का एक्यूआई 313 रेकॉर्ड किया गया। इसमें सबसे ज्यादा गंभीर स्थिति वसुंधरा की रही, यहां एक्यूआई 355 रहा। संयुक्त अस्पताल के चेस्ट रोग विशेषज्ञ डॉ. राहुल वर्मा ने बताया कि बीते दिनों की अपेक्षा मरीजों में एक साथ इजाफा हुआ है। मरीजों की संख्या करीब 50 प्रतिशत तक बढ़ गई है। इनमें सांस लेने में तकलीफ, खांसी, गले में जलन और आंखों में पानी आने जैसी शिकायतों वाले मरीजों की संख्या अधिक है। ग्रीन पटाखों की मंजूरी के बाद भी प्रदूषण बढ़ गया है। पहले दिन में 30 से 35 मरीज आ रहे थे, वहीं अब यह संख्या बढ़कर 60 से 70 तक पहुंच गई है।
बीमार लोगों के लिए बेहद खतरनाकएमएमजी अस्पताल के फिजिशन डॉ. आलोक रंजन ने बताया कि अधिक पटाखे चलाने और सर्द हवाओं के चलते धुआं और धूल जमीन के पास ठहर जाती है। यह पहले से बीमार लोगों के लिए बेहद खतरनाक हो रही है। इसका सबसे ज्यादा असर बच्चों और बुजुर्गों पर होता है। बच्चों के फेफड़े पूरी तरह विकसित नहीं होते, जबकि बुजुर्गों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता कम होती है।
बचने की सलाहघर से बाहर निकलने पर एन 95 या पी 100 मास्क का उपयोग अनिवार्य रूप से करें ताकि बारीक कणों से बचाव हो सके। सुबह और शाम के समय जब प्रदूषण का स्तर सबसे अधिक होता है, तब घर से बाहर जाने से बचे। इस दौरान आउटडोर व्यायाम या लबी सैर से भी परहेज करें। घर के अंदर ही रहे और खिड़की-दरवाजे बद रखें। यदि सभव हो, तो घर में एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें। अस्थमा और सीओपीडी (सीओपीडी) के मरीज अपनी दवाइया नियमित रूप से लें।
ग्रैप-2 के तहत प्रमुख पाबंदियां (एक्यू 301-400) निर्माण और विध्वंस पर सख्तीः निर्माण स्थलों पर धूल नियंत्रण के उपायों को सख्ती से लागू करना होगा। धूल जनित गतिविधिया अस्थायी रूप से रोकी जा सकती है और निरीक्षण को तेज किया जाएगा।
डीजी पर प्रतिबंध: औद्योगिक, वाणिज्यिक और आवासीय क्षेत्रो में डीजल जनरेटर सेट के इस्तेमाल पर रोक रहेगी, सिवाय आपातकालीन और आवश्यक सेवाओं के। बिजली की आपूर्ति में बाधा न हो, इसके लिए कदम उठाए जाएंगे।
धूल पर नियंत्रण: सड़कों की मिकैनिकल स्वीपिंग और पानी का छिड़काव किया जाएगा।
330 AQI, देश का चौथा सबसे प्रदूषित शहर बना नोएडाग्रैप-2 की पाबंदियों के बावजूद नोएडा और ग्रेटर नोएडा की हवा जहरीली होती जा रही है। दिवाली के अगले दिन ग्रेनो का एक्यूआई 282 था, जो बुधवार को 308 पहुंच गया। मंगलवार को नोएडा एनसीआर में चौथे नंबर का प्रदूषित शहर था, जो बुधवार को 330 एक्यूआई के साथ देश का चौथा सबसे प्रदूषित शहर रहा। माना जा रहा है कि हवा की गति नहीं बढ़ी तो हालात और बिगड़ सकते हैं। वहीं, जगह-जगह सड़कों उड़ती धूल और धुआं छोड़ते वाहन परेशानी बढ़ा रहे हैं।
दिवाली के अगले दिन एनसीआर में सबसे प्रदूषित शहर गुड़गांव था और इसके बाद दिल्ली। हालांकि 24 घंटे में ही गुड़गांव का प्रदूषण कम हो गया है। दिल्ली का केवल 2 अंक बढ़ा जबकि नोएडा में 10 और ग्रेनों के एक्यूआई में 26 अंकों की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। यह हाल तब है, जब इस समय सड़कों पर ट्रैफिक का दबाव कम है। स्कूल और ज्यादातर ऑफिस बंद हैं और बड़ी संख्या में लोग बाहर गए हैं। 4 दिनों से नोएडा का एक्यूआई 300 के पार बना हुआ है।
अथॉरिटी की टीमें सक्रिय नहींदिवाली से एक दिन पहले 329 था। दिवाली वाले दिन 325 और अगले 320। बुधवार को एक्यूआई 330 पहुंच गया। ग्रैप-2 में निर्माण कार्यों और डीजल जेनरेटर पर बैन होता है, लेकिन प्रदूषण विभाग और अथॉरिटी की टीमें सक्रिय नहीं दिख रही हैं। डीजल जेनरेटर धड़ल्ले से चल रहे हैं। धूलभरी सड़कों को भी ठीक नहीं किया जा रहा है। क्षेत्रीय प्रदूषण अधिकारी रितेश तिवारी का कहना है कि पीएम-10 का स्तर कंट्रोल में है। इसका मतलब है कंस्ट्रक्शन, इंडस्ट्री व ट्रैफिक से होने वाला प्रदूषण ज्यादा नहीं है। पीएम 2.5 का स्तर बढ़ा है, जिसका कारण आतिशबाजी है। निर्माण कार्यों की मॉनिटरिंग की जा रही है।
अस्पतालों में आंख और सांस के मरीज बढ़ेप्रदूषण के कारण सास के साथ ही आखो की समस्या भी बढ़ी है। कासना स्थित राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान की नेत्र ओपीडी में मरीजों की संख्या 20 से 30 प्रतिशत बढ़ गई है। दिवाली के बाद रोज 40 से 45 लोग पहुंच रहे है। वहीं, जिला अस्पताल के सीएमएस डॉ. अजय राणा ने बताया कि इमरजेंसी में अस्थमा के 20 प्रतिशत मरीज बढ़ गए है। कैलाश अस्पताल के सीनियर कसल्टेंट डॉ. सुधीर कुमार गुप्ता का कहना है कि प्रदूषण का लेवल श्वसन तंत्र पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है। लिहाजा बच्चों व बुजुर्गों की सुबह और शाम के समय बाहरी गतिविधिया सीमित करें। आवश्यक हो तो मास्क का प्रयोग करें। तकलीफ हो तो डॉक्टर से मिले।
10 हजार का चालान और हो सकती है जेलविभाग के मुताबिक, पुराने 50 हजार वाहनों को नोटिस भेजे जा चुके है, फिर भी कई वाहन मालिक जांच नहीं करा रहे है। जनवरी 2025 से अब तक 70 हजार वाहनों पर कार्रवाई भी हो चुकी है। तय समय में पीयूसी नहीं कराया तो 10 हजार रुपये तक का चालान और 6 महीने जेल हो सकती है। एआरटीओ (प्रवर्तन) सियाराम वर्मा ने कहा कि सड़कों पर प्रवर्तन दल तैनात किए जा रहे है, जो बिना पीयूसी वाले वाहनों पर सख्त कार्रवाई करेंगे। प्रदूषण नियंत्रण केवल सरकार का काम नहीं, बल्कि हर वाहन मालिक का भी कर्तव्य है। जनता सहयोग करेगी, तभी हवा साफ हो सकेगी।
उधर, प्रदूषण के खिलाफ सख्त उपायों के तौर पर ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (ग्रैप) का चरण-2 लागू कर दिया गया है। इससे जिले में पाबंदियां काफी बढ़ जाएंगी। बुधवार को जिले का एक्यूआई 313 रेकॉर्ड किया गया। इसमें सबसे ज्यादा गंभीर स्थिति वसुंधरा की रही, यहां एक्यूआई 355 रहा। संयुक्त अस्पताल के चेस्ट रोग विशेषज्ञ डॉ. राहुल वर्मा ने बताया कि बीते दिनों की अपेक्षा मरीजों में एक साथ इजाफा हुआ है। मरीजों की संख्या करीब 50 प्रतिशत तक बढ़ गई है। इनमें सांस लेने में तकलीफ, खांसी, गले में जलन और आंखों में पानी आने जैसी शिकायतों वाले मरीजों की संख्या अधिक है। ग्रीन पटाखों की मंजूरी के बाद भी प्रदूषण बढ़ गया है। पहले दिन में 30 से 35 मरीज आ रहे थे, वहीं अब यह संख्या बढ़कर 60 से 70 तक पहुंच गई है।
बीमार लोगों के लिए बेहद खतरनाकएमएमजी अस्पताल के फिजिशन डॉ. आलोक रंजन ने बताया कि अधिक पटाखे चलाने और सर्द हवाओं के चलते धुआं और धूल जमीन के पास ठहर जाती है। यह पहले से बीमार लोगों के लिए बेहद खतरनाक हो रही है। इसका सबसे ज्यादा असर बच्चों और बुजुर्गों पर होता है। बच्चों के फेफड़े पूरी तरह विकसित नहीं होते, जबकि बुजुर्गों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता कम होती है।
बचने की सलाहघर से बाहर निकलने पर एन 95 या पी 100 मास्क का उपयोग अनिवार्य रूप से करें ताकि बारीक कणों से बचाव हो सके। सुबह और शाम के समय जब प्रदूषण का स्तर सबसे अधिक होता है, तब घर से बाहर जाने से बचे। इस दौरान आउटडोर व्यायाम या लबी सैर से भी परहेज करें। घर के अंदर ही रहे और खिड़की-दरवाजे बद रखें। यदि सभव हो, तो घर में एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें। अस्थमा और सीओपीडी (सीओपीडी) के मरीज अपनी दवाइया नियमित रूप से लें।
ग्रैप-2 के तहत प्रमुख पाबंदियां (एक्यू 301-400) निर्माण और विध्वंस पर सख्तीः निर्माण स्थलों पर धूल नियंत्रण के उपायों को सख्ती से लागू करना होगा। धूल जनित गतिविधिया अस्थायी रूप से रोकी जा सकती है और निरीक्षण को तेज किया जाएगा।
डीजी पर प्रतिबंध: औद्योगिक, वाणिज्यिक और आवासीय क्षेत्रो में डीजल जनरेटर सेट के इस्तेमाल पर रोक रहेगी, सिवाय आपातकालीन और आवश्यक सेवाओं के। बिजली की आपूर्ति में बाधा न हो, इसके लिए कदम उठाए जाएंगे।
धूल पर नियंत्रण: सड़कों की मिकैनिकल स्वीपिंग और पानी का छिड़काव किया जाएगा।
330 AQI, देश का चौथा सबसे प्रदूषित शहर बना नोएडाग्रैप-2 की पाबंदियों के बावजूद नोएडा और ग्रेटर नोएडा की हवा जहरीली होती जा रही है। दिवाली के अगले दिन ग्रेनो का एक्यूआई 282 था, जो बुधवार को 308 पहुंच गया। मंगलवार को नोएडा एनसीआर में चौथे नंबर का प्रदूषित शहर था, जो बुधवार को 330 एक्यूआई के साथ देश का चौथा सबसे प्रदूषित शहर रहा। माना जा रहा है कि हवा की गति नहीं बढ़ी तो हालात और बिगड़ सकते हैं। वहीं, जगह-जगह सड़कों उड़ती धूल और धुआं छोड़ते वाहन परेशानी बढ़ा रहे हैं।
दिवाली के अगले दिन एनसीआर में सबसे प्रदूषित शहर गुड़गांव था और इसके बाद दिल्ली। हालांकि 24 घंटे में ही गुड़गांव का प्रदूषण कम हो गया है। दिल्ली का केवल 2 अंक बढ़ा जबकि नोएडा में 10 और ग्रेनों के एक्यूआई में 26 अंकों की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। यह हाल तब है, जब इस समय सड़कों पर ट्रैफिक का दबाव कम है। स्कूल और ज्यादातर ऑफिस बंद हैं और बड़ी संख्या में लोग बाहर गए हैं। 4 दिनों से नोएडा का एक्यूआई 300 के पार बना हुआ है।
अथॉरिटी की टीमें सक्रिय नहींदिवाली से एक दिन पहले 329 था। दिवाली वाले दिन 325 और अगले 320। बुधवार को एक्यूआई 330 पहुंच गया। ग्रैप-2 में निर्माण कार्यों और डीजल जेनरेटर पर बैन होता है, लेकिन प्रदूषण विभाग और अथॉरिटी की टीमें सक्रिय नहीं दिख रही हैं। डीजल जेनरेटर धड़ल्ले से चल रहे हैं। धूलभरी सड़कों को भी ठीक नहीं किया जा रहा है। क्षेत्रीय प्रदूषण अधिकारी रितेश तिवारी का कहना है कि पीएम-10 का स्तर कंट्रोल में है। इसका मतलब है कंस्ट्रक्शन, इंडस्ट्री व ट्रैफिक से होने वाला प्रदूषण ज्यादा नहीं है। पीएम 2.5 का स्तर बढ़ा है, जिसका कारण आतिशबाजी है। निर्माण कार्यों की मॉनिटरिंग की जा रही है।
अस्पतालों में आंख और सांस के मरीज बढ़ेप्रदूषण के कारण सास के साथ ही आखो की समस्या भी बढ़ी है। कासना स्थित राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान की नेत्र ओपीडी में मरीजों की संख्या 20 से 30 प्रतिशत बढ़ गई है। दिवाली के बाद रोज 40 से 45 लोग पहुंच रहे है। वहीं, जिला अस्पताल के सीएमएस डॉ. अजय राणा ने बताया कि इमरजेंसी में अस्थमा के 20 प्रतिशत मरीज बढ़ गए है। कैलाश अस्पताल के सीनियर कसल्टेंट डॉ. सुधीर कुमार गुप्ता का कहना है कि प्रदूषण का लेवल श्वसन तंत्र पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है। लिहाजा बच्चों व बुजुर्गों की सुबह और शाम के समय बाहरी गतिविधिया सीमित करें। आवश्यक हो तो मास्क का प्रयोग करें। तकलीफ हो तो डॉक्टर से मिले।
10 हजार का चालान और हो सकती है जेलविभाग के मुताबिक, पुराने 50 हजार वाहनों को नोटिस भेजे जा चुके है, फिर भी कई वाहन मालिक जांच नहीं करा रहे है। जनवरी 2025 से अब तक 70 हजार वाहनों पर कार्रवाई भी हो चुकी है। तय समय में पीयूसी नहीं कराया तो 10 हजार रुपये तक का चालान और 6 महीने जेल हो सकती है। एआरटीओ (प्रवर्तन) सियाराम वर्मा ने कहा कि सड़कों पर प्रवर्तन दल तैनात किए जा रहे है, जो बिना पीयूसी वाले वाहनों पर सख्त कार्रवाई करेंगे। प्रदूषण नियंत्रण केवल सरकार का काम नहीं, बल्कि हर वाहन मालिक का भी कर्तव्य है। जनता सहयोग करेगी, तभी हवा साफ हो सकेगी।
You may also like
बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर यूपी कांग्रेस की ये तैयारी, कहीं अखिलेश यादव को तो संदेश नहीं
AC करेगा एयर प्यूरीफायर का काम, कमरे की हवा होगी साफ, समझें तरीका
'वृषभ' को लेकर मोहनलाल का खुलासा, 25 अक्टूबर को होगी धमाकेदार घोषणा –
देश में एसआईआर की तैयारियों पर चुनाव आयोग की दो दिवसीय बैठक सम्पन्न –
VIDEO: एडिलेड में जायसवाल, जुरेल और कृष्णा ने ली Uber, स्टार्स को गाड़ी में बैठता देख हैरान हुआ ड्राइवर